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तम्‍बाकू पर पूर्ण प्रतिबंध की मांग को लेकर प्रो सूर्यकांत ने मोदी को लिखा पत्र

सरकार को प्रतिवर्ष 73,500 करोड़ का घाटा और 10 लाख लोगों को मौत देती है तम्‍बाकू

डॉ सूर्यकांत

लखनऊ। भारत में 450 वर्ष पूर्व सरकार के लिए कमाऊ पूत के रूप में चलन में आने वाली तम्‍बाकू वर्षों पूर्व से जानलेवा और डुबाऊ पूत बन चुकी है। 31 हजार करोड़ रुपये राजस्‍व के रूप में कमाने वाली तम्‍बाकू इससे बीमार होने वाले रोगियों के उपचार में एक लाख चार हजार पांच सौ करोड़ रुपये खर्च कराकर यानी 73,500 करोड़ रुपये का चूना तो लगा ही रही है। साथ ही यह तम्‍बाकू हर साल 10 लाख लोगों को मौत भी दे रही है। केजीएमयू के रेस्‍पाइरेटरी मेडिसिन विभाग के विभागाध्‍यक्ष प्रो सूर्यकांत ने प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी को गुरुवार 30 मई को एक पत्र लिखकर समाज और देश हित में तम्‍बाकू की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की है। यही नहीं इसके लिए तीन सूत्रीय सुझाव भी दिये हैं।

 

प्रो सूर्यकांत ने प्रधानमंत्री मोदी को सम्‍बोधित अपने पत्र में उनको दोबारा सत्‍ता में आने के लिए बधाई देते हुए लिखा है कि अनेक रिसर्च में यह साबित हो चुका है कि तम्‍बाकू का सेवन 40 तरह के कैंसर और 25 तरह की दूसरी बीमारियां पैदा करता है। इसके चलते हर वर्ष पूरे विश्‍व में 70 लाख तथा भारत में 10 लाख लोग मौत के शिकार हो जाते हैं।

 

पत्र में लिखा है कि भारत सरकार के 2015-16 के आंकड़ों के अनुसार तम्‍बाकू बिक्री से एक साल  में 31 हजार करोड़ रुपये का जहां राजस्‍व प्राप्‍त होता है वहीं तम्‍बाकू से होने वाली बीमारियों के उपचार में सरकार का 1,04,500 करोड़ रुपये खर्च होते है, यानी यह आर्थिक रूप से भी लाभदायक नहीं है। पत्र के अनुसार वर्ष 2017 में प्रकाशित ग्‍लोबल एडल्‍ट टोबैको सर्वे के अनुसार 15 साल से ऊपर की आयु वाले 34.6 प्रतिशत लोग तम्‍बाकू का सेवन करते हैं, तथा इनमें से 8.7 प्रतिशत लोग सिगरेट-बीड़ी में तम्‍बाकू का प्रयोग करते हैं जबकि 20.6 प्रतिशत लोग तम्‍बाकू को खाने के रूप जैसे खैनी जर्दा में तथा 5.3 प्रतिशत लोग दोनों तरह से तम्‍बाकू का सेवन करते हैं।

 

प्रो सूर्यकांत ने सुझाव दिया है कि तम्‍बाकू की खेती, उत्‍पाद बनने, बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के कारण इस उद्योग में लगे लोगों के वैकल्पिक रोजगार की व्‍यवस्‍था करनी होगी। उदाहरण के लिए अगर इनसे जहर यानी तम्‍बाकू की खेती बंद कराकर अमृत यानी फूलों की खेती करायी जाये तो फायदेमंद होगा। पत्र में लिखा है कि यह बात एकबार पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी कहीं थी। इसके अलावा सिगरेट एंड अदर टोबैको प्रोडक्‍ट्स  एक्‍ट्स (कोटपा) 2003 का पूर्ण रूप से पालन किये जाने का सुझाव दिया गया है। आपको बता दें कि पिछले वर्ष मई 2018 में भी प्रो सूर्यकांत ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर तम्‍बाकू पर रोक लगाने की मांग की थी।