जीवन जीने की कला सिखाती कहानी – 57
प्रेरणादायक प्रसंग/कहानियों का इतिहास बहुत पुराना है, अच्छे विचारों को जेहन में गहरे से उतारने की कला के रूप में इन कहानियों की बड़ी भूमिका है। बचपन में दादा-दादी व अन्य बुजुर्ग बच्चों को कहानी-कहानी में ही जीवन जीने का ऐसा सलीका बता देते थे, जो बड़े होने पर भी आपको प्रेरणा देता रहता है। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के वृद्धावस्था मानसिक स्वास्थ्य विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ भूपेन्द्र सिंह के माध्यम से ‘सेहत टाइम्स’ अपने पाठकों तक मानसिक स्वास्थ्य में सहायक ऐसे प्रसंग/कहानियां पहुंचाने का प्रयास कर रहा है…
प्रस्तुत है 57वीं कहानी – दामाद
रेनू की शादी हुयें, पांच साल हो गये थे, उसके पति थोड़ा कम बोलते थे पर बड़े सुशील और संस्कारी थे। माता-पिता जैसे सास, ससुर और एक छोटी सी ननद, और एक नन्हीं सी परी, भरा पूरा परिवार था, दिन खुशी से बीत रहा था।
आज रेनू बीते दिनों को लेकर बैठी थी, कैसे उसके पिताजी नें बिना मांगे 30 लाख रुपये अपने दामाद के नाम कर दिये, जिससे उसकी बेटी खुश रहे, कैसे उसके माता-पिता ने बड़ी धूमधाम से उसकी शादी की, बहुत ही आनंदमय तरीके से रेनू का विवाह हुआ था।
खैर बात ये नहीं थी, बात तो ये थी, रेनू के बड़े भाई ने, अपने मातापिता को घर से निकाल दिया था, क्योंकि पैसे तो उनके पास बचे नहीं थे, जितने थे, उन्होने रेनू की शादी में लगा दिये थे, फिर भला बच्चे मां-बाप को क्यूं रखने लगे, रेनू के माता-पिता एक मंदिर मे रूके थे।
रेनू आज उनसे मिल कर आयी थी, और बड़ी उदास रहने लगी थी, आखिर लड़की थी, अपने माता-पिता के लिए कैसे दुख नहीं होता, कितने नाजों से पाला था, उसके पिताजी ने बिल्कुल अपनी गुडि़या बनाकर रखा था,
आज वही माता-पिता मंदिर के किसी कोने में भूखे-प्यासे पड़े थे।
रेनू अपने पति से बात करना चाहती थी, वो अपने माता-पिता को घर ले आए, पर वहां हिम्मत नहीं कर पा रही थी, क्यूंकि उनके पति कम बोलते थे, अधिकतर चुप रहते थे, जैसे-तैसे रात हुई रेनू के पति और पूरा परिवार खाने के टेबल पर बैठा था, रेनू की आंखें सहमी थीं, उसने डरते हुये अपने पति से कहा,
सुनिये जी, भइया-भाभी ने मम्मी-पापा को घर से निकाल दिया है, वो मंदिर में पड़े हैं, आप कहें तो उनको घर ले आऊं,
रेनू के पति ने कुछ नहीं कहा, और खाना खत्म कर के अपने कमरे में चला गया, सब लोग अभी तक खाना खा रहे थे, पर रेनू के मुख से एक निवाला भी नहीं उतरा था, उसे बस यही चिंता सता रही थी अब क्या होगा, इन्होंने भी कुछ नहीं कहा, रेनू रुआसी सी आंख लिये सबको खाना परोस रही थी।
थोड़ी देर बाद रेनू के पति कमरे से बाहर आए, और रेनू के हाथ में नोटों का बंडल देते हुये कहा, इससे मम्मी- डैडी के लिए एक घर खरीद दो, और उनसे कहना, वो किसी बात की फ्रिक न करें, मैं हूं,
रेनू ने बात काटते हुये कहा, आपके पास इतने पैसे कहां से आए जी ?
रेनू के पति ने कहा, ये तुम्हारे पापा के दिये गये ही पैसे हैं,
मेरे नहीं थे, इसलिए मैंने हाथ तक नहीं लगाए, वैसे भी उन्होंने ये पैसे मुझे जबरदस्ती दिये थे, शायद उनको पता था एक दिन ऐसा आयेगा,
रेनू के सास-ससुर अपने बेटे को गर्व भरी नजरों से देखने लगे, और उनके बेटे ने भी उनसे कहा, अम्मा जी बाबूजी सब ठीक है ना ?
उसके अम्मा-बाबूजी ने कहा बड़ा नेक ख्याल है बेटा, हम तुम्हें बचपन से जानते हैं, तुझे पता है, अगर बहू अपने माता-पिता को घर ले आयी, तो उनके माता-पिता शर्म से सिर नहीं उठा पायेंगे, कि बेटी के घर में रहें, और जी नहीं पाएंगे, इसलिए तुमने अलग घर दिलाने का फैसला किया है, और रही बात इस दहेज के पैसे की, तो हमें कभी इसकी जरूरत नहीं पड़ी, क्यूंकि तुमने कभी हमें किसी चीज की कमी होने नही दी, खुश रहो बेटा कहकर रेनू और उसके पति को छोड़ सब सोने चले गये,
रेनू के पति ने फिर कहा, अगर और तुम्हें पैसों की जरूरत हो तो मु्झे बताना, और अपने माता-पिता को बिल्कुल मत बताना घर खरीदने को पैसे कहां से आए, कुछ भी बहाना कर देना, वरना वो अपने को दिल ही दिल में कोसते रहेंगे, चलो अच्छा अब मैं सोने जा रहा, मुझे सुबह दफ्तर जाना है, रेनू का पति कमरे में चला गया।
और रेनू खुद को कोसने लगी, मन ही मन न जाने उसने क्या-क्या सोच लिया था, मेरे पति ने दहेज के पैसे लिए है, क्या वो मदद नहीं करेंगे करना ही पड़ेगा, वरना मैं भी उनके मां-बाप की सेवा नहीं करूंगी,
रेनू सब समझ चुकी थी, कि उसके पति कम बोलते हैं, पर उससे ज्यादा कहीं समझतें हैं।
रेनू उठी और अपने पति के पास गयी, माफी मांगने, उसने अपने पति से सब बता दिया।
उसके पति ने कहा, कोई बात नहीं होता है, तुम्हारी जगह मैं भी होता तो यही सोचता, रेनू की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था, एक तरफ उसके मां-बाप की परेशानी दूर दूसरी तरफ, उसके पति ने माफ कर दिया।
रेनू ने खुश और शरमाते हुये अपने पति से कहा,
मैं आपको गले लगा लूं, उसके पति ने अट्टहास करते हुये कहा, मुझे अपने कपड़े गंदे नहीं करने, दोनों हंसने लगे,
और शायद रेनू को अपने कम बोलने वाले पति का ज्यादा प्यार समझ आ गया…