-इस्तीफे के बाद आगे की राजनीतिक पारी के लिए वेट एंड वॉच की स्थिति में हैं कैप्टन
धर्मेन्द्र सक्सेना
कभी पूरे देश पर राज करने वाली देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस ताबूत में आज एक और कील ठुकने की आहट मिल रही है। पंजाब में प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्दू के साथ चल रही अनबन के बाद से पार्टी आलाकमान की भी लगातार अपनी उपेक्षा बर्दाश्त करने वाले मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सख्त निर्णय लिया और मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। खास बात यह है कि इस्तीफा देने की बात कैप्टन के मुंह से सुनने के बाद भी आलाकमान ने उन्हें रोकने का प्रयास नहीं किया, इसलिए लगता है कि कैप्टन आगे की राजनीतिक पारी के लिए वेट एंड वाच की स्थिति में हैं। उन्होंने न ही कांग्रेस छोड़ने का और न ही किसी और दल में जाने का ऐलान किया है लेकिन किसी भी बात का खंडन भी नहीं किया है, उनका मानना है कि राजनीति में सभी विकल्प खुले रहते हैं।
58 वर्षों से राजनीति कर रहे कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस्तीफा देने के बाद मीडिया के सामने अपनी बात रखते हुए कहा कि मेरे नेतृत्व पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए तीन-तीन बार विधायकों की मीटिंग बुलाने के आलाकमान के फैसले से मैं अपमानित महसूस कर रहा था इसलिए मैंने अपना इस्तीफा देने का फैसला किया, उन्होंने कहा कि मैंने अपने इस्तीफे देने के निर्णय से आज सुबह ही पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को अवगत करा दिया था।
मीडिया रिपोर्ट्स बता रही हैं कि कैप्टन का कहना है कि यह सब कुछ अचानक नहीं हुआ, मैंने चार हफ्ते पूर्व भी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलकर सिद्दू के गैरजिम्मेदाराना व्यवहार के बारे में बताया था। उन्होंने कहा कि वे सिद्धू को मंत्री के रूप में देख चुके थे, वे अपने विभागीय काम के प्रति संवेदनशील नहीं थे, फाइलें लम्बे समय तक पैंडिंग पड़ी रहती थीं। उन्होंने बताया कि आज भी सुबह जब मुझे विधायकों की बैठक के बारे में जानकारी मिली तो मुझे लगा कि विधायकों की बैठक बुलायी गयी है और मुझे ही इसकी जानकारी नहीं है। इसके बाद कैप्टन ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से बात की और कहा कि मेरे नेतृत्व पर आपको विश्वास नहीं है, क्योंकि पहले दो बार विधायकों को दिल्ली बुलाया गया और अब फिर आज बैठक बुलायी जा रही है, ऐसे में मुझे लगता है मुझे अपना इस्तीफा दे देना चाहिये, इस पर सोनिया गांधी ने कैप्टन को पद न छोड़ने का आग्रह नहीं किया बल्कि कहा कि आई एम सॉरी।
राजनीतिक हलकों में कहा जा रहा है कि जिस तरह से सिद्धू का पक्ष लेते हुए कांग्रेस नेतृत्व ने कैप्टन को तवज्जो न देते हुए विधायकों की बैठक बुलाकर अविश्वास प्रस्ताव के जरिये कैप्टन को हटाने की तैयारी की थी, उस बेइज्जती से बचने के लिए सम्मानजनक तरीके से अपनी विदाई के लिए मीटिंग से पहले ही इस्तीफा देकर कैप्टन अमरिंदर ने सिद्धू की गुगली न सिर्फ अपने को बोल्ड होने से बचाया बल्कि ‘छक्का’ मारकर अपनी पारी का अंत किया।