अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस (8 मार्च) पर डॉ अनुरुद्ध वर्मा का लेख
महिलाओं में खून की कमी अर्थात एनीमिया स्वास्थ्य की बड़ी समस्या है। एक अनुमान के अनुसार भारत में 50 प्रतिशत से अधिक महिलाएं खून कमी से ग्रस्त है। दुनिया के विकासशील देशों की लगभग 52 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया से ग्रसित है जबकि विकसीत देशों की लगभग 23 प्रतिशत महिलाएं इससे पीड़ित है। भारत में 18 से 26 मीलियन महिलाएं एनीमिया से जूझ रहीं है और 74 प्रतिशत सामान्य महिलाएं भी एनीमिया से ग्रसित है। गर्भावस्था के दौरान एनीमिया महिलाओं के गम्भीर खतरा है क्योंकि एक अनुमान के अनुसार देश में 20 से 25 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं की असमय मृत्यु का कारण एनीमिया है। एनीमिया के अनेक कारण हो सकते है परन्तु हम यहां पर आयरन की कमी से होने वाली एनीमिया के सम्बन्ध में चर्चा करेंगे।
एनीमिया के कारण
महिलाओं के भोजन में पर्याप्त पोषण तत्वों विशेषकर लौह तत्वों के कमी के कारण एनीमिया होती है अत्याधिक रक्तश्राव के कारण भी एनीमिया का खतरा बढ़ जाता है। मानक के अनुसार यदि महिलाओं में हिमोग्लोबिन का स्तर 10 ग्राम से कम होता है तो इसे एनीमिया के श्रेणी में रखा जाता है।
एनीमिया के लक्षण
एनीमिया ग्रस्त गर्भवती महिलाओं में थकान, कमजोरी, भूख न लगना, पाचन तंत्र में गड़बड़ी, मिट्टी खाने की इच्छा, सांस फूलना, आंख व नाखूनों का सफेद होना, चक्कर, नींद की कमी, कभी-कभी शरीर में सूजन के लक्षण भी पाये जाते है।
एनीमिया से होने वाली जटिलताएं
महिलाओं में खून की कमी से समय से पूर्व प्रसव, कम वजन के बच्चों का जन्म, बच्चों में खून की कमी, सिर में दर्द, चक्कर आना, हांथ पैरों का ठंडा होना, शरीर के तापमान का सामान्य से कम होना कभी-कभी सीने में दर्द, निम्न रक्तचाप और कभी-कभी हृदय के तकलीफों के लक्षण दिखाई देते है। इसके अतिरिक्त एनीमिया के कारण इसके अतिरिक्त एनीमिया के कारण गर्भवती महिला को खून चढ़ाने की आवश्यकता भी पढ़ सकती है। एनीमिया के कारण गर्भवती को प्रसव के बाद डिपे्रशन की समस्या भी हो सकती है। एनीमिया से ग्रसित गर्भवती महिला को प्रसव के दौरान यदि अत्याधिक रक्तश्राव हो जाता है तो उसकी जान को खतरा भी हो सकता है। ऐसी स्थिति में गर्भवती महिला को हमेशा एनीमिया से बचाने का प्रयास करना चाहिए।
खून की कमी को दूर करने के लिये क्या करें और क्या न करें
गर्भवती महिला को भोजन में पर्याप्त लौह तत्व वाली सामग्री देना चाहिए। भोजन में हरी सब्जी जैसे पालक, सोयामेथी, हरी धनिया, बथुआ, चुकन्दर, गाजर, आवंला इत्यादि देना चाहिए, साथ ही फलों में सेव, अनार, अमरूद, नासपाती आदि देना चाहिए। साबूत अनाज, मूंग, चना, बीन आदि अनाज भी देना चहिए। मछली, अण्डा और लाल मांस आयरन का अच्छा स्रोत हैं। एलोपैथिक चिकित्सक एनीमिया से ग्रसित महिला को आयरन और फोलिक एसिड की गोलियां लेने की सलाह देते है।
एनीमिया का होम्योपैथिक उपचार
होम्योपैथी में गर्भवती महिलाओं में होने वाली एनीमिया का प्रभावी उपचार सम्भव है। एनीमिया के उपचार के लिये एलिटेरिस टेसिनोसा, चाइना, फेरममेट, फेरमफास, नेट्रमम्योर, पैलेडियम, लैसिथिल आदि होम्योपैथिक औषधियों का प्रयोग प्रशिक्षित चिकित्सक की सलाह पर किया जा सकता है। होम्योपैथिक औषधियों की यह गर्भवती महिला में किसी प्रकार दुष्प्रभाव नहीं उत्पन्न करती हैं साथ ही प्रकृतिक रूप से हिमोग्लोबिन का स्तर सामान्य पर ले आती है। यह ध्यान रखना आवश्यक है कि गर्भवती महिला को खाने के लिये संतुलित आहार देना बहुत जरूरी है साथ ही गर्भावस्था के दौरान उससे अत्याधिक शारीरिक काम नहीं लेना चाहिए।