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85 फीसदी फेफड़े के कैंसर का कारण है धूम्रपान

-सबसे ज्यादा होता स्तन कैंसर है, लेकिन सर्वाधिक मौतें होती हैं फेफड़े के कैंसर से

-वर्ल्ड लंग कैंसर डे के मौके पर केजीएमयू के पल्मोनरी एण्ड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग ने आयोजित की पत्रकार वार्ता

सेहत टाइम्स

लखनऊ। दुनिया भर में सर्वाधिक होने वाला कैंसर ब्रेस्ट कैंसर हैं, जबकि दूसरे नम्बर पर लंग यानी फेफड़े का कैंसर है, भारत में स्तन, मुंह और गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के बाद फेफड़ों का कैंसर चौथा सबसे ज्यादा होने वाला कैंसर है। कैंसर से होने वाली मौत की संख्या की बात करें तो सर्वाधिक मौत का जिम्मेदार लंग यानी फेफड़े का कैंसर है, क्योंकि इसकी मुख्य वजह लंग कैंसर के रोगियों का देर से डॉक्टर के पास पहुंचना है, यदि शुरुआत में ही इलाज शुरू हो जाये तो 60 प्रतिशत मरीजों के पांच साल जीवन जीने की संभावना बढ़ जाती है, जबकि रोग के एडवांस स्टेज में पहुंचने के बाद डॉक्टर के पास पहुंचने पर यह प्रतिशत घटकर सिर्फ 6 प्रतिशत रह जाता है।। लंग कैंसर होने के कारणों की बात करें तो 85 प्रतिशत यह धूम्रपान की वजह से होता है, जबकि 15 प्रतिशत दूसरे अन्य कारकों में निष्क्रिय धूम्रपान, रेडॉन गैस, एस्बेस्टस और अन्य पर्यावरणीय विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आना एवं आनुवांशिक कारक शामिल है। ऐसे अगर हम प्रभावी ढंग से इस पर अंकुश लगाना चाहें तो इसके शीघ्र इलाज और धूम्रपान छोड़ने के प्रति लोगों को जागरूक करके किया जा सकता है।

यह बात वर्ल्ड लंग कैंसर डे की पूर्व संध्या पर आज 31 जुलाई को केजीएमयू के पल्मोनरी एण्ड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग द्वारा आयोजित पत्रकार वार्ता में विभागाध्यक्ष प्रो वेद प्रकाश ने जानकारी देते हुए कही। उन्होंने कहा कि इस पर अंकुश के लिए पहला कदम यह होना चाहिये कि जिन्हें लंग कैंसर के लक्षण हैं, वे जल्दी से जल्दी कैंसर की प्रारम्भिक स्टेज पर ही डॉक्टर के पास पहुंचे और दूसरा हमें धूम्रपान करने वालों की अच्छे से काउंसिलिंग करके उन्हें धूम्रपान छोड़ने के लिए प्रेरित करना होगा। डॉ वेद ने कहा कि धूम्रपान करने वालों से मैं अपील करता हूं कि धूम्रपान करके अपने जीवन को मौत की भेंट न चढ़ायें, कोशिश करें कि इसे छोड़ दें, और जब तक नहीं छोड़ पा रहे हैं, तब तक घर में भी धू्म्रपान अकेले में और खुली जगह पर करें जिससे उसके धुआं से परोक्ष धूम्रपान का शिकार परिवार के दूसरे लोग न बनें।

