लखनऊ। स्वास्थ्य विभाग के एक कर्मचारी का दर्द जो दिल से निकला और सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। दरअसल हुआ यूं कि पिछले दो-तीन माह से वेतन न मिलने से परेशान कर्मचारी अपनी परेशानियों से दुखी हो रहे हैं। चूंकि अपनी भड़ास निकालने का एक बहुत अच्छा प्लेटफॉर्म लोगों को व्हाट्स एप, फेसबुक आदि मिल गये हैं ऐसे में कर्मचारी ने अपनी दिल की बात कुछ यूं शब्दों में उकेरी है।
मैसेज में लिखा है कि..:
आदरणीय नायक जी, सप्रेम यथोचित, मैं अपने अंतर्मन के इस पत्र को आपके माध्यम से आदरणीय मुख्य चिकित्सा अधिकारी, लखनऊ को भेजना चाह रहा हूं। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र माल ….कर्मचारी हों या अधिकारी अपने बच्चों से बोलेगा न कि रुक जाओ 2-4 दिन में वेतन आ जायेगा, दूध का पैसा दे दूंगा, बिजली का सरकारी कर्जा चुका दूंगा, बेटा जो बाहर रहकर पढ़ाई करता है, उसके फोन को कितनी बार रिसीव करूं.. जरा ठहर जा, एक दिन उसका जवाब.. पापा परेशान मत होना मैंने अपने रूम मेट से कुछ पैसे उधार ले लिये, .. बेटा मैं क्या परेशान हूं, परेशान तो मेरा दिल है, जो कि कैसे बताऊं कि अभी और एक महीना वेतन लेट होगा। तेरा दोस्त तो तुझे, गरीब, कंगाल, कर्जखोर क्या-क्या बोलने वाला है.. दूध वाला पत्नी से बोलेगा बहन जी, गर्मियों के दिन हैं, गाय दूध कुछ कम दे रही, दो लीटर नहीं, अब एक लीटर दूध दूंगा।
ताना घर वालों का ताना कि रोज समय से ड्यूटी तो जाते हो कब मिलेगी तेरी पगार,,,अरे पगार नहीं लाचार हूं, पिछले मार्च और अप्रैल दो महीनों से और ये तीसरा महीना भी दस दिन बीत गया, सीएचसी माल में सेलरी नहीं मिली, क्या जो बाबू है न वो बड़ा लापरवाह है, समय से बिल नहीं बनाता.. ..आदरणीय सीएमओ सर, आपके बाबू इतने निर्मम हैं, क्या आप इस बात को नहीं जानते, आप तो परिवार के मुखिया हैं और आपने तो सिस्टम को नजदीक से देखा है.. .. बड़ी मुश्किल से आपके आदेशों को लगा कर 2006 वाला फिक्सेशन के लिए पत्र आपके कार्यालय को भेजवाया था। .. .. वापस कर दिया सर.. .. नहीं सही नहीं है, ये कह के फिर से भेजवाना.. .. सर जिस बाबू ने पिछले दो महीनों से वेतन नहीं दिया, मेरी क्या औकात, उससे मैं अपना फिर से पे फिक्सेशन भेजवा पाऊं।
सर ये दर्द खाली मेरा ही नहीं है, पिछले 2 महीनों से ढेर सारे कम वेतन पाने वाले भाइयों पर क्या गुजर रही होगी।.. ..बड़ी बेबसी है, सर.. .. सीएमओ ऑफिस के बाबूजी नाराज हो जायेंगे ये डर भी पता नहीं क्यों मेरे दिल से नहीं निकल रहा।
सर अब और कुछ हो न हो माल सीएचसी में पिछले दो महीनों से वेतन नहीं मिला, दिलवा दीजिये सर.. ..समाज और परिवार में और अधिक जलालत से बच जाये आपका कर्मचारी, जो आपके इस सिस्टम को चलाता है.. .. उसके घरेलू सिस्टम को धराशायी होने से बचा लीजिये।
आपका
वेदना, दबाव और लाचार कर्मचारी
जो गंदे हैं उन्हें गंदा बोलिये.. .. सबको नहीं
इस मैसेज की पड़ताल करने के लिए सेहत टाइम्स ने जब राजकीय फार्मेसिस्ट महासंघ उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष सुनील यादव से सम्पर्क किया तो उन्होंने बताया कि यह दुख भरा पत्र राजेश कुमार सिंह जो फार्मासिस्ट एसोसिएशन के प्रांतीय उपाध्यक्ष भी हैं, ने डिप्लोमा फार्मासिस्ट एसोसिएशन लखनऊ के जिला अध्यक्ष जेपी नायक को सम्बोधित करते हुए लिखा गया है। सुनील यादव ने बताया कि इस बारे में मैंने अन्य जिलों के कर्मचारियों से भी उनकी स्थिति के बारे में पूछा था तो अधिकांश जिलों में वेतन न मिलने की यही स्थिति सामने आयी है। उन्होंने बताया कि इस सम्बन्ध में जेपी नायक और डिप्लोमा फार्मासिस्ट एसोसिएशन लखनऊ के मंत्री आरआर चौधरी ने भी मुख्य चिकित्सा अधिकारी से बात की थी।
श्री यादव ने कहा कि कर्मचारियों के खिलाफ बहुत कुछ लगातार हो रहा है, क्या कर्मचारी सौतेला है, क्या कर्मचारी दोयम दर्जे का नागरिक है। समय पर वेतन नहीं, प्रोन्नति वेतनमान लम्बित, बकाया भुगतान होता नहीं, किसी की सर्विस बुक पूरी नहीं, किसी की जीपीएफ पासबुक पूरी नहीं, जो भी आता है कर्मचारी को डांट-फटकार लगाता है। आम जनता भी कर्मचारी को चोर समझती है, जब कर्मचारी पिसता है, और उस पर नकेल होती है, डांटा जाता है तो पब्लिक खुश होती है.. .. आखिर क्यों? क्या कर्मचारी इस समाज का हिस्सा नहीं है??? क्या सभी अधिकारी-कर्मचारी भ्रष्टï हैं???? जी नहीं साहब.. .. गंदगी तो कहीं भी हो सकती है, जो गंदे हैं उनको गंदा बोलिये लेकिन लाखों के समूह और परिवार को गंदा बोलना उचित नहीं है। आज कर्मचारी की छवि को एक विलेन की तरह पेश किया जा रहा है जो निश्चित ही चिंता जनक है।