जीवन जीने की कला सिखाती कहानी – 40
प्रेरणादायक प्रसंग/कहानियों का इतिहास बहुत पुराना है, अच्छे विचारों को जेहन में गहरे से उतारने की कला के रूप में इन कहानियों की बड़ी भूमिका है। बचपन में दादा-दादी व अन्य बुजुर्ग बच्चों को कहानी-कहानी में ही जीवन जीने का ऐसा सलीका बता देते थे, जो बड़े होने पर भी आपको प्रेरणा देता रहता है। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के वृद्धावस्था मानसिक स्वास्थ्य विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ भूपेन्द्र सिंह के माध्यम से ‘सेहत टाइम्स’ अपने पाठकों तक मानसिक स्वास्थ्य में सहायक ऐसे प्रसंग/कहानियां पहुंचाने का प्रयास कर रहा है…
प्रस्तुत है 40वीं कहानी – सच्ची जीत
एक गांव में एक किसान रहता था। उसका नाम था शेरसिंह। शेरसिंह शेर-जैसा भयंकर और अभिमानी था। वह थोड़ी सी बात पर बिगड़कर लड़ाई कर लेता था। गांव के लोगों से सीधे मुंह बात नहीं करता था। न तो किसी के घर जाता और न रास्ते में मिलने पर किसी को प्रणाम करता था। गांव के किसान भी उसे अहंकारी समझकर उससे नहीं बोलते थे।
उसी गांव में एक दयाराम नाम का किसान आकर बस गया। वह बहुत सीधा और भला आदमी था। सबसे नम्रता से बोलता था, सबकी कुछ-न-कुछ सहायता किया करता था, सभी किसान उसका आदर करते थे और अपने कामों में उससे सलाह लिया करते थे।
गांव के किसानों ने दयाराम से कहा -” भाई ! दयाराम तुम कभी शेरसिंह के घर मत जाना उससे दूर ही रहना, वह बहुत झगड़ालू है।”
दयाराम ने हंसकर कहा – ” शेरसिंह ने मुझसे झगड़ा किया तो मैं उसे मार ही डालूंगा।”
दूसरे किसान भी हंस पड़े। वे जानते थे कि दयाराम बहुत दयालु, वह किसी को मारना तो दूर किसी को गाली तक नहीं दे सकता, लेकिन यह बात किसी ने शेरसिंह से कह दी। शेरसिंह क्रोध से लाल हो गया, वह उसी दिन से दयाराम से झगड़ने की चेष्टा करने लगा। उसने दयाराम के खेत में अपने बैल छोड़ दिए, बैल बहुत सा खेत चर गए, किंतु दयाराम ने उन्हें चुपचाप खेत से हांक दिया।
शेरसिंह ने दयाराम के खेत में जाने वाली पानी की नाली तोड़ दी। पानी बहने लगा, दयाराम ने आकर चुपचाप नाली बांध दी। इसी प्रकार शेरसिंह बार-बार दयाराम की हानि करता रहा, किंतु दयाराम ने एक बार भी उसे झगड़ने का अवसर नहीं दिया।
एक दिन दयाराम के यहां उनके संबंधी ने लखनऊ के मीठे खरबूजे भेजे। दयाराम ने सभी किसानों के घर एक-एक खरबूजा भेज दिया, लेकिन शेर सिंह ने उसका खरबूजा यह कहकर लौटा दिया – ” कि मैं भिखमंगा नहीं हूं, मैं दूसरों का दान नहीं लेता।”
बरसात आयी, शेरसिंह एक गाड़ी अनाज भरकर दूसरे गांव से आ रहा था, रास्ते में एक नाले के कीचड़ में उसकी गाड़ी फंस गई। शेरसिंह के बैल दुबले थे, वे गाड़ी को कीचड़ में से निकाल नहीं सके। जब गांव में इस बात की खबर पहुंची तो सब लोग बोले – ” शेरसिंह बड़ा दुष्ट है! उसे रात भर नाले में पड़े रहने दो।”