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करोड़ों की ऑक्‍सीजन फ्री में लेते हैं आप, क्‍या कभी एक भी पेड़ लगाया

-पर्यावरण की महत्‍ता पर महत्‍वपूर्ण ध्‍यानाकर्षण कराया डॉ सूर्यकांत ने

-विश्‍व पर्यावरण दिवस पर धन्‍वन्‍तरि सेवा संस्‍थान ने केजीएमयू व बलरामपुर अस्‍पताल में लगाये पेड़

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। किंग जॉर्जधन्‍वन्‍तरि सेवा संस्‍थान के अध्‍यक्ष व केजीएमयू में रेस्‍पेरेटरी मेडिसिन विभागाध्‍यक्ष डॉ सूर्यकांत ने आज विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर धन्वन्तरि सेवा संस्थान द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित किये जाने वाले वृक्षारोपण कार्यक्रम के मौके पर जीवन की सांसों का आधार ऑक्‍सीजन देने वाले वृक्षों के लगाने का आह्वान करते हुए कहा है कि हमें फ्री में ऑक्‍सीजन देने वाले इन वृक्षों को न सिर्फ हमें आदर देना चाहिये बल्कि हमें जीवन देने वाली ऑक्‍सीजन के स्रोत वृक्षों के रोपण की तरफ अवश्‍य ध्‍यान देना चाहिये। डॉ सूर्यकांत व धन्‍वन्‍तरि सेवा संस्‍थान के अन्‍य लोगों ने केजीएमयू मेडिकल कॉलेज में कुलपति ऑफिस के सामने सरस्वती माता मंदिर के परिसर और बलरामपुर हॉस्पिटल में निदेशक कार्यालय के सामने बगीचे में वृक्षारोपण करके विश्व पर्यावरण दिवस मनाया।

डॉ सूर्यकांत ने कहा कि प्रत्‍येक मनुष्‍य अपने जीवन में 60 वर्ष की आयु तक जितनी ऑक्‍सीजन लेता है उसका अगर बीमार पड़ने पर खरीदी जाने वाली ऑक्‍सीजन की कीमत के हिसाब से अंदाज लगायें तो मोटे तौर पर करीब 5 करोड़ रुपये बनते हैं। आयु के हिसाब से इसमें और वृद्धि होती जाती है। उन्‍होंने कहा कि हम लोग प्रतिवर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाते आ रहे हैं। पर्यावरण सुरक्षित तो हम सुरक्षित, सभ्यता सुरक्षित, संस्कृति सुरक्षित, मानवता सुरक्षित  और अगर पर्यावरण सुरक्षित नहीं रहा, तो न हम सुरक्षित रहेंगे, न सभ्यता सुरक्षित और न मानवता सुरक्षित रहेगी।

डॉ सूर्यकांत ने कहा कि हमारे जीवन की शुरुआत ही सांस से होती है और जीवन का अंत भी सांस से होता है। इन्हीं सांसों के बीच में हमारा जीवनचक्र चलता रहता है। सांसों के द्वारा हम ऑक्सीजन लेते हैं जिसे प्राणवायु कहा गया है। मतलब प्राणों को जिंदा रखने के लिए जिस वायु की जरूरत होती है उसका नाम है ऑक्सीजन, क्योंकि इस प्राणवायु से शरीर में प्राण शक्ति मिलती है, इसी प्राण शक्ति से हम सभी क्रियाएं करते हैं। पूरे दिन में अगर हम सिर्फ बैठे भी रहें, तो साढ़े तीन सौ लीटर ऑक्सीजन की प्रतिदिन जरूरत है और अगर चलते-फिरते काम करेंगे तो लगभग 500 लीटर ऑक्सीजन की प्रतिदिन जरूरत है, जो हमें केवल पौधों, वृक्षों और पर्यावरण से मिलती है।

