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टीबी मरीज डायनामाइट की तरह, अपने साथ 15 को लेता है चपेट में

-पब्लिक-प्राइवेट सेक्‍टर मिल कर करें कार्य : ले.ज. डॉ बिपिन पुरी

-केजीएमयू के रेस्‍परेटरी मेडिसिन विभाग में सेंटर ऑफ एक्‍सीलेंस फॉर ड्रग रजिस्‍टेंट टीबी पर संगोष्‍ठी आयोजित

-केजीएमयू का सेंटर ऑफ एक्‍सीलेंस मेरठ, आगरा, झांसी व गोरखपुर में बनायेगा स्‍पोक्‍स सेंटर : डॉ सूर्यकान्‍त

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय केजीएमयू के कुलपति ले. (जन.) डॉ बिपिन पुरी ने कहा है कि टीबी का एक एक्टिव केस डायनामाइट की तरह होता है, क्योंकि यह मरीज साल भर में 15 नए लोगों को टीबी से संक्रमित कर देता है।

कुलपति ने यह बात आज 11 अप्रैल को संस्‍थान के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग में सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस फॉर ड्रग रजिस्टेंट टीबी पर संगोष्ठी में मुख्‍य अतिथि के रूप में शामिल होते हुए कही। उन्‍होंने कहा कि पब्लिक सेक्‍टर व प्राइवेट सेक्‍टर सभी को साथ मिलकर काम करना चाहिए जिससे टीबी मुक्त भारत के सपने को साकार किया जा सके। उन्होंने विभागाध्यक्ष डॉ सूर्यकान्त एवं विभाग को बधाई दी एवं आश्वासन भी दिया कि केजीएमयू टीबी की लड़ाई में सबके साथ खड़ा है। उन्‍होंने कहा कि उन्‍हें पूर्ण विश्‍वास है कि केजीएमयू एक नॉलेज पार्टनर के रूप में कार्य करते हुए चारों स्पोक्स सेंटर को नेतृत्व प्रदान करेगा। 

समारोह की शुरुआत में सभी प्रतिभागियों का स्वागत रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ सूर्यकान्त ने किया। उन्होंने कहा कि विश्व के 29 प्रतिशत टीबी रोगी भारत में हैं एवं 31 प्रतिशत ड्रग रेजिस्टेंट टीबी के मरीज भारत से हैं। राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के नॉर्थ जोन के चेयरमैन डा. सूर्यकान्त ने बताया कि इन्टरनेशनल यूनियन अंगेस्ट टीबी एण्ड लंग डिजीजेज (यूनियन) एवं स्वास्थ्य मंत्रालय, भारत सरकार ने आई डिफिट टीबी प्रोजेक्ट के अन्तर्गत रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग केजीएमयू को ड्रग रजिस्टेंट टीबी के लिए सेन्टर ऑफ़ एक्सीलेंस चुना है। इसी के विस्तार के लिए उत्तर प्रदेश में चार स्पोक्स सेन्टर विकसित किये जाने हैं। यह स्पोक्स सेंटर उत्तर प्रदेश के मेरठ, आगरा, झांसी व गोरखपुर में होंगे। संगोष्ठी में इन चारों स्पोक्स सेंटर से उनके जिला क्षय रोग अधिकारी, मेडिकल कॉलेज के टीबी के नोडल अधिकारी, सीनियर मेडिकल ऑफिसर, विश्व स्वास्थ्य संगठन के कन्सलटेंट शामिल हुए। डॉ सूर्यकान्त ने बताया कि भारत का हर पांचवां टीबी रोगी उत्तर प्रदेश से आता है। अतः उत्तर प्रदेश में टीबी उन्मूलन की दिशा में यह स्पोक्स एवं हब मॅाडल बहुत कारगर साबित होगा।   

इस मौके पर द यूनियन के सीनियर टेक्निकल एडवाइजर डा. राकेश पी. एस. ने टीबी मरीजों की देख रेख, नये शोध, सेन्टर ऑफ़ एक्सीलेन्स की बेहतर कार्य प्रणाली एवं स्पोक की मेन्टरशिप पर विषेष बल दिया। इसके अलावा चारों स्पोक डा. सन्तोष मित्तल  (मेरठ), डा. अश्विनी मिश्रा (गोरखपुर), डा. मधुरमय (झांसी) एवं डा. विक्रम सिंह (आगरा) ने ड्रग रजिस्टेंट टीबी के मरीजों के इलाज में आ रही कठिनाइयों, नये शोध एवं उपलब्ध सुविधाओं का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया और उम्मीद जताई कि स्पोक के तहत केजीएमयू के नेतृत्व में वह बेहतर कार्य कर सकेंगे।

संगोष्ठी मे स्टेट टीबी ऑफिसर डॉ. शैलेन्द्र भटनागर ने क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के लिए यूपी के समस्त जिला क्षय रोग अधिकारी एवं टीबी स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को सक्रिय सहयोग देने की बात कही। 

कार्यक्रम में इन्टरनेशनल यूनियन अंगेस्ट टीबी एण्ड लंग डिजिजेज के प्रतिनिधि डा. रिचर्ड सैमुऊल, डा. राकेश पी.एस., डा. मयंक मित्तल, डा. मीरा भाटिया ने प्रतिभाग किया। बैठक में उत्तर प्रदेश स्टेट टीबी सेल से डा. प्रीति, डा. अश्विनी यादव, डा. नीतू एवं डा. दिनेश  बालिगा शामिल हुए। कार्यक्रम में रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के समस्त चिकित्सक डा. एसके वर्मा, डा. आर.एस. कुशवाहा, डा.अजय कुमार वर्मा, डा. दर्शन कुमार बजाज, डा. ज्योति बाजपेई, डा. अंकित कुमार सहित रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के समस्त रेजीडेन्टस एवं स्वास्थ्य कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

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