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तनाव को अवसाद में न बदलने दें, बात करें-परेशानी दूर करें

विश्व स्वास्थ्य दिवस पर आईएमए भवन में आयोजित कार्यक्रम में दीप प्रज्ज्वलित करतीं महंत देव्यागिरी, डॉ एससी तिवारी, डॉ पीके गुप्ता, डॉ जेडी रावत, डॉ रमाकांत।

लखनऊ। इण्डियन मेडिकल एसोसिएशन की लखनऊ शाखा में आज विश्व स्वास्थ्य दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस वर्ष की विश्व स्वास्थ्य दिवस की थीम अवसाद आओ बात करें विषय पर आधारित इस कार्यक्रम में जहां चिकित्सकों ने अवसाद और इसके चलते की जाने वाली आत्महत्या के कारणों, पहचान और उपचार पर प्रकाश डाला वहीं अवसाद पर आध्यात्मिक पहलू की जानकारी के लिए विशेष रूप से आमंत्रित मनकामेश्वर मंदिर की महंत देव्यागिरी ने भी अपने विचार रखे। ज्ञात हो आईएमए लखनऊ ने विश्व स्वास्थ्य संगठन से समग्र स्वास्थ्य की परिभाषा में आध्यात्मिक स्वास्थ्य को शामिल करने की मांग भी की है।

वात-पित्त-कफ में असंतुलन है मनोअवसाद

किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के वृद्धावस्था मानसिक रोग विभाग के प्रमुख डॉ एससी तिवारी ने अवसाद की परिभाषा बताते हुए कहा कि हमारी भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद में कहा गया है कि सात्विक, राजस, तामस तथा वात-पित्त-कफ में असंतुलन की स्थिति ही मनोअवसाद है। इसी प्रकार आधुनिक चिकित्सा में बायोलॉजिकल फैक्टर, साइको सोशल फैक्टर के कारण अवसाद की स्थिति पैदा होती है।

बच्चों पर अनावश्यक दबाव न डालें माता-पिता

मनोचिकित्सक डॉ अलीम सिद्दीकी ने अवसाद के कारण होने वाली आत्महत्याओं के बारे में बताया कि अवसाद का कारण प्रोफेशन या करियर देखा गया है। नौकरी न मिलने पर परेशान रहना या अपने करियर को लेकर परेशान रहना या फिर माता-पिता का करियर को लेकर बच्चों पर अत्यधिक दबाव डालना है। माता-पिता को यह समझना होगा कि वे अपने बच्चे पर अनावश्यक दबाव न बनायें। उन्होंने बताया कि अभी हाल ही में भारत सरकार ने मेन्टल हेल्थ बिल पास किया है जिसमें आत्महत्या को आपराधिक कृत्य की श्रेणी से हटा दिया गया है, यह बहुत कुछ अवसाद की अंतिम अवस्था है। उन्होंने कहा कि समय रहते अवसाद का इलाज कर लिया जाये तो मरीज बिल्कुल ठीक हो जाता है।  उन्होंने कार्यक्रम में मौजूद लोगों से कहा कि यदि आपको कोई अवसाद का शिकार व्यक्ति मिल जाये तो उससे बात जरूर करें और उसके मन की बात अवश्य जानने की कोशिश करें अगर वह आत्महत्या की बात करता है तो उसे अवश्य ही काउंसलिंग की आवश्यकता है ताकि उस दिक्कत का निवारण कर उसे स्वस्थ करने में मदद मिल सके।

अपने मनपसंद काम के लिए समय अवश्य निकालें

एक अन्य मनोचिकित्सक डॉ शाश्वत सक्सेना ने बताया कि तनाव और अवसाद दो अलग चीजें हैं। तनाव की कोई दवा नहीं है लेकिन अवसाद की दवा है। उन्होंने कहा कि तनाव बहुत सी चीजों को लेकर हो सकता है यह कोई विशेष बात नहीं है, लेकिन यह तनाव अगर लगातार रहे तो जरूर सोचने की बात है। उन्होंने कहा कि अगर लगातार 15 दिनों तक व्यक्ति तनाव में रह रहा है तो परिवार वालों को चाहिये कि वह चिकित्सक से अवश्य सम्पर्क करें। उन्होंने कहा यदि व्यक्ति के व्यवहार में बदलाव आने लगे जैसे उदासी, किसी गतिविधियों में रुचि न रखना, गुमसुम हो जाना, कार्यक्षमता में कमी आते जाना जैसे लक्षण अवसाद के हो सकते हैं।  उन्होंने कहा कि नींद पूरी करें, नियमित व्यायाम करें तथा अपनी पसंद के काम के लिए समय अवश्य निकालें।

स्कूली बच्चों को किया गया पुरस्कृत

कार्यक्रम की शुरुआत में आईएमए लखनऊ के अध्यक्ष डॉ पीके गुप्ता ने आये हुए अतिथियों तथा स्कूली बच्चों का स्वागत करते हुए बताया कि आईएमए लखनऊ ने इस विश्व स्वास्थ्य संगठन की डायरेक्टर जनरल डॉ मार्गरेट चान को पत्र लिखकर समग्र स्वास्थ्य की परिभाषा में बदलाव करने का आग्रह किया है, जिसमें कहा गया  ्रहै कि परिभाषा में शारीरिक, मानसिक और सामाजिक खुशहाली के साथ आध्यात्मिक खुशहाली की अवस्था को भी जोड़ दिया जाये जिससे समग्र स्वास्थ्य की परिभाषा पूरी होगी। आईएमए की लखनऊ शाखा के सचिव डॉ जेडी रावत ने बताया कि डिप्रेशन से बचने के लिए नियमित  व्यायाम, ध्यान, रुचि की चीजों में समय दें, उन्होंने नशे से्र बचने तथा परिवार के साथ समय बिताने की सलाह दी। कार्यक्रम में आये हुए स्कूली बच्चों को पुरस्कृत भी किया गया। इस मौके पर आईएमए के वरिष्ठï सदस्य डॉ एएम खान, डॉ रुखसाना खान, डॉ एससी श्रीवास्तव सहित अनेक चिकित्सक व अन्य लोग उपस्थित रहे।

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