-केजीएमयू में पैरामेडिकल साइंस और एसोसिएशन ऑफ सर्जन्स ऑफ इंडिया, यूपी एंड यूके चैप्टर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में बोले डॉ पारिजात सूर्यवंशी
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। हमें हर हाल में धूम्रपान, तम्बाकू के सेवन से दूर रहना है, अगर कोई धूम्रपान कर रहा है तो उसे आज से, अभी से छोड़ने का संकल्प लेना होगा क्योंकि अगर कोई व्यक्ति 10 साल से धूम्रपान कर रहा है तो धूम्रपान को छोड़ने के बाद भी उसके स्वास्थ्य को सामान्य होने में 10 साल लग जाते हैं।
यह बात केजीएमयू के जनरल सर्जरी विभाग के प्रोफेसर पारिजात सूर्यवंशी ने केजीएमयू के पैरामेडिकल साइंस और एसोसिएशन ऑफ सर्जन्स ऑफ इंडिया, यूपी एंड यूके चैप्टर के संयुक्त तत्वावधान में कलाम सेंटर में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए कही। उनके लेक्चर का विषय ओरल कैंसर से बचाव के उपाय (प्रीवेन्टिव आस्पेक्ट्स ऑफ ओरल कैंसर) था।
डॉ पारिजात ने शरीर की तुलना ताश के पत्तों से करते हुए कहा कि कुदरती रूप में हमें जो शरीर मिला है, वह ताश के पत्तों के खेल की तरह है जिसमें किसे कौन सा पत्ता मिलता है, यह तय नहीं होता है, साथ ही जिस तरह ताश के खराब पत्तों से खेलकर भी खिलाड़ी खेल जीत जाता है उसी तरह से हम जो जींस लेकर हम पैदा हुए हैं, उनमें हो सकता है कि कुछ अच्छे जींस के साथ ही खराब जींस भी हों, लेकिन उन खराब जींस के साथ भी अगर हम अपनी जीवन शैली, खानपान ठीक रखते हैं तो खराब जींस से होने वाली बीमारियों से भी हम बचे रह सकते हैं।
डॉ पारिजात ने एक महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए बताया कि तंबाकू में निकोटिन होता है, हालांकि निकोटीन से सीधे कैंसर नहीं होता है लेकिन निकोटीन उन एजेंट्स को बढ़ा देती है जिससे कैंसर होता है इसलिए कैंसर के होने में निकोटीन जिम्मेदार माना गया है। उन्होंने बताया कि यदि कोई व्यक्ति सिगरेट पीना शुरू करता है तो सिर्फ 20 सिगरेट पीने के बाद से ही उसके फेफड़ों में बदलाव दिखना शुरू हो जाता है। उन्होंने कहा कि ओरल कैंसर से बचाव में जांच और इसके प्रति जागरूकता और जानकारी की अहम भूमिका है।
इस मौके पर पैरामेडिकल विज्ञान संकाय के अधिष्ठाता प्रो विनोद जैन ने बताया कि हमें इस गलतफहमी में कभी नहीं रहना चाहिए कि ओरल कैंसर बुजुर्गों या 40 वर्ष की आयु के ऊपर वाले लोगों को होता है। उन्होंने बताया कि ओरल कैंसर किसी भी उम्र में किसी को भी हो सकता है इसलिए आवश्यकता इस बात की है कि हम अच्छे खान-पान का सेवन करें, साथ ही तंबाकू-सिगरेट इत्यादि चीजों को हाथ लगाने से भी डरें। कार्यक्रम का संचालन सोनिया शुक्ला ने किया तथा इसके आयोजन में शिवांगम गिरी, अनामिका राजपूत, श्याम जी रमन, शिवानी ने विशेष योगदान दिया।