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पश्चिमी दुनिया ने योग का आध्यात्मिक पक्ष भुला दिया

प्राचीन भारतीय ऋषियों की धरोहर है योग : डॉ देवेश

लखनऊ। पश्चिमी दुनिया से जब योग का परिचय हुआ तो इसे मात्र शारीरिक व्यायाम के रूप में देखा जाने लगा, और इसके आध्यात्मिक पक्ष को भुला दिया गया है। जबकि सच यह है कि योग एक नई खोज नही है अपितु यह हमारे प्राचीन भारतीय ऋषियों की धरोहर है हठयोग-प्रदीपिका, घेरण्ड संहिता, पतंजलि योग, शिव संहिता आदि योग के शास्त्र ग्रंथों में हमे योग के स्वास्थ संवर्धक, रोग प्रतिरोधक, रोग निवारक तथा स्वास्थ्य पुन:स्थापक के विषय मे विशेष जानकारी मिलती है।

डॉक्टर देवेश श्रीवास्तव

यौगिक क्रियाओं का असर आधुनिक मशीनों से जांचा परखा जा चुका है

यह जानकारी देते हुए वरिष्ठ आयुर्वेद एवं योग विशेषज्ञ डॉ देवेश कुमार श्रीवास्तव ने एक विशेष मुलाकात में ‘सेहत टाइम्स’ को बताया कि योग वास्तव में मनुष्य की शारीरिक और मानसिक  क्षमताओं के पूरे विकास के लिये बहुत लाभकारी है पुराने जमाने में इसे परमात्मा की प्राप्ति के रूप में अधिक महत्व दिया गया। आजकल इसे लंबी बीमारी और असाध्य बीमारियों के इलाज के रूप में भी देखा जा रहा है, यौगिक क्रियाओं के असर को आधुनिक मशीनों द्वारा जांचा परखा गया है और इससे आम जनता का विश्वास उसमे और मजबूत हुआ है, आज जरूरत भी इसी बात की है कि योग को जीवन शैली के रूप में अपनाया जाय ।
उन्होंने कहा कि यह वास्तव में प्रशंसनीय है कि प्रधान मंत्री ने योग को विश्व स्तर पर सम्मान दिलाते हुए विश्व योग दिवस की स्थापना कर विश्व मे भारतीय योग का परचम फहराया है।
उन्होंने कहा कि योगासन के लिए सुदृण नींव के बिना इमारत खड़ी नही हो सकती है यम नियम के तत्वों, जो चरित्र निर्माण में मजबूत बुनियाद बतलाया गया है के अभ्यास के बिना पूर्ण व्यक्तित्व नही हो सकता, यम और नियमों के आधार के बिना आसनों का अभ्यास नटों का खेल मात्र है। योग साधक से अनुशासन, विश्वास,जीवट और निरन्तर नियमित रूप से अभ्यास के लिए लगाव आदि गुण अपेक्षित है।

स्वच्छता और भोजन

कोई भी आसन करने से पहले पेट खाली होना चाहिए पेट मे कब्ज एसिडिटी हो तो पहले आयुर्वेद चिकित्सक से मिलकर पेट साफ होने के बाद ही आसन करने चाहिए।

किस समय करें योगासन

सुबह उठते ही शौचादि से निवृत्त होकर और शाम को भी सूर्यास्त के बाद किसी कुशल योग प्रशिक्षक से सीखकर या उसकी उपस्थिति में योगासन करना चाहिए।

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