Saturday , November 23 2024

हार गयी जिंदगी, जीत गयी मौत और सड़ी-गली व्यवस्था

निजी अस्पताल में बंधक बनाये जाने का दंश झेले सीतापुर के मनोज की ट्रॉमा सेंटर में हुई मौत

मौत के बाद सीएमओ ऑफिस आया हरकत में, अस्पताल को नोटिस थमायी

लखनऊ। सीतापुर के मनोज के सडक़ दुर्घटना के बाद पिछले 18 दिनों से चल रही जिन्दगी और मौत की जंग में अंतत: मौत जीत गयी, इसी के साथ जीत गयी सड़ी-गली व्यवस्था भी जिसमें बेलगाम निजी अस्पतालों और ओवरलोडेड सरकारी अस्पतालों में दम तोड़ती आम आदमी की मजबूरी का बोलबाला है।  इसका हल आखिर कब खोजा जा सकेगा, कुछ पता नहीं है, हालांकि दावे बहुत किये जाते हैं लेकिन दावे की असलियत स्याह अंधेरे जैसी काली होती है। अब जांच की लकीर पीटे जाने की औपचारिक कोशिश की जा रही है।
अब मरीज की मौत की खबर मीडिया में आने के बाद मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. जीएस बाजपेई के निर्देश पर अस्पताल की जांच शुरू हो गयी। सीएमओ की टीम ने मंगलवार को निजी चिकित्सालय में छापा मारकर मरीज मनोज के इलाज से सम्बन्धित सभी दस्तावेज जब्त कर लिए। इलाज में लापरवाही तथा मरीज को बंधक बनाए जाने के मामले में एफआई हॉस्पिटल को नोटिस जारी किया गया है।
ज्ञात हो सीतापुर के भैसहा निवासी मनोज कुमार (15) बीती 27 मई को एक सडक़  दुर्घटना में गम्भीर रूप से घायल हो गया था। क्षेत्रीय लहरपुर के अस्पताल से होते हुए केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर आते समय रास्ते में तबीयत बिगडऩे पर सेंट मेरी हॉस्पिटल पहुंचे थे। इसके बाद वहां से पुन: ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया गया। ट्रॉमा सेंटर पहुंचने पर उसे बेड खाली न होने पर बलरामपुर अस्पताल ले जाने को कहा गया तभी निजी अस्पताल के दलाल अफजल ने उसे अच्छे इलाज की बात कह कर निजी अस्पताल एफआई हॉस्पिटल पहुंचा दिया गया। मरीज के परिजनों के अनुसार एफआई अस्पताल में इलाज चलता रहा, जमीन बिक गयी, पानी की तरह रुपये खर्च होते रहे, लेकिन मरीज को होश नहीं आया।
सात लाख रुपये खर्च होने के बाद जब 50 हजार रुपये बचे तो फिर से जब अस्पताल की ओर से एक लाख रुपये मांगे गये, अब तक टूट चुके परिजनों ने जब कहा कि उनके पास सिर्फ  50 हजार रुपये हैं एक लाख रुपये हम नहीं दे सकते आप उन्हें सरकारी अस्पताल के लिए रेफर कर दें। इस पर अस्पताल ने इनकार करते हुए मरीज को बंधक बना लिया। परेशान घरवालों ने थाने में तहरीर दी, मीडिया में हो हल्ला हुआ तो बात मुख्य चिकित्सा अधिकारी तक पहुंची तो जैसे-तैसे मरीज को एफआई हॉस्पिटल से निकाल कर ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया। जहां आज 13 जून को मरीज ने दम तोड़ दिया।
दरअसल इन निजी अस्पतालों मे इलाज करवाने वालों का शोषण थम नहीं रहा है। ये वे अस्पताल हैं जहां इलाज के नाम पर मोटी रकम वसूली जाती है जब परिजनों के पास रुपये समाप्त हो जाते हैं या फिर स्थिति नाजुक हो जाती है तो ये सरकारी अस्पतालों में भेजकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। इलाज के खर्च की वसूली करने में इन अस्पतालों का यह हाल है कि जब तक पूरा भुगतान न हो जाये ये मरीज को बंधक बनाने से भी गुरेज नहीं करते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Time limit is exhausted. Please reload the CAPTCHA.