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ऑस्टियोपोरोसिस व मेटाबोलिक हड्डी रोग के मूल्यांकन में देश का पहला केंद्र बना एसजीपीजीआई, सात नयी सुविधाएं शुरू

-अब सीटी स्कैन के लिए इंतजार होगा खत्म, एमआरआई में भी प्रतीक्षा होगी कम

-उपमुख्यमंत्री बोले, विश्वस्तरीय संस्थान बनने की ओर अग्रसर है एसजीपीजीआई

सेहत टाइम्स

लखनऊ। संजय गांधी पीजीआई में मरीजों के लिए सात नई सुविधाओं की शुरुआत की गयी है, इनमें टेस्ला होल बॉडी, वाइड बोर एमआरआई स्कैन (TESLA WHOLE-BODY, WIDE-BORE MRI SCANNER), डिजिटल सबट्रैक्शन एंजियोग्राफी (DIGITAL SUBTRACTION ANGIOGRAPHY), होल बॉडी सीटी स्कैनर (WHOLE-BODY CT SCANNER), सी आर्म मशीन (C-ARM MACHINE), सीटी सिमुलेटर-वाइड बोर (CT SIMULATOR- WIDE BORE), हाई एनर्जी लीनियर एक्सीलरेटर (HIGH ENERGY LINEAR ACCELERATOR) और डीबीटी-सहज नेशनल फैसिलिटी फॉर बोन माइक्रो-आर्किटेक्चर (DBT-SAHAJ National Facility for Bone Micro-architecture) सुविधाएं शामिल हैं। इन सुविधाओं का आज 28 अगस्त को उपमुख्यमंत्री और कैबिनेट मंत्री, चिकित्सा शिक्षा, ब्रजेश पाठक द्वारा औपचारिक रूप से उद्घाटन किया गया। उनके साथ चिकित्सा शिक्षा राज्य मंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह भी समारोह में शामिल हुए। ब्रजेश पाठक का कहना है कि एसजीपीजीआई विश्वस्तरीय संस्थान बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

बताया जा रहा है कि इन सुविधाओं के शुरू होने के बाद अब संस्थान में जहां सीटी स्कैन के लिए मरीजों की प्रतीक्षा सूची शून्य हो जायेगी वहीं एमआरआई की प्रतीक्षा सूची कम हो जायेगी। बड़ी उपलब्धि की बात यह है कि बोन माइक्रो आर्किटेक्चर की सुविधा के बाद एसजीपीजीआई को अब ऑस्टियोपोरोसिस और मेटाबोलिक हड्डी रोग के रोगियों के मूल्यांकन के लिए व्यापक सुविधा वाला देश का पहला केंद्र होने का गौरव प्राप्त हो गया है।

इस अवसर पर अपने सम्बोधन में उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने संस्थान को शिक्षण, प्रशिक्षण और रोगी देखभाल के क्षेत्र में शानदार प्रदर्शन के लिए बधाई दी। मरीजों की संख्या, बेहतर बुनियादी ढांचे, नई सुविधाओं के मामले में एस जी पी जी आई में जबरदस्त वृद्धि हुई है और यह विश्वस्तरीय अस्पताल बनने की ओर अग्रसर है, जहां मरीजों की अत्यधिक देखभाल और सहानुभूति के साथ इलाज किया जाता है। उत्तर प्रदेश सरकार एसजीपीजीआई के विकास के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। राज्यमंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह ने संस्थान के तीव्र गति से विकास की सराहना करते हुए कहा कि यह पीजीआई चंडीगढ़ से भी अधिक तेजी से बढ़ रहा है।

संस्थान में अब दो एमआरआई और पांच सीटी स्कैन मशीनें उपलब्ध : निदेशक

इससे पूर्व एसजीपीजीआई के निदेशक प्रोफेसर आर के धीमन ने अतिथियों का स्वागत करते हुए बताया कि संस्थान की इस दूसरी एमआरआई मशीन की लागत 23.10 करोड़ है और इससे एमआरआई के लिए मरीजों की प्रतीक्षा अवधि कम हो जाएगी। सी टी स्कैनर के उद्घाटन के साथ एसजीपीजीआई में अब 5 सी टी स्कैन मशीनें हो गई हैं और एसजीपीजीआई में आने वाले मरीजों के लिए प्रतीक्षा अवधि शून्य हो जाएगी। उन्होंने हाई एनर्जी लीनियर एक्सेलेरेटर सुविधा के लिए रेडियोथैरेपी विभाग को बधाई दी। उन्होंने कहा कि एक रैखिक त्वरक उच्च ऊर्जा गहराई तक प्रवेश करने वाली एक्स-रे और इलेक्ट्रॉन किरणों का उत्पादन करता है, जिनका उपयोग कैंसर के इलाज के लिए किया जाता है। जब भी विकिरण की आवश्यकता हो, यह एक मशीन विकिरण से लगभग सभी कैंसर का इलाज कर सकती है। उन्होंने बोन माइक्रो आर्किटेक्चर की सुविधा के लिए एंडोक्राइनोलॉजी विभाग के प्रयासों की भी सराहना की। इस सुविधा के साथ एस जी पी जी आई को ऑस्टियोपोरोसिस और मेटाबोलिक हड्डी रोग के रोगियों के मूल्यांकन के लिए व्यापक सुविधा वाला देश का पहला केंद्र होने का गौरव प्राप्त हुआ है। उन्होंने यह भी बताया कि संस्थान को जल्द ही गामा नाइफ भी मिल जायेगा।

संस्थान के डीन प्रोफेसर शालीन कुमार ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का समापन स्वल्पाहार के साथ हुआ।

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