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कोरोना काल में अपने परिवार की ढाल बनी हुई हैं गृहिणियां

संक्रमण रोकने के लिए क्‍या-क्‍या नहीं करती गृहिणी, लेकिन उफ तक नहीं करती

पांच माह पूर्व जबसे कोरोना के संक्रमण को लेकर हाय-तौबा मची है, तब से घर भरा-भरा सा रहने लगा है, लॉकडाउन में तो लोग घर से निकले ही नहीं, अब जब निकले भी हैं तो जरूरत भर निकले और फि‍र वापस घर में। यही हाल बच्‍चों का है, जो बच्‍चे पहले कुछ घंटे स्‍कूल में बिताते थे, अब घर पर लगातार बने हुए हैं, घर पर हैं तो फरमाइशें भी हैं, मम्‍मी यह खाना है… मम्‍मी वह खाना है…बच्‍चों और ब‍ड़ों की फरमाइशें हंस कर पूरी करने के साथ कोरोना के संक्रमण को घर में आने से रोकने में एक गृहिणी की भूमिका पर सेहत टाइम्‍स को लेख भेजा है मध्‍य प्रदेश के मुरैना से माइक्रोबायोलॉजिस्‍ट लक्ष्‍मी सैनी ने…

लक्ष्‍मी सैनी

भारत के साथ -साथ पूरा विश्व ही कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहा है। अगर हम बात करें भारत की गृहि‍णी की तो इनकी तो बात ही अलग है देखा जाए तो गृहि‍णी किसी भी देश की हो उसका योगदान महत्वपूर्ण ही होता है।  एक गृहि‍णी जो पूरे घर का आधार होती है। उसके कंधों पर पूरे परिवार की सुरक्षा की जिम्मेदारी होती है। सामान्य जीवन में हम देखते हैं, कि किस प्रकार एक गृहि‍णी अपने पूरे परिवार के स्वास्थ्य और उनकी जरूरतों का ध्यान रखती है।

चूंकि अभी समय कोरोना महामारी का चल रहा है तो घर के सभी सदस्यों के प्रति उसकी चिंता दस गुना बढ़ गई है। ये चिंताएं कई प्रकार की होती हैं, जैसे- घर के किसी सदस्य का घर से बाहर जाने से लेकर घर वापस आने तक उसकी सुरक्षा की चिंता, घर में आने वाले सब्जी, दूध आदि कई अन्य प्रकार की वस्तुओं के लिए चिंतित रहना। कोरोना काल में ही ज्यादातर स्त्रियां, जिनके पति- बच्चे अपने काम और पढ़ाई में व्यस्त होते हैं, खुद ही घर के बाहर जाकर सब्जी, दूध, भोजन सामग्री तथा अन्य वस्तुएं लेकर आती हैं, जबकि इस महामारी का खतरा उनके लिए भी उतना ही होता है जितना बाकी सब के लिए।

इसी प्रकार आज के दौर में फास्ट फूड चाहे बच्चा, बड़ा या बूढ़ा हो, सभी को पसंद होता है तो एक गृहि‍णी,जिसे अपनी परिवार की स्वास्थ्य की चिंता होती है पूरे दिन अपने घर के सदस्यों की इच्छाओं की पूर्ति के लिए रसोई घर में बिता देती है, बिना किसी शिकायत के। जिससे परिवार के सदस्य बाहर का कुछ भी सामान न खाएं क्योंकि उससे कोरोना संक्रमण का खतरा रहता है। इस चिंता में वह सब कुछ घर पर ही बना देती है और अगर हम अपने आसपास नजर डालें तो यह देखने में भी आ रहा है। इस महामारी के समय यदि घर में कोई मेहमान आता है तो बिना लापरवाही किए वह ध्यान रखती है कि किस प्रकार से घर को और घर के सदस्यों को सुरक्षित रखा जाए। 

स्त्री चाहे हाउस वाइफ हो या वर्किंग वूमेन वह गृहि‍णी होती ही है। परिवार के स्‍वास्‍थ्‍य और भविष्य की चिंता उसे होती है। इन सब के लिए वे खुद ही तैयार होती है अर्थात एक गृहि‍णी अपने परिवार को बचाने के लिए एक ढाल के समान मुसीबतों के सामने खड़ी हो जाती है और  अपनी परवाह किए बगैर उन सभी मुश्किलों का सामना करती है। घर परिवार के लोग सुरक्षित रहें, इसकी जिम्‍मेदारी वह अपनी समझती है, और वह इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाती भी है।

कोरोना काल के दौरान एक गृहि‍णी कई प्रकार की कार्य करती है, जैसे-दिन में कई बार घर को सैनिटाइज करना। घर की वस्तुओं  की साफ-सफाई बार-बार करना। छोटे बच्चों और घर के अन्य सदस्यों को बार-बार हाथ धोने के लिए और सैनेटाइज करने के लिए कहना। घर में आने वाली बाहर की वस्तुओं को सदस्यों को न खाने देना, दवाइयों और सुरक्षा का ध्यान रखना आदि ऐसे कई कार्य है जो एक गृहि‍णी कोरोना काल के दौरान अपने परिवार को सुरक्षित रखने के लिए।

कर रही है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि एक गृहि‍णी कोरोना काल के दौरान वह प्रहरी है,जो हर वक्त सुरक्षा के लिए सजग रहती है और एक गृहि‍णी की चिंता और सजगता ही हमारे और हमारे परिवार सुरक्षा का रहस्य है। 

                                                                            – लक्ष्मी सैनी  

(लेखिका अम्‍बाह पीजी कॉलेज, अम्‍बाह, मुरैना, मध्‍य प्रदेश में माइक्रोबायलॉजी विभाग में असिस्‍टेंट प्रोफेसर हैं)