-सिजेरियन ट्रेनिंग ऑफ जनरल सर्जन कार्यक्रम के प्रथम बैच की केजीएमयू में शुरुआत
सेहत टाइम्स
लखनऊ। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उत्तर प्रदेश की मिशन निदेशक पिंकी जोवेल ने कहा है कि मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए सिजेरियन ट्रेनिंग ऑफ जनरल सर्जन कार्यक्रम की शुरुआत तो की गई है लेकिन सर्वप्रथम प्रयास नॉर्मल डिलीवरी का ही करना चाहिए, सिर्फ जब अपरिहार्य हो तभी सिजेरियन करना चाहिए।
मिशन निदेशक ने यह बात आज यहां किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग में सिजेरियन ट्रेनिंग ऑफ जनरल सर्जन प्रशिक्षण के प्रथम बैच के प्रशिक्षण कार्यक्रम के अवसर पर आयोजित उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में दिए गए अपने संबोधन में कही। इस बारे जानकारी देते हुए केजीएमयू के स्त्री एवं प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की विभाग अध्यक्ष डॉ एसपी जैसवार ने बताया कि जनरल सर्जन को सिजेरियन प्रशिक्षण कार्यक्रम के पहले बैच की शुरुआत केजीएमयू में की गई है। 22 अप्रैल से शुरू हुआ यह प्रशिक्षण 3 मई तक चलेगा। 12 दिन के इस प्रशिक्षण में प्रथम दो दिन यानी 22 और 23 अप्रैल को केजीएमयू में प्रशिक्षण दिया गया अब बचे हुए 10 दिन का प्रशिक्षण जिला अस्पताल में दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि ट्रेनिंग के अंतिम दिन प्रशिक्षण पाए हुए सभी सर्जन पुनः प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग केजीएमयू में आएंगे जहां उनका असेसमेंट किया जाएगा।
इस अवसर पर केजीएमयू की कुलपति सम्मानित अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं तथा एनएचएम के अन्य अधिकारी एवं डीजी ट्रेनिंग भी मौजूद रहे। वक्ताओं ने कहा कि यह कार्यक्रम उत्तर प्रदेश के चिकित्सा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है जो सिजेरियन प्रशिक्षण के क्षेत्र में सामाजिक सेवा को और बढ़ावा देगा और साथ ही संशोधित चिकित्सा सेवाओं के प्रदाताओं की गुणवत्ता को सुनिश्चित करेगा इसके साथ ही मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम होना सुनिश्चित करेगा।