-राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद व प्रोवेंशियल फ़िज़ियोथेरेपिस्ट एसोसिएशन उ प्र ने किया ऐलान
सेहत टाइम्स
लखनऊ। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उ प्र व प्रोवेंशियल फ़िज़ियोथेरेपिस्ट एसोसिएशन उ प्र ने एसजीपीजीआई में फिजियोथेरेपिस्ट के पद पर हाल ही में जारी हुये परिणाम और चयन प्रक्रिया को गलत ठहराते हुये न्यायालय जाने की बात कही है। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद की तरफ से कहा गया है कि इस मामले में एसजीपीजीआई प्रशासन ने शासन के नियमों का खुला उल्लंघन किया है। शासन के निर्देश को भी एसजीपीजीआई प्रशासन अनदेखी कर रहा है।
ज्ञात हो राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने एसजीपीजीआई में फिजियोथेरेपिस्ट के पद पर सेवा नियमावली के विपरीत नियुक्ति के लिए परास्नातक अर्हता निर्धारित कर गलत तरीके से चयन करने प्रक्रिया करने का आरोप लगाया था। इतना ही नहीं अभ्यर्थियों का शासन के निर्णय के विपरीत वेरिफिकेशन कराने पर रोष व्यक्त किया था।
उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के महामंत्री अतुल मिश्रा ने बताया कि एसजीपीजीआई प्रशासन ने साल 2021-22 में फिजियोथेरेपी के 8 पद पर विज्ञापन प्रकाशित किया गया था। जिसमें शैक्षिक योग्यता 3 वर्ष डिप्लोमा इन फिजियोथेरेपी मांगी गई थी। जिसका परिषद ने पुरजोर विरोध किया था।
बताया जा रहा है कि 3 वर्षीय डिप्लोमा फिजियोथेरेपी पाठ्यक्रम उत्तर प्रदेश में केवल अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में ही संचालित हो रहा था। वहीं प्रदेश में स्टेट मेडिकल फैकल्टी द्वारा 4 वर्षीय डिग्री कोर्स और 2 वर्षीय डिप्लोमा/डिग्री पाठ्यक्रम एसजीपीजीआई, केजीएमयू सहित कई अन्य संस्थानों में चलाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि ऐसे में इस परीक्षा में 4 वर्षीय डिग्री धारक और 2 वर्षीय डिप्लोमा धारक शामिल नहीं हो पायेंगे, उनके साथ अन्याय होगा। जिसपर शासन ने विज्ञापन को निरस्त करते हुये फिजियोथेरेपिस्ट सेवा नियमावली के अनुसार 2 वर्षीय डिप्लोमा और 4 वर्षीय डिग्री धारकों की चयन प्रक्रिया में शामिल करने का निर्देश दिया था। जिसके बाद एसजीपीजीआई प्रशासन ने पुनः फिजियोथेरेपिस्ट संवर्ग का पद विज्ञापित किया, जिसमें न्यूनतम शैक्षिक अर्हता मास्टर इन फिजियोथेरेपी मांगी गई, जबकि एसजीपीजीआई ने बोर्ड (कार्यपरिषद) में पास करा रखा है कि जो शैक्षिक अहर्ता AIIMS द्वारा निर्धारित की गई है वही एसजीपीजीआई में भी लागू होगी।
उन्होंने कहा कि इसको लेकर प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा की तरफ से संशोधन करने के निर्देश दिये गये थे। उसके बाद भी 15 जुलाई को ऑनलाइन परीक्षा कराई गई और 16 जुलाई की रात परीक्षा परिणाम भी घोषित कर दिया। इस संबंध में तत्कालीन प्रमुख सचिव आलोक कुमार द्वारा बैठक भी आहूत की गई जिसमे शासन व एस जी पी जी आई के अधिकारी सम्मिलित हुए और उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिये गये कि AIIMS में निर्धारित शैक्षिक अहर्ता के अनुसार ही नियुक्ति प्रक्रिया की जाये । अतुल मिश्रा ने कहा कि अत्यंत दुःखद है कि स्थानीय प्रशासन द्वारा कुछ लोगो को लाभ प्रदान करने के उद्देश्य से नियमविरुद्ध कार्य संपादित कर रहा है। इससे हजारों छात्र इस परीक्षा में शामिल होने से वंचित हो गये।
उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के महामंत्री अतुल मिश्रा ने कहा कि शासन की तरफ से इस परीक्षा को लेकर संशोधन के निर्देश को दरकिनार करना और कोई सुनवाई न करना, यही बताता है कि एसजीपीजीआई प्रशासन अपने हिसाब से कार्य कर रहा है। ऐसे में न्यायालय ही एक मात्र रास्ता बचता है। जिससे हजारों छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ न हो सके।