‘कब और कैसे करें’ रेफर के बारे में बताया पीजीआई के डीन डॉ राजन सक्सेना ने
लखनऊ। संजय गांधी पीजीआई के डीन डॉ राजन सक्सेना ने जानकारी देते हुए कहा है कि मरीजों विशेषकर गंभीर हालत वाले मरीजों को कब और कैसे दूसरे अस्पताल के लिए रेफर करना चाहिए। उन्होंने कहा कि रेफर हमेशा मरीज के हित में होना चाहिये। उन्होंने कहा कि 30 प्रतिशत मरीज पीजीआई में ऐसे आ जाते हैं जिनका इलाज दूसरी जगह भी हो सकता है, लेकिन उनके भर्ती होने से होता यह है कि जरूरत वाले मरीजों की भर्ती में दिक्कत होती है।
लखनऊ नर्सिंग होम एसोसिएशन के प्रांगण में लखनऊ नर्सिंग होम एसोसिएशन की ओर से आयोजित सतत चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रम में उन्होंने पीएचसी, सीएचसी, जिला अस्पताल, मेडिकल कॉलेज के साथ-साथ प्राइवेट अस्पतालों को मरीज को कब और कैसे रेफर करना चाहिये, इसके बारे में भी बताया। डॉ सक्सेना ने कहा कि मरीज को समय रहते रेफर कर देना चाहिये। उन्होंने कहा कि अगर मरीज की हालत गंभीर है तो पहले मरीज की स्थिति स्टेबल कर लें उसके बाद उसे जहां रेफर कर रहे हैं सम्भव हो तो वहां के डॉक्टर से बात कर लें, तभी रेफर करें। डॉ सक्सेना ने बताया कि अगर आपको महसूस होता है कि रोगी को आईसीयू की जरूरत पड़ सकती है, तो जहां पर आप रेफर कर रहे हैं वहां सुनिश्चित कर लें कि आईसीयू में बेड खाली है या नहीं। उन्होंने बताया कि रेफर करते समय मरीज की हिस्ट्री उस डॉक्टर को ई मेल, फैक्स, सोशल मीडिया के माध्यम से जरूर भेज दें ताकि जहां भेज रहे हैं वहां चिकित्सक को मरीज के बारें में पहले के इलाज आदि की जानकारी हो सके। यदि संभव हो तो मैसेज के जरिये अस्पताल से लिखित पुष्टि प्राप्त कर लें, तभी मरीज को भेजें।
डॉ सक्सेना ने बताया कि रेफर करते समय रोगी के परिजन को साफ-साफ बता दें कि आप मरीज को क्यों रेफर कर रहे हैं, यदि आपको किसी बात की शंका है तो वह भी व्यक्त कर दें। आपको बता दें कि डॉ राजन सक्सेना पीजीआई में लिवर ट्रांसप्लांट यूनिट भी चला रहे हैं। डॉ राजन ने बताया कि उनकी योजना है कि व़ह एक हेल्पलाइन शुरू करेंगे जिस पर मरीजों की काउंसलिंग की जा सकेगी। उन्होंने कहा कि अगर किसी मरीज को बायल डक्ट इंजरी की शिकायत हो जाये तो ऐसे मरीज की सूचना संस्थान को देकर उसका इलाज पीजीआई की यूनिट में करने की योजना पर कार्य चल रहा है। यहां पर इस बीमारी के ठीक करने वाले विशेषज्ञों की निपुण टीम है जो तुरंत इलाज करके मरीज की जान बचा सकती है। आपको बता दें कि बायल डक्ट इंजरी की शिकायत 1000 में एक व्यक्ति को होती है।