Saturday , November 23 2024

परिवार का महत्व

जीवन जीने की कला सिखाती कहानी – 51 

डॉ भूपेन्द्र सिंह

प्रेरणादायक प्रसंग/कहानियों का इतिहास बहुत पुराना है, अच्‍छे विचारों को जेहन में गहरे से उतारने की कला के रूप में इन कहानियों की बड़ी भूमिका है। बचपन में दादा-दादी व अन्‍य बुजुर्ग बच्‍चों को कहानी-कहानी में ही जीवन जीने का ऐसा सलीका बता देते थे, जो बड़े होने पर भी आपको प्रेरणा देता रहता है। किंग जॉर्ज चिकित्‍सा विश्‍वविद्यालय (केजीएमयू) के वृद्धावस्‍था मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ भूपेन्‍द्र सिंह के माध्‍यम से ‘सेहत टाइम्‍स’ अपने पाठकों तक मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य में सहायक ऐसे प्रसंग/कहानियां पहुंचाने का प्रयास कर रहा है…

प्रस्‍तुत है 51वीं कहानी –  परिवार का महत्व

एक पार्क मे दो बुजुर्ग बातें कर रहे थे….

पहला :- मेरी एक पोती है, शादी के लायक है… BE किया है, नौकरी करती है, कद – 5″2 इंच है.. सुंदर है

कोई लड़का नजर मे हो तो बताइएगा..

दूसरा :- आपकी पोती को किस तरह का परिवार चाहिए…??

पहला :- कुछ खास नही.. बस लडका ME /M.TECH किया हो, अपना घर हो, कार हो, घर मे एसी हो, अपने बाग बगीचा हो, अच्छा जॉब, अच्छी सैलरी, कोई लाख रुपये तक हो…

दूसरा :- और कुछ…

पहला :- हां सबसे जरूरी बात.. अकेला होना चाहिए..

मां-बाप,भाई-बहन नहीं होने चाहिए..

वो क्या है लड़ाई-झगड़े होते हैं…

दूसरे बुजुर्ग की आंखें भर आईं फिर आंसू पोछते हुए बोला – मेरे एक दोस्त का पोता है उसके भाई-बहन नहीं है, मां बाप एक दुर्घटना मे चल बसे, अच्छी नौकरी है, डेढ़ लाख सैलरी है, गाड़ी है बंगला है, नौकर-चाकर हैं..

पहला :- तो करवाओ ना रिश्ता पक्का..

दूसरा :- मगर उस लड़के की भी यही शर्त है की लडकी के भी मां-बाप, भाई-बहन या कोई रिश्तेदार न हो…

कहते-कहते उनका गला भर आया..

फिर बोले :- अगर आपका परिवार आत्महत्या कर ले तो बात बन सकती है.. आपकी पोती की शादी उससे हो जाएगी और वो बहुत सुखी रहेगी….

पहला :- ये क्या बकवास है, हमारा परिवार क्यों करे आत्महत्या.. कल को उसकी खुशियों मे, दुःख मे कौन उसके साथ व उसके पास होगा…

दूसरा :- वाह मेरे दोस्त, खुद का परिवार, परिवार है और दूसरे का कुछ नहीं… मेरे दोस्त अपने बच्चों को परिवार का महत्व समझाओ, घर के बडे, घर के छोटे सभी अपनों के लिए जरूरी होते हैं… वरना इंसान खुशियों का और गम का महत्व ही भूल जाएगा, जिंदगी नीरस बन जाएगी…

पहले वाले बुजुर्ग बेहद शर्मिंदगी के कारण कुछ नहीं बोल पाए…

दोस्तों परिवार है तो जीवन मे हर खुशी, खुशी लगती है अगर परिवार नहीं तो किससे अपनी खुशियां और गम बांटोगे।

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