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50 स्कूलों की 7000 छात्राओं को सिखाये गए आत्मरक्षा के तरीके

सेव द चिल्ड्रेन ने चलाया एक माह का अभियान

 

लखनऊ. महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ होने वाली हिंसा को लेकर उन्हें जागरूक किया जा रहा है. आत्मरक्षा और खुद पर होने वाले हमलों से बचने के लिए लखनऊ में 50 विद्यालयों की 7000 लड़कियों को प्रशिक्षण प्रदान किया गया। यह प्रशिक्षण रेड ब्रिगेड के सहयोग से सेव द चिल्ड्रेन ने एक महीने तक चले अभियान के माध्यम से दिया.

यह जानकारी गलियों में गुजारा करने वाले बच्चों तथा लिंग आधारित हिंसा पर एक महीने तक चले अभियान के समापन के अवसर पर लिंग आधारित हिंसा पर आज यहाँ मीडिया राउंडटेबल चर्चा के दौरान दी गयी. उत्तर प्रदेश राज्य में लिंग आधारित हिंसा और गलियों में गुजारा करने वाले बच्चों के उत्पीड़न पर फोकस करने के लिए राजधानी लखनऊ में एक महीने तक चले अभियान के अंतिम चरण में सेव द चिल्ड्रेन द्वारा “महिलाओं और लड़कियों द्वारा सामना की जा रही लिंग आधारित हिंसा पर मीडिया की बदलती धारणा“ विषय पर एक मीडिया राउंडटेबल चर्चा आयोजित की गई.

चर्चा में हिंदुस्तान के पूर्व रेसिडेंट संपादक नवीन जोशी ने कहा की पत्रकारिता में अत्यंत सम्वेदनशीलता की आवश्यकता है। पत्रकारिता संस्थानों को उचित प्रशिक्षण पर जोर देना जरुरी है। ऐसे मुद्दे को लिखने के लिए ज्यादा से ज्यादा महिला पत्रकारों को आना पड़ेगा द्य तथा दिल्ली प्रेस के शैलेंद्र सिंह जो महिला पत्रिकाओं के प्रकाशन के विशेषज्ञ हैं, इस कार्यक्रम के विशेषज्ञ थे, जिन्होंने लिंग आधारित हिंसा और बाल उत्पीड़न से संबन्धित मुद्दों पर लेख संबंधी अपने अनुभव तथा ज्ञान को साझा किया और बोले एनजीओ और मीडिया का समन्वय बहुत ही जुरुरी है ऐसे मुद्दे को उजागर करने के लिए द वीक के विशेष संवाददाता अजय उप्रेती ने कहा की संवाददाता एवं सम्पादक में अच्छा तालमेल होना बहुत जरुरी है।

इस राउंडटेबल चर्चा में इस अभियान के तहत पूरे महीने में सेव द चिल्ड्रेन द्वारा की गई गतिविधियों का संक्षिप्त विवरण संस्था की प्रतिनिधि अंजलि सिंह द्वारा प्रस्तुत किया गया तथा राज्य सरकार के समक्ष अग्रसारित किए गए कार्य बिन्दुओं की भी जानकारी दी गयी. मीडिया राउंडटेबल चर्चा में लोकप्रिय प्रकाशनों तथा समाचार चैनलों के पत्रकारों ने भाग लिया।

इस मौके पर सेव द चिल्ड्रेन द्वारा चलाया जा रहा अभियान ‘‘महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा को ना कहें‘‘ पर भी चर्चा हुई। यह अभियान उत्तर प्रदेश के चार जिलों- बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर और पीलीभीत में घरेलू हिंसा, जल्दी और जबरन विवाह, लिंग आधारित गर्भपात और लड़की की उपेक्षा के मुद्दों पर किया जा रहा है।इस अभियान का मुख्य आकर्षण वीडियो वैन कारवाँ है जो 100 गाँवों (हर जिले में 25 गांव) में भ्रमण करेगी। इसे पीलीभीत जिले से आगामी 13 नवंबर को हरी झंडी दिखाई जानी है। इस बीच सेव द चिल्ड्रेन चुने गये गांवों के प्रधानों से मिला है, जो अपने संबंधित गांवों में वीडियो वैन कारवां का स्वागत करेंगे और समुदाय के साथ बैठक आयोजित करेंगे।

एक महीने तक चले इस अभियान के दौरान, जिसे 25 सितंबर को आईजी नवनीत सिकेरा और जी० श्रीदेवी, सदस्य सचिव उत्तर प्रदेश विधिक सेवाएँ द्वारा 1090 वुमेन पावरलाइन से शुभारंभ किया गया था, कई गतिविधियों का आयोजन किया गया. इस अभियान के दूसरे चरण में लिंग आधारित हिंसा के प्रकार विषय पर शिरोज हैंगआउट, गोमती नगर में सेव द चिल्ड्रेन द्वारा एक हफ्ते तक चली नुक्कड़ नाटक प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। शहर स्थित मलिन बस्तियों, स्कूलों और कॉलेजों के बच्चे इसमें शामिल हुए तथा राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष तथा राज्य के विभिन्न राजनीतिक दलों के सदस्यों के समक्ष अपनी स्किट प्रस्तुत की। यौन उत्पीड़न और हिंसा से महिलाओं और बच्चों की बेहतर सुरक्षा की मांग करने वाला एक ज्ञापन भी उपस्थित राजनीतिक दलों के सदस्यों को सौंपा गया।

अभियान के दौरान 11 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर यूपी प्रेस क्लब में एक चर्चा का आयोजन किया गया जिसमें आईएनजीओ, मीडिया, बाल अधिकार कार्यकर्ता, वकील, राजनीतिज्ञ, पुलिस और शिक्षाविदों ने भाग लिया। इस चर्चा के माध्यम से कई सिफ़ारिशें सामने आयीं जिनमें से लिंग आधारित हिंसा और बाल उत्पीड़न के केसों को संभालने के लिए राज्य के सभी पुलिस थानों पर एक महिला डेस्क की स्थापना किए जाने की मांग को स्वीकार किया गया। बेहतर सुरक्षा और निवारण तंत्र से संबन्धित कुल 10 मांगों को राज्य सरकार के समक्ष रखा गया, जिसका फॉलोअप अब सेव द चिल्ड्रेन द्वारा नियमित रूप से किया जा रहा है।

 

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