कुछ तो डरिये या शर्म कीजिये हुजूर
लखनऊ. कुछ लोगों की ऐसी फितरत होती है कि उन्हें बस अपने मन की करनी है. फिर चाहे दूसरों का नुक्सान हो या अपना. समाज सुधार पर चर्चा चलने पर बढ़-चढ़ कर बोलने वाले तथाकथित बुद्धिजीवी लोग अपने कार्य व्यवहार में उस सुझाव को नहीं उतारेंगे. यहाँ हम बात कर रहे हैं घर में होने वाली पूजा-पाठ में प्रयुक्त होने वाली पूजा सामग्री के समुचित तरीके से निष्पादन की. धनतेरस से लेकर भैया दौज तक दीपावली का त्यौहार पांच दिनों का होता है, विशेषकर इसमें प्रत्येक वर्ष मिट्टी से बने गणेश-लक्ष्मी खरीद कर घर-दुकान में लोग पूजा करते हैं. हर वर्ष नए वाले गणेश-लक्ष्मी विराजमान कर दिए जाते है. अब सवाल यह है कि पिछले वाले गणेश-लक्ष्मी का विसर्जन कहाँ और कैसे करें.
कुछ लोग पेड़ के नीचे रख देते है, कुछ लोग नदी में प्रवाहित कर देते हैं. लोग मूर्तियाँ और अन्य पूजन सामग्री इधर-उधर लोग न फेंकें, इनका अनादर न हो इसके लिए पिछले कुछ सालों से ऐसी सामाजिक संस्थाएं आगे आयी हैं जो पूजन सामग्री को जगह-जगह इकठ्ठा कर लेती हैं फिर उसे एक गड्ढे में गाड़कर उसका निष्पादन कर देती हैं. इसके बावजूद कुछ लोग इसे समझने को तैयार नहीं हैं.
यह हाल तब है जब कि इस साल भी कई संगठनों की ओर से मूर्तियों आदि के विसर्जन को लेकर घोषणा की गयी है कि देव्या चैरिटेबल ट्रस्ट और मनकामेश्वर मठ मंदिर के संयुक्त प्रयास से राजधानी के विभिन्न क्षेत्रों से मूर्ति संग्रह का काम किया जाएगा। ट्रस्ट की ओर से कहा गया है कि दीपावली के बाद पूजन के बाद लोग मूर्तियों को वृक्षों, पार्कों आदि के पास रखकर चले जाते हैं। साथ ही नदियों में प्रवाहित कर देते हैं। जिससे भगवान का अपमान होने के बाद साथ ही नदी में प्रदूषण बढ़ता है।
मंदिर और ट्रस्ट की प्रमुख महंत देव्या गिरि महाराज के निर्देशन में 22 अक्तूबर दिन रविवार यानी आज से लेकर एक सप्ताह तक मूर्ति संग्रह और भूविसर्जन काकार्य किया जाना सुनिश्चित हुआ है। राजधानी के विभिन्न मोहल्लों, पार्कों के पास से मूर्तियां वाहनों से लाकर झूलेलाल घाट, गोमती बंधा किनारे पर भूविसर्जित की जाएंगी। जिसमें रविवार 22 अक्तूबर को नेहरू बाल वाटिका, अलीगंज सेक्टर सी में सुबह 7 बजे, विक्रांत खंड, गोमती नगर में सुबह 9 बजे, मनकामेश्वरवार्ड में सुबह 10:30 बजे समेत कई वार्डों में अभियानचलाकर मूर्तियां इकट्ठा की जाएंगी। साथ ही मनकामेश्वर उपवन घाट पर दोपहर 3 बजे मूर्तियों का संग्रहित कियाजाएगा।
इसी प्रकार श्री बाबा अमरनाथ बर्फानी सेवा ट्रस्ट के ओर से संयोजक अमृत सिंह ने बताया है कि 23 अक्टूबर को झुलेलाल घाट में भू विसर्जन स्थल पर बीते साल की प्रतिमाओं और पूजन सामग्री का विसर्जन किया जायेगा. उन्होंने कहा है कि इसके लिए हेल्पलाइन 9936345101, 9335908686 और 7355296143 पर संपर्क किया जा सकता है.
इसके अलावा श्री शुभ संस्कार समिति की ओर से कुड़ियाघाट पर मूर्ति बैंक बनाया गया. समिति के संयोजक ऋद्धि गौड़ ने बताया कि हर रविवार यहाँ हर रविवार को विसर्जन कुड़िया घाट में प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाता है. इसके अलावा नगर निगम के पूर्व उपाध्यक्ष रणजीत सिंह भी भू विसर्जन के लिए 15 दिवसीय विशेष अभियान चला रहे हैं. अभियान के पहले दिन लगभग 5000 मूर्तियों का झूलेलाल पार्क के पास भू-विसर्जन किया गया.
इन सारी कोशिशों के बीच लापरवाह नागरिकों की समझ में यह बात नहीं आती है. इसकी एक बानगी राजधानी लखनऊ में देखिये, निशातगंज की ओर से हजरतगंज की तरफ आने वाले रास्ते में गोमती नदी के ऊपर बने पुल पर लोगों ने पूजा पाठ का सामान ऐसे रखा है (फेंका है कहना ज्यादा उचित होगा) कि वह आने-जाने वाले लोगों की पैरों तले आ रहा है. इस पुल पर रेलिंग के ऊपर जाल लगे होने के कारण किसी भी तरह के सामान को गोमती में डालना बेहद मुश्किल है. पुल के ऊपर फूटपाथ पर वैसे तो एक ड्रम रखा है जिसमें इस तरह के पैकेट डाले जा सकते हैं, लेकिन लोग इस ड्रम में पैकेट न डाल कर बहार फूथ्पथ पर पैकेट छोड़कर चले जाते हैं जो हवा चलने पर इधर-उधर फैल जाता है.
ऐसे में लोगों को चाहिए कि इस पुनीत कार्य में सहयोग कर दूसरों को जागरूक करें न कि खुद ही ऐसे गैर जिम्मेदाराना तरीके से सड़क पर या यहाँ-वहां सामग्री फ़ेंक दें. एक तरफ तो प्रधानमंत्री के आह्वान पर स्वच्छ भारत अभियान में जुड़ने की अपील की जा रही है. मोदी हो या योगी स्वच्छता कार्यक्रम में भाग लेकर लोगों को सन्देश दी रहे हैं कि सफाई करो, दूसरी ओर ऐसे लोग भी हैं जो पूजन सामग्री का प्रयोग करने वाले वर्ग विशेष के लोग अभियान को पलीता लगा रहे हैं. यही नहीं इस पूजन सामग्री का प्रयोग करने वाले अपनी आस्था के प्रति भी उपेक्षा उजागर कर रहे हैं.