-तम्बाकू छोड़ना मुश्किल तो है लेकिन असंभव नहीं : डॉ. मुकेश मतानहेलिया
-“बच्चों को तंबाकू उद्योग के हस्तक्षेप से बचाना” विषय पर केजीएमयू में राज्य स्तरीय कार्यशाला आयोजित
सेहत टाइम्स
लखनऊ। विश्व तंबाकू निषेध दिवस के उपलक्ष्य में आज “बच्चों को तंबाकू उद्योग के हस्तक्षेप से बचाना” विषय पर राज्य स्तरीय कार्यशाला आयोजित की गई। इस कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम (एनटीसीपी), उत्तर प्रदेश और यू.पी. वॉलंटरी हेल्थ एसोसिएशन (यूपीवीएचए) द्वारा किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू), श्वसन चिकित्सा विभाग, पल्मोनरी पुनर्वास केंद्र, तंबाकू निषेध क्लिनिक और ड्रग रेसिस्टेंट टीबी केयर के लिए अंतरराष्ट्रीय केंद्र के सहयोग से किया गया। यह कार्यक्रम केजीएमयू के श्वसन चिकित्सा विभाग के ऑडिटोरियम में आयोजित हुआ।
कार्यशाला में तंबाकू नियंत्रण के क्षेत्र के प्रतिष्ठित वक्ताओं और विशेषज्ञों ने भाग लिया, जिनमें एनटीसीपी, यूपी के राज्य नोडल अधिकारी डॉ. मुकेश मतानहेलिया, केजीएमयू के श्वसन चिकित्सा विभाग के प्रमुख डॉ. सूर्य कांत, एनटीसीपी के राज्य सलाहकार सतीश त्रिपाठी, केजीएमयू, लखनऊ के श्वसन चिकित्सा विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. अंकित कुमार और यूपीवीएचए के कार्यकारी निदेशक विवेक अवस्थी शामिल थे।
डॉ. मुकेश मतानहेलिया ने तंबाकू उद्योग की उन खतरनाक रणनीतियों पर प्रकाश डाला, जो युवाओं और बच्चों को लक्षित करती हैं। उन्होंने तंबाकू छोड़ने की कठिनाई को रेखांकित किया, लेकिन जोर देकर कहा कि यह लगातार प्रयासों से संभव है।
इसके बाद, अगले वक्ता डॉ सूर्य कान्त ने बताया कि तम्बाकू उत्पादों के सेवन से विश्व में हर साल जहां 80 लाख लोग दम तोड़ देते हैं वहीँ भारत में इससे हर साल 13.5 लाख लोगों की मौत हो जाती है। डॉ. सूर्यकान्त का कहना है कि आंकड़ों के मुताबिक़ देश में करीब 27 करोड़ लोग तम्बाकू का सेवन करते हैं। इनमें से 2.2 करोड़ 13 से 15 वर्ष के बीच के किशोर-किशोरियां हैं। इनमें 7.7 करोड़ युवा बंद सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान के संपर्क में आते हैं, जिनमें से लगभग एक करोड़ घर पर धूम्रपान के संपर्क में आते हैं। केवल धुआं रहित तंबाकू के सेवन से हर साल करीब दो लाख से ज्यादा भारतीयों की मौत हो जाती है।
डॉ. सूर्यकान्त के मुताबिक़ तम्बाकू के कारण 25 तरह की बीमारियां व 40 तरह के कैंसर हो सकते हैं। इनमें प्रमुख हैं- मुँह का कैंसर, गले का कैंसर, फेफड़े का कैंसर, प्रोस्टेट का कैंसर, पेट का कैंसर, ब्रेन ट्यूमर आदि। डॉ. सूर्यकान्त तम्बाकू के दूष्प्रभावों को देखते हुए पिछले पांच वर्षो (सन 2018) से भारत के प्रधानमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखकर तम्बाकू के उत्पादन, भण्डारण तथा ब्रिकी पर रोक लगाने की मुहिम चला रहे हैं।
सतीश त्रिपाठी ने 2003 के सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (COTPA) और इसके नियमों पर विस्तार से चर्चा की, और सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा के लिए सख्त प्रवर्तन के महत्व पर जोर दिया। विवेक अवस्थी ने तंबाकू उद्योग की आक्रामक रणनीतियों के खिलाफ सतर्कता की अपील की और तंबाकू उपयोग को समाप्त करने के प्रयासों का समर्थन करने का आग्रह किया। विश्व तंबाकू निषेध दिवस उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में विभिन्न गतिविधियों के साथ मनाया गया, जिसका उद्देश्य जागरूकता बढ़ाना और तंबाकू छोड़ने को प्रोत्साहित करना था।
अंत में, कार्यशाला ने तंबाकू उपयोग के खिलाफ लड़ाई में स्वास्थ्य विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं और सामुदायिक नेताओं को एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान किया। इस कार्यक्रम ने तंबाकू उद्योग की शोषणकारी रणनीतियों से बच्चों की रक्षा के महत्व को रेखांकित किया और उत्तर प्रदेश के तंबाकू मुक्त भविष्य के प्रति प्रतिबद्धता को मजबूत किया। तंबाकू नियंत्रण में महत्वपूर्ण प्रगति हासिल करने और सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए सभी हितधारकों के बीच निरंतर प्रयास और सहयोग आवश्यक है।