-यूपी में कर्मचारी-शिक्षक संयुक्त मोर्चा ने कहा, हड़ताल का फैसला लिया जाना भी संभव
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा ने कहा है कि एक सप्ताह के अंदर उत्तर प्रदेश में एक बड़े आंदोलन की रूपरेखा तैयार उसकी घोषणा की जायेगी। आंदोलन की रूपरेखा में हड़ताल भी शामिल हो सकती है। यह निर्णय मंत्रियों-विधायकों को ज्ञापन देने के अभियान के अंतिम दिन की गयी समीक्षा बैठक में लिया गया। मोर्चा द्वारा घोषित आंदोलन के प्रथम चरण में प्रदेश के समस्त जनपदों में मोर्चा के पदाधिकारियों द्वारा सभी विधानसभा व विधानपरिषद सदस्यों को ज्ञापन देकर मांगों पर मुख्यमंत्री से निर्णय कराने का आग्रह किया गया था।
बैठक में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद, राजकीय निगम कर्मचारी महासंघ ,स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ, माध्यमिक शिक्षक संघ, विकास प्राधिकरण कर्मचारी संयुक्त संगठन, शिक्षणेत्तर कर्मचारी महासंघ, डिप्लोमा फार्मासिस्ट फेडरेशन, फेडरेशन ऑफ फारेस्ट कर्मचारी संघ, राजकीय शिक्षक संघ, आदि उपस्थित थे।
मोर्चा के अध्यक्ष वी पी मिश्रा एवं महासचिव शशि कुमार मिश्र ने बताया कि वेतन समिति की संस्तुतियों को लागू न करने, फ्रीज़ महंगाई भत्ते की किस्तों के भुगतान करने का निर्णय न करने, निजीकरण पर रोक लगाने, कैशलेस इलाज तथा विभिन्न कैडरों का केंद्र सरकार की भांति पुनर्गठन न करने, वेतन विसंगतियों को दूर न करने, राजकीय निगमों, स्थानीय निकायों के संवर्गों का पुनर्गठन न करने तथा उनकी मंगाई भत्ते को राज्य कर्मियों के बराबर न करने तथा घाटे के नाम पर कर्मचारियों के वेतन भत्ते ,सेवानिवृत्ति लाभ न देने, आउटसोर्सिंग/संविदा पर रोक व विनियमितीकरण तथा नियमित भर्ती एवं पदोन्नतिया न करने के कारण प्रदेश का लाखों कर्मचारी शिक्षक अत्यधिक आक्रोशित है। भीषण महंगाई से त्रस्त कर्मचारी अब बड़ा आंदोलन करने के मूड में है।
नेताद्वय ने प्रदेश सरकार से आग्रह किया है कि मोर्चा की मांगों पर यदि एक सप्ताह में निर्णय न किया गया तो बाध्य होकर बड़े आंदोलन की घोषणा करेगा। मोर्चा के पदाधिकारी जनता के बीच जाकर विभिन्न माध्यमों से यह भी बताएंगे कि कोविड-19 वैश्विक महामारी में जान पर खेलकर मरीजों की सेवा की है। कई कर्मचारी दिवंगत भी हो गए हैं। उनके परिवार भीषण महंगाई से परेशान हैं। जब सरकार संकट में थी तब कर्मचारियों ने 1 दिन का वेतन देकर सहयोग किया था। अब जब कर्मचारी परिवार संकट में है तो प्रदेश सरकार उनके बकाया का भुगतान भी नहीं कर रही है। यहां तक की बीमारी के इलाज का रिम्बर्समेंट भी बंद है। इसलिए आंदोलन करने को विवश होना पड़ रहा है।