Saturday , November 23 2024

उत्‍तर प्रदेश सरकार का बजट देखकर लगता है, कर्मचारी दोयम दर्जे के नागरिक

-राज्‍य कर्मचारी संयुक्‍त परिषद ने कुल मिलाकर इसे जनविरोधी करार दिया
-सीएचसी को 100 बेड का अस्‍पताल व सिविल हॉस्पिटल में ट्रॉमा सेंटर का स्‍वागत किया
अतुल मिश्रा और सुनील यादव

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उत्तर प्रदेश ने आज उत्‍तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रस्तुत बजट को कर्मचारियों के लिए उदासीन बताया है।

परिषद के महामंत्री अतुल मिश्रा और प्रमुख उपाध्यक्ष एवं राजकीय फार्मेसिस्ट महासंघ के अध्यक्ष सुनील यादव ने बजट के प्राथमिक अध्ययन के बाद प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बजट में राज्य कर्मचारियों के लिए कोई घोषणा नहीं की गई। परिषद ने स्थायी पदों के सृजन की कोई घोषणा न होने पर चिंता प्रकट करते हुए इसे जनविरोधी करार दिया है| हालांकि वर्तमान बजट में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को 100 बेड चिकित्सालय में परिवर्तित किये जाने और लखनऊ स्थित डॉ श्‍यामा प्रसाद मुखर्जी अस्‍पताल में ट्रॉमा सेंटर बनाये जाने की घोषणा को स्वागत योग्य कदम बताया।

परिषद ने कहा कि बजट में कैशलेश चिकित्सा के लिए धन आवंटित नहीं किया गया है। लगातार कर्मचारियों की मांग थी कि पुरानी पेंशन योजना बहाल की जाए जिस पर वित्त मंत्री ने कुछ नहीं कहा।

सुनील यादव ने कहा कि जिलों के जिला चिकित्सालय महिला चिकित्सालय को मिलाकर मेडिकल कॉलेज में परिवर्तित करने की जो योजना सरकार द्वारा बताई गई है उसमें जनता एवं सरकार दोनों को नुकसान ही होगा, मेडिकल कॉलेज बनाते समय पूर्व से सृजित पदों को पूर्ववत बनाए रखना चाहिए एवं चिकित्सालयों को संबद्ध चिकित्सालय के रूप में पूर्ववत बनाए रखना जनहित में होगा और इससे कर्मचारियों के पदों पर कोई विपरीत प्रभाव भी नहीं पड़ेगा तथा जनता को मिल रही निशुल्क सुविधाएं भी उपलब्ध होती रहेंगी इससे सरकार की छवि और निखरेगी।

उन्‍होंने कहा कि पदों का समाप्त होना कभी भी जनहित में नहीं होता इसलिए सरकार को सभी चिकित्सालयों को एसोसिएट हॉस्पिटल के रूप में बनाए रखना चाहिए साथी आवश्यकतानुसार नए पदों का सृजन भी होना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि अब सरकार कर्मचारियों को दोयम दर्जे का नागरिक मानती है इसलिए बजट में कर्मचारियों के लिए कोई घोषणा नहीं की गयी है।