क्या कभी हमने सोचा है कि जब कभी किसी पेड़ से सामने से निकले तो एक बार उन्हें धन्यवाद दें, हमें उन्हें पेड़ जी कहकर संबोधित कर सकते हैं क्या, क्योंकि आप हमें जीने के लिए ऑक्सीजन देते हैं, लेकिन पेड़ों को धन्यवाद देना तो दूर हमने पिछले 50 वर्षों में देश-दुनिया में आधे पेड काट दि इससे कितनी बड़ी पर्यावरण हानि हुई, आने वाली संतति के लिए, वर्तमान में आपने देखा कि कोरोना महामारी क्राइसेस से दो महीने कितने भयानक गुजरे, ऑक्सीजन की क्या महत्ता है लोगों को समझ में आ गई।

अभी अस्पताल में क्या हाल हुआ सबने देखा एक-एक ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए लोग तरस गए। पेड़-पौधे जो ऑक्सीजन हमें फ्री में दे रहे हैं, इसकी महत्ता हम नहीं समझते, जरा सोचिए अगर गलती से पेड़ों की संस्था बन जाए और जब आप रिटायर्ड होने वाले हों उनको ऑक्सीजन का बिल दे दिया जाए क्योंकि कल्सुलेट करने पर पता चला कि 60 साल बाद ऑक्सीजन का बिल लगभग 5 करोड़ रुपये आता है। तो हम सब 5 करोड़ रूपये के कर्जदार हो जाते हैं, जैसे ही हम सीनियर सिटीजन कैटेगिरी में आते हैं। विश्व पर्यावरण दिवस पर आप सबको हम इतना संदेश देना देना चाहते हैं कि पेड़ पौधों के प्रति संवेदशील बनिए, उनका अहसान मानिए, सांसें रखना है, जिंदा रहना है, मानवता को बचाना है तो पेड़-पौधे लगाना होगा इसके लिए किसी भी पर्यावरण दिवस की जरूरत नहीं है।

संस्थान के सचिव डॉ नीरज मिश्रा ने बताया कि विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर धन्वन्तरि सेवा संस्थान ने हर वर्ष की तरह इस बार भी वृक्षारोपण का कार्यक्रम संपन्न किया,  हमारे संस्थान का हमेशा लक्ष्य रहा है कि हर वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस पर एक पौधा लगाया जाए, सभी चिकित्सालयों के उद्यानों में, जिसकी शुरुआत किंग जॉर्ज विश्वविद्यालय के उद्यान से हुई है, वहीं बलरामपुर हॉस्पिटल के निदेशक डॉक्टर संतोष कुमार ने विश्व पर्यावरण पर धन्वन्तरि सेवा संस्थान द्वारा किए जा रहे वृक्षारोपण को सराहनीय कार्य बताते हुए कहा कि पेड़-पौधे लगाने से प्रदूषण कम होगा, इसलिए केवल पर्यावरण दिवस पर ही नहीं, हमेशा वृक्षारोपण के लिए दूसरों को प्रेरित करें और स्वयं भी लगाए। अवधेश नारायण ने कहा कि मानव जीवन के लिए ऑक्सीजन की भूमिका मुख्य है। इसके बिना जीवन की कल्पना ही असंभव है और ऑक्सीजन का स्रोत सिर्फ पेड़-पौधे हैं, हमारा पर्यावरण है, हर व्यक्ति को कम से कम अपने हिस्से का एक पौधा अवश्य लगाना चाहिए।

धन्वन्तरि सेवा संस्थान की ओर से आज विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर केजीएमयू इकाई के डॉक्टर एसएन संखवार, सीएमएस, केजीएमयू, डॉ एनएस वर्मा, डॉ सुनीता वर्मा, डॉ विभा सिंह, डॉ शैलवानी, डॉ जुरैब, डॉ मधुबन तिवारी, सरस्वती मंदिर के महंत पंडित मुकेश मिश्रा, एसएन त्रिपाठी और धन्वन्तरि सेवा संस्थान के कार्यकर्ता उपस्थित रहे।