Wednesday , October 18 2023

भारत के लिए अलग भी हो सकता है ब्‍लड प्रेशर का पैमाना

‘मे मेसरमेंट मंथ’ प्रोग्राम के नेशनल कोऑर्डीनेटर ने कहा, इकट्ठे किये जा रहे हैं आंकड़े, की जायेगी स्‍टडी

डॉ अनुज माहेश्वरी

लखनऊ। हाईपरटेंशन या हाई ब्‍लड प्रेशर एक ऐसी खामोश बीमारी है जो कब हमारे शरीर में पैदा हो जाती है इसके बारे में पता ही नहीं लगता क्‍योंकि इसके होने के बाद शरीर में कोई विशेष लक्षण नहीं होते हैं। इसलिए इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ हाईपरटेंशन ने तय किया कि हर वर्ष मई के महीने में लोगों को जागरूक करने के लिए एक कार्यक्रम चलाया जायेगा। इस कार्यक्रम को ‘May Measurement Month’ (एमएमएम) का नाम दिया गया है। इसके तहत पूरे माह में ऐसे लोगों का ब्‍लड प्रेशर नापा जाता है जो स्‍वस्‍थ हैं ताकि ऐसे लोगों की संख्‍या सामने आ सके जो अनजाने में ब्‍लड प्रेशर के शिकार हैं।

 

यह जानकारी यहां आईएमए भवन में आयोजित जागरूकता कार्यक्रम के अवसर पर देते हुए एमएमएम के नेशनल कोऑर्डीनेटर डॉ अनुज माहेश्‍वरी ने बताया कि भारत में 2017 से इस अभियान की शुरुआत हुई है। इसमें पहले साल यानी 2017 में हमने मई माह में 55 हजार लोगों का ब्‍लड प्रेशर नापा था, इसके बाद 2018 के मई माह में करीब एक लाख चौरासी हजार लोगों का ब्‍लड प्रेशर नापा तथा इस वर्ष हमारा लक्ष्‍य गत वर्ष की अपेक्षा और ज्‍यादा लोगों का ब्‍लड प्रेशर नापने का है इसके अंतिम आंकड़े मई माह के बाद ही पता हो सकेंगे।

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डॉ माहेश्‍वरी ने बताया कि ये आंकड़े हमारे लिए इसलिए भी महत्‍वपूर्ण हैं कि सामान्‍य ब्‍लड प्रेशर की परिभाषा भारत के लिए क्‍या उचित है इस पर स्‍टडी की जा सके। उन्‍होंने बताया कि जैसे इंटरनेशनल स्‍तर पर इसकी नॉर्मल रेंज पहले तय की गयी थी 140/90, लेकिन नयी गाइडलाइन में इसे 130/80 बताया गया है। अब महत्‍वपूर्ण यह है कि सिस्‍टोलिक और डायस्‍टोलिक दोनों में जो 10 प्‍वाइंट की कमी की गयी है उसके बाद भारत वर्ष में कितने नये लोग हाईपरटेंशन के मरीज की श्रेणी में आ जायेंगे, यानी उन्‍हें दवा की जरूरत पड़ेगी, ऐसी स्थिति में एक बात अध्‍ययन करने वाली यह भी है कि भारत वर्ष की जलवायु, उपलब्‍ध खानपान, रहन-सहन विदेशों से कितना भिन्‍न है, और उस परिप्रेक्ष्‍य में यहां के लोगों को किस स्‍तर पर हाईपरटेंशन का शिकार माना जा सकता है। इस अध्‍ययन के लिए भी हमारे द्वारा लिये जा रहे आंकड़े सहायक सिद्ध होंगे।

 

डॉ माहेश्‍वरी ने बताया कि इसलिए हम लोग जो आंकड़े एकत्र कर रहे हैं उसमें जिस स्‍वस्‍थ व्‍यक्ति का ब्‍लड प्रेशर हम नापेंगे उसके रहन-सहन आदि की स्थिति भी दर्ज कर रहे हैं जिससे भारत वर्ष की जलवायु के मद्देनजर हाईपरटेंशन के मरीजों की संख्‍या ज्ञात हो सके और उसके अनुसार उनके उपचार व प्रबन्‍ध की योजना बनायी जा सके।