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प्रशिक्षण कराने में महिला और पुरुष एमपीडब्‍ल्‍यू के बीच भेदभाव क्‍यों ?

-12वें दिन भी जारी रहा पुरुष एमपीडब्‍ल्‍यू का बेमियादी सत्‍याग्रह आंदोलन

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। महानिदेशक परिवार कल्याण परिसर में स्वास्थ्य कार्यकर्ता  संविदा एमपीडब्ल्यू कर्मचारियों पुरुष ने अपने प्रशिक्षण की मांग को लेकर तीसरे सप्ताह के 12वें दिन भी अनिश्चितकालीन सत्याग्रह आंदोलन जारी रखा। जबकि आंदोलन शुरू करते समय महानिदेशक के साथ बातचीत में आश्‍वासन के बावजूद अब तक कोई हल नहीं निकल सका है। प्रशिक्षण में पुरुष और महिला एमपीडब्‍ल्‍यू में भेदभाव किया गया है, जहां महिला एमपीडब्‍ल्‍यू को प्रशिक्षण की सुविधा उपलब्‍ध है जबकि पुरुष एमपीडब्‍ल्‍यू को प्रशिक्षण नहीं कराया जा रहा है।

संगठन के मीडिया प्रभारी सैयद मुर्तजा ने बताया कि महानिदेशक परिवार कल्याण डॉ लिली सिंह द्वारा बीती 27 जुलाई को संविदा एम.पी.डब्ल्यू. के शीर्ष नेतृत्व को उ.प्र.राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के महामंत्री अतुल मिश्रा तथा उपाध्यक्ष धनंजय तिवारी की उपस्थिति में आश्वासन दिया गया था कि शासन में शीर्ष अधिकारियों के साथ वार्ता कर इस समस्या का हल निकाला जाएगा परंतु खेद का विषय है कि, 12 दिन बाद भी वार्ता नहीं हो सकी है जिससे संविदा एम.पी.ड़ब्ल्यू. कर्मचारियों में रोष व्याप्त है। उत्तर प्रदेश (कां.) एम.पी.डब्ल्यू. एसोसिएशन के महामंत्री अजय सविता ने बताया कि वर्ष 1989 से 2021 के बीच में विभाग द्वारा एक भी एम.पी. डब्ल्यू. पुरुष को प्रशिक्षण नहीं कराया गया वर्तमान में प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में 20573 उपकेंद्र स्थापित है जिन पर एक एम.पी.डब्ल्यू. पुरुष की तैनाती प्राविधानित है। 9080 नियमित तथा 11493 संविदा के पदों को मिलाकर 20573 पदों में से मात्र 1833 नियमित एम.पी.डब्ल्यू. कार्यकर्ता कार्य कर रहे हैं।स्वास्थ्य कार्यकर्ता एम.पी.डब्ल्यू. की ग्रामीण क्षेत्रों में तैनाती न होने के कारण संक्रामक बीमारियों की विभीषिका में ग्रामीण जन झोला छाप डॉक्टरों के हाथों लुटते-पिटते रहते हैं।

उत्तर प्रदेश (कां.) एम.पी.डब्ल्यू. एसोसिएशन के संरक्षक विनीत मिश्रा ने बताया कि विभाग में स्वास्थ्य कार्यकर्ता पुरुष के 11 ट्रेनिंग सेंटर हैं तथा एम.पी.डब्ल्यू. महिला के 40 ट्रेनिंग सेंटर पिछले 32 वर्षों से निष्प्रयोज्य पड़े हैं। महिला एम.पी.डब्ल्यू. को प्रशिक्षण दिलाने के लिए 240 प्राइवेट स्कूलों को मान्यता दी गई है जिसमें से प्रतिवर्ष 7000 महिलाएं प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं जिनको कोई परीक्षा नहीं देनी पड़ती है वहीं एम.पी.डब्ल्यू. पुरुष को यह प्रशिक्षण निजी क्षेत्रों में उपलब्ध नहीं है जिसके कारण संविदा एम.पी.डब्ल्यू.को अपने प्रशिक्षण के लिए आंदोलन करना पड़ रहा है। विभाग ने पूर्व में 2003-04 में तथा 2008-09 में संविदा एम.पी.डब्ल्यू. की तरह से महिलाओं का चयन कर उनका प्रशिक्षण करा कर विभाग में समायोजित करा दिया, परंतु संविदा एम.पी.डब्ल्यू.पुरुष को प्रशिक्षण न देकर उनके साथ एक ही विभाग में दोहरा रवैया अपनाया जा रहा है।

आज के आंदोलन की अध्यक्षता अजय सविता के द्वारा की गई आज के आंदोलन में उन्नाव, सीतापुर, कानपुर, बाराबंकी तथा लखनऊ के साथियों ने भाग लिया।  खराब मौसम के बावजूद सभी पूरे जोश के साथ महानिदेशालय परिवार कल्याण परिसर में जमे रहे। सैय्यद मुर्तजा ने बताया कि 10 अगस्त को सभी 40 जनपदों से जिला पदाधिकारियों एवं संगठन सदस्यों द्वारा भारतीय जनता पार्टी के जिला कार्यालयों में जिलाअध्यक्ष/महामंत्री को अपने प्रशिक्षण दिलाए जाने के विषय में एक ज्ञापन सौंपा जाएगा और उन से ज्ञापन के माध्यम से अनुरोध किया जाएगा कि वह इस ज्ञापन को स्वतंत्र देव सिंह, प्रदेश अध्यक्ष,भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश को पहुंचा कर हम लोगों के प्रशिक्षण की मांग पर आदेश कराने की कृपा करें।

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