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लोहिया संस्‍थान के अस्‍पताल ने की ‘एच टाइप टीईएफ’ ग्रस्‍त बच्‍चे की दुर्लभ सर्जरी

साठ हजार से एक लाख बच्‍चों में एक को होती है यह बीमारी

सांस और भोजन की नलियां होती हैं आपस में जुड़ी हुई

लखनऊ। लोहिया संस्‍थान के राम प्रकाश गुप्‍त मेमोरियल मातृ एवं शिशु स्‍टेट रेफरल चिकित्‍सालय में चिकित्‍सकों ने जन्‍मजात एवं दुर्लभ बीमारी एच टाइप टीईएफ (ट्रेक्‍यो ओयसोफेजियल फि‍स्‍चुला) से ग्रस्‍त शिशु का सफल ऑपरेशन कर उसे नयी जिन्‍दगी दी है। इस बीमारी में जन्‍म से नवजात शिशु की सांस नली और आहार नली आपस में जुड़ी होती है। यह नवजात शिशुओं की एक अत्‍यंत दुर्लभ जन्‍मजात बीमारी है, जो तकरीबन 60,000 से 1 लाख शिशुओं में किसी एक में पायी जाती है। इसका निदान एवं उपचार कठिन होता है। इसमें बच्‍चा जब दूध पीता है तो भोजन नली से दूध का रिसाव श्‍वास नली में भी होता है, इससे बच्‍चा नीला पड़ने लगता है, उसे सांस लेने में दिक्‍कत होती है, उसका पेट भी फूलने लगता है।

 

यह जानकारी ऑपरेशन करने वाले डॉ श्रीकेश ने दी है। डॉश्रीकेश के अनुसार मेडिकल साहित्य में इस बीमारी के बहुत कम केस अंकित हैं।  ऐसा ही एक नवजात चिनहट लखनऊ की रहने वाली बेबी गीता को पीडियाट्रि‍क्‍स विभाग में भर्ती किया गया था एवं लक्षणों के आधार पर इस बीमारी का पता चला। उनके अनुसार डॉक्टरों ने सर्जरी विभाग में भर्ती कर ऑफिस करने का निर्णय लिया डॉक्टर के अनुसार शिशु का वजन सिर्फ 2 किलो था इसलिए ऑपरेशन और बेहोश करने का खतरा ज्यादा था लेकिन माता-पिता ने ऑपरेशन की मंजूरी दे दी।

बताया जाता है कि डॉक्टर ने ऑपरेशन के दौरान यह पाया गया कि श्‍वास एवं भोजन नली आपस में जुड़े थे और उसके ऊपर रक्‍त की धमनी जा रही थीं। ऑपरेशन कर दोनों नलियों को अलग-अलग किया गया। इस पूरी प्रक्रिया में 90 मिनट का समय लगा एवं रक्त का कोई स्राव नहीं हुआ बच्चे को एक दिन वेंटिलेटर पर रखा गया तथा ऑपरेशन के आठवें दिन उसको छुट्टी दे दी गई इस समय बच्चा पूर्ण रूप से स्वस्थ है तथा सांस लेने में कोई तकलीफ नहीं है।

 

इस ऑपरेशन को करने वाली टीम के सदस्यों में पीडियाट्रिक सर्जन डॉक्टर श्रीकेश सिंह, डॉक्टर तनवीर रोशन, निष्चेतना विभाग से डॉक्टर शिल्पी मिश्रा, डॉ रवि, डॉक्टर संदीप डॉक्टर सचिन नाग के साथ सिस्टर किरण तथा गौरव शामिल थे डॉक्टर के साथ पीडियाट्रिक्स विभाग के डॉ केके यादव नियोनेटल आईसीयू के समस्त नर्सिंग स्टाफ एवं कर्मचारियों की देखरेख में बच्चा ऑपरेशन के बाद रहा संस्थान के निदेशक डॉ एके त्रिपाठी का कहना है कि सारी विकृतियों एवं बीमारियों के लिए यह अस्पताल एक बड़े रेफरल सेंटर के रूप में विकसित होगा।