लखनऊ। शिवरात्रि के त्योहार में चारों ओर बम-बम भोले के साथ ही ॐ नम: शिवाय की गूंज सुनायी पड़ती है। आमतौर पर ऊॅं शब्द को धर्म से जोडक़र देखा जाता है लेकिन हम अगर ॐ शब्द की बात करें तो चिकित्सक भी इस बात को स्वीकार करते हैं कि इस शब्द का वैज्ञानिक महत्व भी है। इस शब्द की वैज्ञानिकता यह है कि इसका धीरे-धीरे उच्चारण करने से जो कम्पन पैदा होता है उससे शरीर के अंदर के बैक्टीरिया सांसों के साथ बाहर निकल जाते हैं। यही नहीं आसपास का वातावरण भी शुद्ध हो जाता है। इसके उच्चारण से थायरायड, तनाव सहित अनेक प्रकार के रोगों में लाभ मिलता है।
इस बारे में वरिष्ठï आयुर्वेद विशेषज्ञ व योगाचार्य डॉ देवेश श्रीवास्तव बताते हैं कि ॐ का उच्चारण करने से जहां वातावरण अभिमंत्रित हो जाता है वहीं शरीर के अंदर ॐ बोलने से जो कंपन पैदा होती है उससे शरीर के अंदर और आसपास जो टिशू में बैठे बैक्टीरिया सांसों के साथ बाहर निकल जाते हैं। उन्होंंने बताया कि ॐ शब्द का उच्चारण थायरायड ग्रंथि पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। इसी प्रकार घबराहट होने या अधीरता की स्थिति में भी ॐ का उच्चारण बहुत फायदेमंद है। उन्होंने बताया कि इसका उच्चारण शरीर के विषैले तत्वों को दूर करने में सहायक होता है यानी तनाव में पैदा होने वाले द्रव्यों पर नियंत्रण करता है। यही नहीं यह खून के प्रवाह को संतुलित रखता है। इसके उच्चारण से पाचन शक्ति तेज होती है तथा शरीर में युवावस्था वाली स्फूर्ति का संचार होता है।
फेफड़ों में मजबूती प्रदान करता है ऊॅं का उच्चारण
डॉ देवेश ने बताया कि ॐ के उच्चारण से थकान भी दूर होती है साथ ही ॐ के उच्चारण से नींद न आने की समस्या भी कुछ ही समय में दूर हो जाती है, उन्होंने कहा कि रात को सोते समय नींद न आने पर इसका मन ही मन में उच्चारण करें, निश्चित ही नींद आ जायेगी। उन्होंने बताया कि कुछ विशेष प्राणायाम के साथ ऊॅं का उच्चारण करने से फेफड़ों में मजबूती आती है। उन्होंने बताया कि ॐ के पहले शब्द का उच्चारण करने से रीढ़ की हड्डी प्रभावित होती है और इसकी क्षमता बढ़ जाती है। उन्होंने बताया कि ॐ का उच्चारण करने से पूरा शरीर तनाव-रहित हो जाता है।
विदेशों मेंं ऑपरेशन से पूर्व ॐ का उच्चारण करते हैं सर्जन
डॉ देवेश बताते हैं कि ॐ शब्द के उच्चारण मात्र से अस्पताल, यहां तक कि ऑपरेशन थियेटर के अंदर का भी वातावरण शुद्ध हो जाता है, जो कि मरीज के लिए काफी सहायक होता है। उन्होंने बताया कि जब मरीज को ऑपरेशन टेबिल पर ले जाता है और ऑपरेशन की तैयारियां चल रही होती हैं उस दौरान इतना समय होता है कि चिकित्सक या अन्य लोग ऊॅं का उच्चारण कर लें इससे ऑपरेशन थियेटर के अंदर का वातावरण अभिमंत्रित हो जाता है जिसका सीधा प्रभाव सर्जरी पर पड़ता है। उन्होंने बताया कि विदेशों में सर्जन सर्जरी से पूर्व ऑपरेशन थियेटर में ॐ का उच्चारण करते भी हैं।
किस तरह करना चाहिए ॐ का उच्चारण
डॉक्टर देवेश ने बताया कि इसके उच्चारण के लिए ओ म बोलने में 50 -50 प्रतिशत जोर ओ और म पर देना चाहिए, यानि कि जितने समय में ओ कहा है उतना ही समय म कहने में लगाना चाहिए उदाहरण के लिए ॐ कहने में अगर 10 सेकंड लगे हैं तो 5 सेकंड ओ और 5 सेकंड म कहना चाहिए।