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डॉक्‍टरों की एकजुटता रंग लायी, बैकफुट पर आयी राजस्‍थान सरकार

-आरटीएच बिल पर विरोध जता रहे डॉक्‍टरों के साथ आठ बिंदुओं पर स‍हमति के बाद डॉक्‍टरों की हड़ताल समाप्‍त  

-आईएमए लखनऊ ने कहा कि यह चिकित्‍सकों की एकता की जीत

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। राजस्‍थान सरकार द्वारा पास किये गये राइट टू हेल्‍थ बिल के विरोध में आंदोलन कर रहे राजस्‍थान के डॉक्‍टरों के साथ कंधे से कन्धा मिलाने के लिए उनके समर्थन में आज ‘4 तारीख को-4 बजे-आईएमए चलो’ के नारे के साथ देश भर के एलोपथिक डॉक्टर्स ने ‘नेशनवाइड सॉलिडेरिटी डे’ आयोजित किया। इसी क्रम में यहां भी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन लखनऊ द्वारा इसका आयोजन किया गया।

इस मौके पर उपस्थित आईएमए के पदाधिकारियों व सदस्‍यों ने अपने-अपने विचार भी रखे। आयोजित पत्रकार वार्ता में आईएमए लखनऊ के सचिव डॉ. संजय सक्सेना ने बताया कि विगत कुछ दिनों से इस बिल के खिलाफ समस्त चिकित्सक समुदाय में भारी रोष के चलते आखिरकार मंगलवार को राजस्थान सरकार ने घुटने टेक दिए। उन्होंने बताया कि राजस्थान सरकार ने विरोध में बैठे चिकित्सकों की समस्त मांगें मान लीं, तभी चिकित्सकों ने हड़ताल ख़त्म की।

आईएमए लखनऊ के अध्यक्ष डॉ. जेडी रावत ने बताया कि राजस्थान सरकार द्वारा आरटीएच नाम के ड्रेकोनियन बिल को निजी क्षेत्र पर भी जबरन लागू करने की कोशिश, चिकित्सक समुदाय की एकता के आगे नाकाम हो गयी। आईएमए के निवर्तमान अध्‍यक्ष डॉ मनीष टंडन ने बताया कि राजस्‍थान सरकार ने हड़ताली चिकित्‍सकों के साथ आठ बिंदुओं पर समझौता किया। उन्‍होंने बताया कि ये आठ बिंदु हैं।

1. 50 बिस्तरों से कम वाले निजी मल्टी स्पेशियलिटी अस्पतालों को आरटीएच से बाहर कर दिया है।

2. सभी निजी अस्पतालों की स्थापना सरकार से बिना किसी सुविधा के हुई है और रियायती दर पर बिल्डिंग को भी आरटीएच अधिनियम से बाहर रखा जाएगा।

3.जो अस्‍पताल इस बिल के दायरे में आयेंगे उनमें निजी मेडिकल कॉलेज अस्‍पताल, पीपीपी मोड पर बने अस्‍पताल, सरकार से मुफ्त या रियायती दरों पर ली गयी जमीन पर स्‍थापित अस्‍पताल (अनुबंध शर्तों के अनुसार), सरकार से वित्‍तपोषित भूमि व बिल्डिंग वाले ट्रस्‍टों द्वारा संचालित अस्‍पताल

4. राजस्थान के विभिन्न स्थानों पर बने अस्पतालों को कोटा मॉडल के आधार पर नियमित करने पर विचार किया जाएगा।

5.आंदोलन के दौरान दर्ज किए गए पुलिस केस और अन्य मामले वास लिए जाएंगे, आंदोलन के दौरान दर्ज किए गए पुलिस केस और अन्य मामले वापस लिए जायेंगे।

6. अस्पतालों के लिए लाइसेंस और अन्य स्वीकृतियों के लिए सिंगल विंडो सिस्टम होगा

7. फायर एनओसी हर 5 साल में रीन्यू करवाई जाएगी

8. नियमों में कोई और परिवर्तन हो तो आईएमए के दो प्रतिनिधियों के परामर्श के बाद किया जाएगा

इस मौके पर अपने विचार रखते हुए लखनऊ नर्सिंग होम्स एसोसिएशन के सचिव डॉ. संजय लखटकिया ने कहा कि चिकित्सकों की समस्त इकाइयों ने एकजुट होकर आरटीएच बिल का विरोध किया, और ये जनता की जीत है। उन्होंने कहा कि सभी चिकित्सक आरटीएच के खिलाफ एक जुट थे, इसीलिए सरकार को चिकित्सकों की मांगे मानना पड़ी।

आईएमए लखनऊ के संयुक्त सचिव डॉ. प्रांजल अग्रवाल ने कहा कि नि:शुल्क चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध कराना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। आयुष्मान भारत जैसे सरकारी कार्यक्रमों की वजह से आरटीएच जैसे बिलों की आवश्यकता ही नहीं है। राज्य सरकार की जिम्मेदारी निजी क्षेत्र पर जबरन मढ़ना, सरकार की विफलताओं का प्रतीक है।

आईएमए लखनऊ के कार्यकारिणी सदस्‍य व चिकित्‍सा प्रकोष्‍ठ भाजपा लखनऊ के संयोजक डॉ शाश्‍वत विद्याधर ने कहा कि चिकित्‍सकों की एकजुटता बहुत आवश्‍यक है, मुद्दा छोटा हो या बड़ा, हमें अपनी बड़ी संख्‍या में एकत्र होकर एकजुटता का परिचय देना होगा। हम सभी व्‍यस्‍त हैं लेकिन इसके बावजूद हमें समय निकाल कर डॉक्‍टरों की समस्‍याओं पर चर्चा के लिए एकत्र होना ही होगा।

इस मौके पर आईएमए के अनेक पदाधिकारी व सदस्‍य भी उपस्थित रहे, इनमें डॉ राकेश सिंह, डॉ सरिता सिंह, डॉ निधि जौहरी, डॉ श्‍वेता श्रीवास्‍तव, डॉ अलीम सिद्दीकी, डॉ अजय वर्मा, डॉ दर्शन बजाज, डॉ वारिजा सेठ, डॉ सुमित सेठ, डॉ ऋतु सक्‍सेना आदि शामिल हैं।   

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