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प्रधानमंत्री जी, हिंसा-तोड़फोड पर महामारी काल जैसा अधिनियम लाने की जरूरत : आईएमए

-आईएमए ने की प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर सुझाव देते हुए मांगें पूरी करने की अपील

-कोलकाता रेप-मर्डर केस और सुरक्षा को लेकर 24 घंटे का कार्य बहिष्कार पूरी तरह सफल

डॉ आरवी असोकन

सेहत टाइम्स

लखनऊ। कोलकाता के सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ड्यूटी पर तैनात महिला रेजीडेंट डॉक्टर के साथ की गयी हैवानियत, क्रूरता के साथ बलात्कार और हत्या के मामले में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ आरवी असोकन ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर कुछ सुझाव और मांगें रखी हैं। पत्र में कहा गया है कि कोविड के समय 2020 में महामारी रोग अधिनियम 1897 में संशोधनों के लिए लाया गया “स्वास्थ्य सेवा कार्मिक और नैदानिक ​​प्रतिष्ठान (हिंसा और संपत्ति को नुकसान पहुँचाने का निषेध विधेयक 2019)” जैसा एक केंद्रीय अधिनियम मौजूदा 25 राज्य विधानों को मज़बूत करेगा।

पत्र में कहा गया है कि अनिवार्य सुरक्षा अधिकारों के साथ अस्पतालों को सुरक्षित क्षेत्र घोषित करना पहला कदम है। सभी अस्पतालों के सुरक्षा प्रोटोकॉल किसी हवाई अड्डे से कम नहीं होने चाहिए। इसके लिए सीसीटीवी, सुरक्षा कर्मियों की तैनाती और प्रोटोकॉल का पालन किया जा सकता है। इसके साथ ही घंटों लम्बी शिफ्ट ड्यूटी (हैवानियत का शिकार हुई रेजीडेंट डॉक्टर भी 36 घंटे की ड्यूटी शिफ्ट कर रही थी) को देखते हुए सुरक्षित जगहों और पर्याप्त विश्राम कक्षों की कमी के कारण रेजिडेंट डॉक्टरों के काम करने और रहने की स्थिति में पूरी तरह से बदलाव की ज़रूरत है। पत्र में लिखा गया है कि इसके अलावा तय समय-सीमा के अंदर अपराध की सावधानीपूर्वक और पेशेवर जांच कर उसे न्याय प्रदान किया जाना चाहिये तथा पीड़ित परिवार को दी गई क्रूरता के अनुरूप उचित और सम्मानजनक मुआवज़ा दिया जाना चाहिए।

आईएमए, लखनऊ ने निकाला मार्च, जताया विरोध

पत्र में कहा गया है कि 9 अगस्त 2024 की सुबह कोलकाता के आर जी कर मेडिकल कॉलेज में चेस्ट मेडिसिन की एक युवा पोस्ट ग्रेजुएट छात्रा के साथ ड्यूटी के दौरान बेरहमी से बलात्कार किया गया और उसकी हत्या की घटना ने मेडिकल बिरादरी और पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इसके बाद 15 अगस्त को एक बड़ी भीड़ ने अस्पताल में तोड़फोड़ की और अस्पताल के कई हिस्सों को नष्ट कर दिया, पीडि़ता के साथ हुई घटना वाला क्षेत्र भी शामिल था। पेशे की प्रकृति के कारण डॉक्टर खासकर महिलाएं हिंसा की चपेट में आती हैं। अस्पताल और परिसरों के अंदर डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करना अधिकारियों का काम है। आर जी कर, कोलकाता की घटना ने अस्पताल में हिंसा के दो आयामों को सामने ला दिया है: महिलाओं के लिए सुरक्षित स्थानों की कमी के कारण बर्बर पैमाने का अपराध और संगठित सुरक्षा प्रोटोकॉल की कमी के कारण होने वाली गुंडागर्दी। पत्र में कहा गया है कि अपराध और बर्बरता ने पूरे देश की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया है। आज पूरे देश में डॉक्टरों ने गैर-जरूरी सेवाएं वापस ले ली हैं और केवल आपातकालीन और आकस्मिक सेवाएं ही दे रहे हैं।

प्राइवेट पैथोलॉजी भी रहीं बंद

पत्र में लिखा है कि स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपने संबोधन में महिलाओं की सुरक्षा के बारे में आपकी टिप्पणियों की हम सराहना करते हैं। हम आपसे इस समय आपके सौम्य हस्तक्षेप की अपील करते हैं। इससे न केवल महिला डॉक्टरों को बल्कि कार्यस्थल पर मौजूद हर महिला को आत्मविश्वास मिलेगा। 60% भारतीय डॉक्टर महिलाएँ हैं। डेंटल प्रोफेशन में यह प्रतिशत 68%, फिजियोथेरेपी में 75% और नर्सिंग में 85% है। सभी हेल्थकेयर पेशेवर कार्यस्थल पर शांतिपूर्ण माहौल, सुरक्षा और संरक्षा के हकदार हैं। हम आपकी मांगों को पूरा करने के लिए उचित उपाय सुनिश्चित करने के लिए आपके सौम्य हस्तक्षेप की अपील कर रहे हैं।

इस बीच कोलकाता रेप-मर्डर केस और सुरक्षा को लेकर 24 घंटे का कार्य बहिष्कार पूरी तरह सफल रहा है। आईएमए की अपील के बाद राजधानी लखनऊ स्थित संजय गांधी पीजीआई, किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय, डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान जैसे बड़े सरकारी संस्थानों, अस्पतालों और निजी क्षेत्र के अस्पताल, क्लीनिक्स, पैथोलॉजी सहित सभी चिकित्सा प्रतिष्ठानोें में भी गैर आपातकालीन सेवाएं बंद रखी गयीं। आईएमए लखनऊ के सचिव डॉ संजय सक्सेना ने बताया कि 24 घंटे का बंद पूर्ण रूप से सफल रहने के बाद आज सुबह 6 बजे से डॉक्टर्स अपने काम पर वापस लौट आये है। उन्होंने कहा कि कोलकाता के इस जघन्य अपराध के खिलाफ और सुरक्षित माहौल में कार्य करने के लिए आवश्यक कदम उठाये जाने के लिए आईएमए मुख्यालय से प्राप्त निर्देशों का पालन करने के लिए एसोसिएशन की लखनऊ इकाई सदैव तैयार है।

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