शासन के साथ लम्बी वार्ता में निर्णय, इच्छुक डॉक्टर पुनर्नियुक्ति पर कर सकेंगे काम
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के सरकारी चिकित्सकों में लम्बे समय से चली आ रही उहापोह और अगर-मगर की स्थिति पर आज विराम लग गया। शासन के साथ बैठक में साफ हो गया कि डॉक्टरों की रिटायरमेंट की आयु जो वर्तमान में 62 वर्ष है, इसे बढ़ाया नहीं जायेगा। आपको बता दें कि पिछले लम्बे समय से रिटायरमेंट आयु 70 वर्ष किये जाने के प्रस्ताव पर शासन में चर्चा चल रही थी।
महासचिव डॉ अमित सिंह ने बताया कि आज 27 अगस्त को प्रान्तीय चिकित्सा सेवा संघ उ0प्र0 के प्रतिनिधियों एवं उत्तर-प्रदेश शासन चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के बीच चिकित्सकों की रिटायरमेंट एवं अधिवर्षता आयु के संम्बध में बैठक संम्पन्न हुई। बैठक में शासन की तरफ से प्रमुख सचिव देवेश चतुर्वेदी, सचिव हेकाली झीमोमी महानिदेशक डॉ पदमाकर सिंह एवं डॉ उमाकान्त महानिदेशक परिवार कल्याण, मिशन निदेशक पंकज कुमार, निदेशक प्रशासन पूजा पांण्डेय तथा संघ की तरफ से अध्यक्ष डॉ सचिन वैश्य, महासचिव डॉ अमित सिंह, उपाध्यक्ष मुख्यालय डॉ विकासेन्दु अग्रवाल, उपाध्यक्ष डॉ विनय कुमार सिंह यादव ने प्रतिभाग किया।
उन्होंने बताया कि बैठक ने अधिवर्षता आयु बढ़ाये जाने से होने वाले परिणामों के विषय में गहनता से विचार-विमर्श हुआ, दोनों पक्षों से अपने-अपने तर्क दिये गये। संघ की केन्दीय कार्यकारिणी के तरफ से शासन के हर प्रश्न का औचित्यपूर्ण एवं व्यावहारिक समाधान सुझाया गया। केन्दीय कार्यकारिणी की तरफ से सरकार को संघ के अभिमत से अवगत कराया, साथ ही साथ यह सुझाव दिया गया कि शासन को चिकित्सकों की संख्या बढ़ाने के लिए क्या-क्या व्यावहारिक, अल्पकालिक एवं दीर्घकालिक प्रयास किये जाने चाहिए।
शासन ने संघ की यह मांग मान ली और सहमति व्यक्त की कि चिकित्सकों को 62 वर्ष की आयु पर अवकाश प्राप्त की समस्त लाभ देते हुए सेवा निवृत्त किया जाएगा। 62 वर्ष की आयु के पश्चात जो चिकित्सक कार्य करना चाहेगें, उन्हें सरकार पुनर्नियोजित निःसर्वगीय पदों या अन्य स्रोतों से गैर प्रशासनिक पदो पर पुनर्नियुक्त करेगी। पुनर्नियोजन 62 वर्ष से 65 वर्ष तक तीन साल के लिए एक साथ किया जायेगा।