-संतान के इच्छुक दम्पतियों की काउंसिलिंग का विशेष स्थान
सेहत टाइम्स
लखनऊ। संतान सुख की प्राप्ति नहीं हो रही है तो इसका विकल्प सिर्फ आईवीएफ टेक्निक से गर्भधारण करना ही नहीं है, यह ऑप्शन तो सबसे बाद का है, इसके पहले बहुत से ऐसे इलाज हैं जिनके करने से दम्पति को संतान सुख मिल सकता है। यहां तक कि अनेक दम्पतियों की सिर्फ काउंसिलिंग करने से ही कार्य हो जाता है। जैसे उन्हें यह मालूम ही नहीं होता है कि फर्टिलिटी पीरियड कब होता है। इन्हीं बातों को देखते हुए एआरटी बिल में बने नये नियम में अब आईवीएफ सेंटर पर मनोचिकित्सक का होना अनिवार्य कर दिया गया है।
यह जानकारी यहां होटल क्लार्क्स अवध में आयोजित दो दिवसीय सतत चिकित्सा शिक्षा सीएमई में इंडियन फर्टिलिटी सोसाइटी (आईएफएस) के अध्यक्ष डॉ केडी नायर ने दी। आईएफएस के पूर्व अध्यक्ष डॉ कुलदीप जैन ने बताया कि आंकड़ों की बात करें तो 20 प्रतिशत लोगों को बांझपन है, इनमें 50 फीसदी पुरुष हैं। उन्होंने बताया कि सामान्यत: 100 में से एक आदमी का शुक्राणु नहीं बनता है, लेकिन जिन पुरुषों में बांझपन होता है उनमें सौ में से दस लोगों को शुक्राणु नहीं बनता है। इसके अतिरिक्त डायबिटीज, थायरॉयड जैसे बीमारियां भी बांझपन का कारण बन रही हैं, लेकिन ऐसा नहीं है कि सबको आईवीएफ की ही जरूरत होती है, दूसरे इलाज से ही दिक्कत ठीक हो जाती है।