क्या आप जानते हैं कि शारीरिक लक्षणों के अलावा अलग-अलग प्रकार के सपने आना, विभिन्न प्रकार के डर लगना, दुखी रहना, मूड अच्छा न रहना जैसे कारण व्यक्ति को शरीर के कई ऐसे रोग दे देते हैं, जिनका कारण ज्ञात नहीं होता। दरअसल ऐसे रोग ऑटो इम्यून डिजीज की श्रेणी में आते हैं। उदाहरण के लिए महिलाओं के रोग, चर्म रोग सहित कई प्रकार के रोग। दरअसल ऑटो इम्यून शरीर की वह स्थिति होती है जिसमें इम्यून सिस्टम या शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता हमारे शरीर के विरुद्ध काम करना शुरू कर देता है, सीधी भाषा में कहें तो रक्षक ही भक्षक बनने लगता है। इम्यून सिस्टम जिसे रोग से शरीर को स्वस्थ रखने के लिए लड़ना होता है, वह रोग से लड़ने के बजाय शरीर से लड़ने लगता है। सेहत टाइम्स’ ऐसी ही जटिल और असाध्य समझी जाने वाली बीमारियों के सफल और सबूत सहित होम्योपैथिक इलाज के बारे में जानकारी देने के लिए सीरीज चला रहा है। इस सीरीज में उन्हीं बीमारियों के केस प्रस्तुत किये जायेंगे जिन पर लखनऊ स्थित गौरांग क्लीनिक एंड सेंटर फॉर होम्योपैथिक रिसर्च (जीसीसीएचआर) में वैज्ञानिक तरीके से शोध हुआ है और उसका प्रकाशन राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय जर्नल में हो चुका है।
जीसीसीएचआर के संस्थापक होम्योपैथिक विशेषज्ञ डॉ गिरीश गुप्ता ने अपनी रिसर्च को लेकर अब तक स्त्री रोगों और त्वचा रोगों पर दो पुस्तकें Evidence-based Research of Homoeopathy in Gynaecology और Evidence-based Research of Homoeopathy in Dermatology भी लिखी हैं, इन पुस्तकों में उन स्त्री रोगों व त्वचा रोगों के सफल इलाज का विस्तार से सबूत सहित वर्णन किया गया है, जो अभी असाध्य माने जाते हैं या फिर उनका उपचार सिर्फ सर्जरी से ही संभव है। इस सम्बन्ध में यदि पाठकों के डॉ गिरीश गुप्ता से कोई सवाल हों तो वे सेहत टाइम्स को sehattimes@gmail.com पर मेल कर सकते हैं। -धर्मेन्द्र सक्सेना
रोग का नाम- लाइकेन प्लेनस
लाइकेन प्लेनस रोग से ग्रस्त 23 वर्षीय युवती कलाई, कुहनी, उदर और टांगों पर बैंगनी रंग के दाग lesions की शिकायत लेकर 24 मई 2012 को आयी थी। उसके दागों में खुजली हो रही थी। जब उसकी हिस्ट्री जानी गई तो उसे नाखून काटने की, किसी चीज पर ध्यान केंद्रित न रख पाने, कन्फ्यूजन, चिड़चिड़ापन, प्रयासों में असफलता के सपने आना, सुस्ती रहना, ज्यादा मसालेदार चीजें पसंद होना, ठंड ज्यादा लगना आदि लक्षण पाए गए। इलाज के लिए रिपर्टराइजेशन में 611 दवायें शॉर्टलिस्ट हुईं उनमें से शीर्ष 15 दवाओं में से कैल्केरिया कार्ब का चुनाव कर इलाज शुरू किया गया। इसके बाद मरीज 12 जून, 27 जून, 17 जुलाई, 9 अगस्त, 21 अगस्त, 14 अक्टूबर, 5 नवंबर, 26 नवंबर, 21 दिसंबर, 16 जनवरी 2013, 5 अप्रैल और 12 जुलाई 2013 को दवा लेने आयीं। इस तरह लगभग एक साल 2 माह दवा चलने के बाद मरीज का रोग ठीक हो गया।
शोध के परिणाम
जीसीसीएचआर में अप्रैल 2012 से दिसंबर 2014 के बीच लाइकेन प्लेनस के 13 केस क्लिनिकल डायग्नोसिस हुए लाइकेन प्लेनस एक गैर संक्रमित ऑटो इम्यून डिजीज है इसमें त्वचा पर बैगनी रंग के दाग lesions हो जाते हैं।
इसके होम्योपैथिक दवा से इलाज के परिणाम बताते हैं कि कुल 13 केसेस में 8 महिलाएं और 5 पुरुष थे। यह रोग महिलाओं में ज्यादा होता है इन 13 में से 5 मरीज पूरी तरह से ठीक हो गए जबकि 2 मरीजों में आंशिक लाभ मिला, बाकी 6 मरीजों को कोई लाभ नहीं हुआ। इस शोध का प्रकाशन दि होम्योपैथिक हेरिटेज, वॉल्यूम 41, नम्बर 8, नवम्बर 2015 में हुआ है। यह स्टडी वर्ष 2016 में ब्राजील में हुई इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में भी प्रस्तुत की जा चुकी है।