उन्होंने कहा कि इस वर्ष की थीम “देखभाल की कमी को दूर करें: हर किसी को कैंसर देखभाल तक पहुँच का अधिकार (“Close the Care Gap : Everyone Deserves Access to Cancer Care.”) है।” इसलिए हम सबको यह प्रयास करना चाहिये कि इस मसले पर लोगों को जागरूक करें। उन्होंने बताया कि दुनिया में हर साल 22 लाख नये लंग कैंसर रोगी हो जाते हैं, जबकि हर साल 18 लाख की मौत हो जाती है। भारतवर्ष में अनुमानित रूप से लगभग 67,000 नए मामले हर साल सामने आते है। उन्होंने कहा कि सभी के लिए सस्ती और सुलभ फेफड़ों के कैंसर की जांच, निदान और उपचार के विकल्प सुनिश्चित करके, हम देखभाल के अंतर को समाप्त कर सकते हैं और यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि हर किसी को फेफड़ों के कैंसर से लड़ने का उचित मौका मिले। उन्होंने कहा कि सीटी स्कैन से प्रारंभिक स्टेज के फेफड़ों के कैंसर का पता लगा सकते हैं।

डॉ वेद ने बताया कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों में फेफड़ों के कैंसर अधिक होता हैं, परन्तु आजकल यह देखा जा रहा है कि महिलाओं में भी फेफड़ों के कैंसर की दर बढ़ रही है, जिसका प्रमुख कारण पिछले दशकों में महिलाओं में धूम्रपान की बढ़ती दर है।

फेफड़े के कैंसर के लक्षण

डॉ वेदप्रकाश ने बताया कि फेफड़े के कैंसर के लक्षणों की बात करें तो लगातार खांसी रहना, खांसी में खून आना, सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ, गला बैठना, वजन घटना, भूख न लगना, थकान, बार-बार संक्रमण होना, चेहरे या गर्दन में सूजन, हड्डी में दर्द, सिरदर्द, इत्यादि लक्षण फेफडे के कैंसर के रोगियों को हो सकते है।

डॉ वेद ने बताया कि फेफड़ों के कैंसर का उपचार कई कारकों पर निर्भर करता है, जिसमें कैंसर के प्रकार और स्टेज के साथ-साथ रोगी का समग्र स्वास्थ्य भी शामिल है। शुरूआती स्टेज के फेफड़ों के कैंसर के लिए सर्जरी की जा सकती है। इसके अलावा विकिरण थैरेपी का उपयोग कैंसर कोशिकाओं को लक्षित करने और मारने के लिए किया जाता है, अक्सर इसका उपयोग तब किया जाता है जब सर्जरी का कोई विकल्प नहीं होता है। इसी प्रकार कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए दवाओं का उपयोग किया जाता है, इसका इस्तेमाल एडवांस स्टेज के फेफडे़ के कैंसर के लिए किया जाता है।

उन्होंने बताया कि हमारा विभाग ब्रोंकोस्कोपी, थोरैकोस्कोपी और ईबीयूएस अल्ट्रासाउंड सहित अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है, जो फेफड़ों के कैंसर का सटीक और समय पर निदान सुनिश्चित करता है। इसके अतिरिक्त, विभाग केंद्रीय वायुमार्ग अवरोध जैसे जटिल मामलों के समाधान के लिए रिजिड ब्रोंकोस्कोपी और क्रायो-बायोप्सी एवं एयर-वे स्टैन्टिंग जैसी उन्नत प्रक्रियाएं प्रदान करता है। अत्याधुनिक देखभाल प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध, विभाग नवीनतम दिशानिर्देशों के अनुरूप, कीमोथेरेपी, टार्गेटड थेरेपी और इम्यूनोथेरेपी सहित फेफड़ों के कैंसर के लिए नवीनतम उपचारों का प्रबंधन करता है।

पत्रकार वार्ता में प्रो0 वेद प्रकाश के साथ ही प्रो0 राजेन्द्र प्रसाद (भूतपर्व डायरेक्टर वी0पी0सी0आई0), प्रो0 राजीव गुप्ता (रेडियेशन ऑन्कोलाॅजी विभाग), प्रो0 शैलेन्द्र कुमार (थोरैसिक सर्जरी विभाग) डा0 चंचल राणा (अपर आचार्य पैथोलाॅजी विभाग), डा0 शिव राजन, (अपर आचार्य, सर्जिकल ऑन्कोलाॅजी विभाग, डा0 इशा जफा, सहायक आचार्य मेडिकल ऑन्कोलाॅजी भी शामिल रहे।

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