विभागीय विशेष सचिव की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति गठित, चार दिनों में मांगी रिपोर्ट
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग में हुए पैरामेडिकल स्टाफ के तबादलों में भारी अनियमितता और भ्रष्टाचार की शिकायतों पर शासन के कड़ा रुख अपनाया है। मंगलवार को इसकी जांच के लिए विशेष सचिव की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गयी है। यह समिति चार दिनों के अपनी रिपोर्ट चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव को सौंपेगी।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के विशेष सचिव रमेश कुमार त्रिपाठी की अध्यक्षता में गठित इस समिति में विभाग के उप सचिव प्राणेश चंद्र शुक्ल व अनुसचिव डॉ जेएल यादव को सदस्य बनाया गया है।
आपको बता दें कि वार्षिक स्थानांतरण की प्रक्रिया में किये गये पैरामेडिकल कर्मियों के तबादलों में भारी अनियमितता और भ्रष्टाचार की शिकायतें मिल रही थीं। इस सम्बन्ध में लिस्ट जारी होने से पूर्व भी संगठन नेताओं ने मुख्यमंत्री से मिलकर यह आशंका जतायी थी कि जो तबादले की लिस्ट तैयार हो रही है उसमें सरकार की नीति का पालन नहीं हुआ है। इस पर मुख्यमंत्री द्वारा आश्वासन भी दिया गया था।
इसके बाद भी 28 जून को फार्मासिस्ट की जो सूचियां निकलीं उनमें मृतक से लेकर रिटायर हो चुके लोगों के भी नाम थे। इसके अतिरिक्त नीति के विपरीत उन लोगों के भी तबादले कर दिये गये थे जिनके तबादले नहीं होने थे। हालांकि इस पर हो हल्ला होने के बाद महानिदेशक द्वारा 30 जून को एक संशोधित सूची निकाली गयी थी।
लेकिन तबादलों को लेकर की गयी मनमानी और विभागीय कार्यप्रणाली को लेकर उठ रहे सवालों के बीच मंगलवार को शासन ने तबादलों को लेकर अपनायी गयी प्रक्रिया की जांच का फैसला किया और आठ बिन्दुओं को स्पष्ट करते हुए उन पर समिति से जांच करने के आदेश दिये हैं, साथ ही इसकी रिपोर्ट काररवाई की संस्तुति सहित चार दिनों के अंदर मांगी है।