-जान है तो जहान है, को ध्यान में रखकर कॉपी मूल्यांकन का बहिष्कार करें शिक्षक
-उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ की अपील, अपनी व परिवार की सुरक्षा खतरे में न डालें

लखनऊ। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ ने शिक्षकों से अपील की है कि वह एकजुट होकर के उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन कार्य का बहिष्कार करें, संगठन का मानना है कि प्रधानमंत्री के वचन “जान है तो जहान है” को पूरी तरह से शिक्षकों को अपने ऊपर लागू करना चाहिए। मूल्यांकन कार्य नहीं करने पर यदि कोई कार्यवाही होगी तो उससे संगठन आपको बचा लेगा लेकिन यदि कोरोना ने पकड़ लिया तो आपको एवं आपके परिवार को केवल भगवान ही बचा पाएगें। यह समझ से परे है कि मार्च माह में जब कोरोना का खतरा कम था, उस समय मूल्यांकन रोकने का कारण संक्रमण का खतरा था तो अब जब यह खतरा और ज्यादा हो चुका है तो मूल्यांकन का आदेश देना कैसे सही हो गया। संगठन सभी शिक्षक भाइयों से निवेदन करता है कि वह एकजुट होकर के मूल्यांकन बहिष्कार कर शिक्षकों के प्रति असंवेदनशील सरकार के मंसूबे को ध्वस्त करने में सहयोग प्रदान करें।
इस अपील की जानकारी देते हुए संगठन के प्रदेशीय मंत्री/प्रवक्ता एवं प्रत्याशी लखनऊ खंड शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र डॉ महेन्द्र नाथ राय ने बताया कि यह अपील डॉ सुरेश तिवारी, सुपर्णा रॉय (प्रदेश उपाध्यक्ष), डॉ महेंद्र नाथ राय (प्रदेशीय मंत्री/प्रवक्ता, सुशील पांडेय (मंडलीय मंत्री), निर्मल श्रीवास्तव (सदस्य प्रदेश कार्यकारिणी), विनोद कुमार मिश्र (जिलाध्यक्ष), डॉ रामचंद्र गौतम, अरुण वर्मा, बदरू जमा सिद्दीकी, मीना वर्मा, पी सी मौर्य, प्रदीप कुमार वीरेंद्र सिंह, रिंकी सिंह रमेश चंद्र, राजेंद्र प्रसाद यादव, निर्मेश पांडे, अजय सिंह, के के सचान (सभी जिला उपाध्यक्ष), राजकुमार गौतम भूपेश (जिला मंत्री), बृजेश शर्मा (संगठन मंत्री), अभिषेक श्रीवास्तव (जिला कोषाध्यक्ष), सरोज त्रिपाठी (आय-व्यय निरीक्षक), मनोज कुमार श्रीवास्तव, प्रज्ञा श्रीवास्तव, चंद्रभान सिंह, सुधा गुप्ता, विश्वनाथ सिंह, निशांक शर्मा, इंकलेश यादव, वीरेंद्र श्रीवास्तव, विजय प्रकाश त्रिपाठी, जयदीप किशोर यादव, अजय पांडेय (सभी संयुक्त मंत्री उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ, चंदेल गुट, जनपद-लखनऊ) ने की है।
उन्होंने बताया कि सभी पदाधिकारियों का कहना है कि जब तक कोरोनो का संकट है तब तक हम अपनी जान जोखिम में क्यों डालें? आज स्वास्थ्य कर्मी जिन्हें कोरोना से संक्रमित होने से बचाने के लिए कई सुविधाएं दी गई हैं और पुलिसकर्मी भी कोरोना से संक्रमित हो रहे हैं तब हम शिक्षकों का तो भगवान ही मालिक है। एक ही मूल्यांकन केंद्र पर कई सौ लोग रहेंगे उसमें से कौन किस एरिया से गुजर कर, किन व्यक्तियों से मिलकर आयेगा, किसी को पता नहीं होगा।
डॉ राय ने बताया कि अपील में कहा गया है कि कोरोना मरीजों की संख्या पूरे प्रदेश आज 4 मई तक लगभग 2700 हो गई है, अकेले 3 मई को 139 केस नये सामने आये हैं। इस प्रकार कोरोना के मरीज दिन पर दिन बढ़ते ही जा रहे हैं। मार्च महीने में जब मूल्यांकन का कार्य इस संक्रमण के कारण ही बंद किया गया था, जबकि उस समय गिनती के ही मरीज थे, वे भी बाहर से आए हुए लोग थे, उस समय खतरा बहुत ही कम था जबकि आज कई गुना बढ़ गया है।
अपील में कहा गया है कि जब कोरोना इस तरह तेजी से फैल रहा है और लोगों में एक डर बना हुआ है, उस समय शिक्षा विभाग द्वारा मूल्यांकन करवाने की सनक समझ से परे है। अभी कहीं भी उच्च स्तर पर प्रवेश परीक्षा नहीं हो रही है, ख़ुद भारत सरकार के सीबीएसई बोर्ड की परीक्षाएं नहीं हुई है तब हमारे उप मुख्यमंत्री द्वारा शिक्षकों की जान जोखिम में डालकर मूल्यांकन करवाने का आदेश देना कहीं से भी न्यायोचित नहीं है।
उन्होंने बताया कि अपील में कहा गया है कि उद्योगपति रतन टाटा ने भी अपने संदेश में कहा है कि “2020 जीवित रहने का साल है, लाभ-हानि की चिंता ना करें” । अतः संगठन शिक्षक साथियों से निवेदन करता है कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों को तो चापलूसी करना है इसलिए वह आपकी जान जोखिम में डालकर अपना नंबर बढ़ाने का प्रयास करेंगे लेकिन आप की सबसे पहले जिम्मेदारी आपका परिवार है, घर से निकलने के पहले उनके बारे में सोच लीजिए कि कहीं उनके लिए ऐसी बीमारी तो नहीं लेने जा रहे हैं, जिससे उनकी जिंदगी ही संकट में पड़ जाय, फिर लाभ हानि का कोई फायदा नहीं होगा।

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