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आईएमए अकोला की अपने सदस्‍यों को सलाह, दूर रहे अवैध पैथोलॉजी से

-डॉ राजेन्‍द्र ललानी ने किया आईएमए की एडवाइजरी का स्‍वागत

-बिना खुद के पैथोलॉजिस्‍ट के पैथोलॉजी संचालन करना अवैध

डॉ राजेन्‍द्र ललानी

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो
लखनऊ। एसोसिएशन ऑफ पैथोलॉजिस्‍ट्स एंड माइक्रोबायोलॉजिस्‍ट्स के अध्‍यक्ष डॉ राजेन्‍द्र ललानी ने महाराष्‍ट्र की इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की अकोला शाखा द्वारा अवैधानिक रूप से सिर्फ टेक्‍नीशियंस द्वारा चलायी जा रही या डॉक्‍टरों द्वारा अपने हॉस्पिटल में टेक्‍नीशियन के सहारे चलायी जा रही पैथोलॉजी का बहिष्‍कार करने की एडवाइजरी जारी करने के लिए धन्‍यवाद ज्ञापित किया है, उन्‍होंने कहा कि जिस रिपोर्ट पर मरीज के इलाज की दिशा तय होती है, उसे निर्धारित विशेषज्ञ द्वारा न तैयार करना न सिर्फ नियम-कानून का उल्‍लंघन है, बल्कि यह मरीज की जान के साथ भी खिलवाड़ है।
ज्ञात हो अकोला गुजरात की एसोसिएशन ऑफ पैथोलॉजिस्‍ट्स एंड माइक्रोबायोलॉजिस्ट्स के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र लगानी ललानी द्वारा पिछले दिनों आई एम ए के समक्ष एक प्रश्‍न भी उठाया था जिसमें उन्‍होंने पूछा था कि 12वीं या बी एससी पास टेक्नीशियन जब चिकित्सक के अस्पताल में पैथोलॉजी चला रहा हो या चिकित्सक ऐसे टेक्नीशियन द्वारा संचालित की जा रही पैथोलॉजी में जांच के लिए मरीजों को भेजता है जहां रिपोर्ट वही टेक्‍नीशियन तैयार करता है तो इसे क्‍या मिक्‍सोपैथी माना जाना चाहिये कि नहीं।  
आई एम ए की अकोला महाराष्ट्र शाखा ने अपने सदस्यों को एक एडवाइजरी जारी की है। आई एम ए अकोला के अध्यक्ष डॉ कमल किशोर लड्ढा, सचिव डॉ अमोल केलकर व डॉ पराग डॉयफोड की ओर से जारी इस एडवाइजरी में कहा गया है कि‍ सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के विभिन्न आदेशों में पैथोलॉजी की लेबोरेटरी और रिपोर्ट की प्रमाणिकता को लेकर दिए गए आदेशों में स्पष्ट कहा गया है कि सिर्फ क्वालिफाइड पैथोलॉजिस्ट यानी एमबीबीएस+पोस्ट ग्रेजुएट योग्यता वाले विशेषज्ञ ही लैबोरेट्री की टेस्ट रिपोर्ट को प्रमाणित कर सकते हैं, पैथोलॉजिस्‍ट्स को टेस्टिंग व रिपोर्ट प्रक्रिया पर अपनी नजर रखनी होगी।

एडवाइजरी में कहा गया है कि महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल, न्यायालयों और मानवाधिकार आयोग जैसे कई फोरम पर बिना पैथोलॉजी विशेषज्ञ के टेक्नीशियन द्वारा पैथोलॉजी चलाने और रिपोर्ट देने की शिकायतें दर्ज हैं। यह भी कहा गया है कि कई पैथोलॉजिस्‍ट्स अपने हस्ताक्षर ऐसी लैबोरेटरी चलाने वालों को उपलब्ध करा देते हैं, ऐसे लोगों को सजा भी दी गई है। इंश्योरेंस कंपनियों ने भी टेक्नीशियन की दी गयी लेबोरेटरी रिपोर्ट को स्वीकार करना बंद कर दिया है।
आपको बता दें कि एक सप्‍ताह पूर्व ही महाराष्‍ट्र के बुल्‍ढाना जिले के खामगांव में अपना हॉस्पिटल चलाने वाले सीनियर एमडी फि‍जीशियन डॉ अशोक बवास्‍कर का लाइसेंस महाराष्‍ट्र मेडिकल काउंसिल द्वारा रद किया गया है। डॉ अशोक अपने अस्‍पताल में टेक्‍नीशियन के सहारे लेबोरेटरी चला रहे थे।
आई एम ए अकोला के पदाधिकारियों द्वारा स्पष्ट कर दिया गया है कि हम लोग उच्च शिक्षित और जिम्मेदार नागरिक हैं, और ऐसे में हमें IMC Act 1956, मेडिकल एथिक्स नियमों और विभिन्न न्यायालयों के आदेशों का पालन करना चाहिए। मरीज और अपनी खुद की सुरक्षा के लिए हमें ऐसे किसी अवैधानिक और अनइथिकल एक्टिविटीज का समर्थन नहीं करना चाहिए। एडवाइजरी में अपील की गई है कि‍आईएमए सदस्‍य अवैधानिक लैबोरेटरी का न तो समर्थन करें और न ही इन लैबोरेटरी को किसी को रेफर करें। साथ ही इन लैबोरेटरी से जांच करा कर लाई गई रिपोर्ट पर इलाज करें। इसके साथ ही पैथोलॉजिस्ट्स से अपील की गई है कि वे अपने नाम और हस्ताक्षर उसी रिपोर्ट पर करें जिस लेबोरेटरी में वे स्वयं मौजूद हों। एडवाइजरी के अनुसार आई एम ए अकोला अपने किसी भी सदस्य द्वारा इस संबंध में की गई अवैधानिक कार्यवाही को समर्थन नहीं देगा इसलिए ऐसे किसी अवैधानिक कार्य में लिप्‍त न हों।