9वीं इंडियन सोसाइटी ऑफ ट्रॉमा एंड एक्यूट केयर) की तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी शुरू
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्रॉमा से बड़ी संख्या में होने वाली मौतों पर चिंता जताते हुए कहा है कि इस मामले की गंभीरता को देखते हुए ही उन्होंने अपने मुख्यमंत्री पद के कार्यकाल के दौरान सड़क सुरक्षा से जुड़ी अब तक पांच महत्वपूर्ण बैठकों में विभागीय चयन किया है और इससे जुड़े विभिन्न पक्षों को लेकर एक कार्य योजना भी लागू की है।
मुख्यमंत्री ने यह बात आज किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के अटल बिहारी साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में ट्रॉमा सर्जरी विभाग द्वारा उत्तर प्रदेश में पहली बार 9वीं इंडियन सोसाइटी ऑफ ट्रॉमा एंड एक्यूट केयर (आईएसटीएसी) की तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए कही। मुख्यमंत्री ने संगोष्ठी के आयोजन पर केजीएमयू के ट्रॉमा सर्जरी विभाग की प्रशंसा करते हुए कहा कि निसंदेह ऐसे आयोजन से आमजन में ट्रॉमा के प्रति जागरूकता बढ़ेगी और इससे पीड़ित लोगों की जान बचाने के मामलों में वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि देश एवं प्रदेश के अंदर सड़क हादसों में मौत के आंकड़े किसी भी महामारी या महायुद्ध से ज्यादा हैं और इस समस्या का समाधान होना चाहिए। आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में हर साल करीब 80 हजार लोगों की मौत दुर्घटना के कारण हो जाती हैं।
उपचार से महत्वपूर्ण बचाव की बहुत बड़ी भूमिका
मुख्यमंत्री ने कहा कि उपचार से महत्वपूर्ण बचाव एक बहुत बड़ी भूमिका का निर्वहन कर सकता है और बचाव की यह भूमिका किस रूप में हो सकती है इसी बात को लेकर अंतर विभागीय समन्वय करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सड़क दुर्घटना के मुख्यतः दो कारण होते हैं पहला सड़क की इंजीनियरिंग में ब्लैक स्पॉट चिन्हित करने होंगे और उसका तत्काल समाधान करना होगा। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि पहले सड़कों पर संकेतक लगे होते थे जो वाहन चालकों को दिशानिर्देशित करते हुए उन्हें सावधान कर देते थे, जो हट चुके थे, उन्हें पुनः स्थापित करवाया गया है। सड़क दुर्घटना का दूसरा कारण दो पहिया और चार पहिया वाहन चालकों द्वारा हेलमेट और सीट बेल्ट न पहना।
एम्बुलेंस का रिस्पॉन्स टाइम कम किया गया
इसके साथ ही उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा एंबुलेंस सेवा 108, 102 और पुलिस सेवा की डायल 100 के रिस्पांस टाइम को कम करने का कार्य किया गया है। जिससे दुर्घटना में घायल पीड़ितों को गोल्डन आवर में उपचार की सुविधा उपलब्ध हो सके लेकिन इसका जो सबसे महत्वपूर्ण चरण होना है वह जागरूकता का है जिसके अंर्तगत डायल 100 के सभी पुलिस कर्मियों को केजीएमयू में प्रशिक्षण प्राप्त करने की प्रक्रिया के साथ आगे बढ़ रहे हैं।
पाठ्यक्रम में अब जागरूकता वाले पाठों का अभाव
मुख्यमंत्री ने कहा कि दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को नजदीक के स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचाने में सबसे बड़ी भूमिका किसकी होनी चाहिए और इसके बारे में जागरूकता लाना और सामान्य जन को बताना जरूरी हो गया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में संस्थानों एवं विद्यार्थियों के पाठ्यक्रमों से इन सारी चीजों को हटा दिया है। पहले स्कूल और कॉलेज में विद्यार्थियों को बताया जाता था कि साफ-सफाई पर ध्यान देना है, प्राकृतिक आपदाओं एवं कोई दुर्घटना हो गई है तो इससे कैसे बचना है इस बात की सामान्य जानकारी दी जाती थी और बताया जाता था कि क्या सावधानी बरतनी चाहिए। उन्होंने ट्रॉमा से जुड़ी सावधानियों के प्रति जागरूकता लाए जाने को महत्वपूर्ण बताया। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि इंसेफेलाइटिस से उत्तर प्रदेश में होने वाली मौतों के आकड़ों में 63 फीसदी की कमी दर्ज की गई है और आने वाले दो-तीन वर्षो में उत्तर प्रदेश को इंसेफेलाइटिस से मुक्त प्रदेश घोषित किया जाएगा।
इस अवसर पर चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्ना एवं स्वास्थ्य मंत्री जयप्रताप सिंह, चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 एमएलबी भट्ट तथा पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश, ओमप्रकाश सिंह उपस्थित रहे। कार्यक्रम का सफल संचालन केजीएमयू ट्रॉमा सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ संदीप तिवारी ने किया।
चिंतामुक्त होकर कार्य करेंगे तो बेहतर कर सकेंगे चिकित्सक : सुरेश खन्ना
इस अवसर पर चिकित्सा शिक्षा मंत्री, सुरेश खन्ना ने चिकित्सकों एवं स्वास्थ्यकर्मियों से चिंतामुक्त होकर कार्य करने का आह्वान करते हुए कहा कि अगर चिकित्सक चिंतामुक्त होकर रोगियों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराएंगे तो वह ज्यादा बेहतर ढंग से अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर सकेंगे। इसके साथ ही उन्होंने 9वीं आईएसटीएसी की संगोष्ठी के लिए शुभकामनाएं देते हुए कहा कि केजीएमयू ने जो ख्याति प्राप्त की है उसमें यह संगोष्ठी मील का पत्थर साबित होगी।
यूपी में मौजूद 42 ट्रॉमा सेंटरों को सशक्त करने की जरूरत : जयप्रताप
कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जयप्रताप सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश की 22 करोड़ की आबादी की सुविधा के लिए किस प्रकार के ट्रॉमा की व्यवस्था की जाएगी तथा वर्तमान में उत्तर प्रदेश में लगभग 42 ट्रॉमा सेंटर मौजूद हैं और इन्हें और सशक्त करने के लिए चिकित्सकों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यहां आयोजित संगोष्ठी में यूपी के ट्रॉमा सेंटर में मौजूद सुविधाओं की कमी को दूर करने एवं उनमें किए जाने सुधार को लेकर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग अपनी तैयारी करके दुर्घटना की संख्या को कम करने के लिए नए तरीकों की खोज करेंगे। इस अवसर पर पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश ओपी सिंह ने आमजन से यातायात नियमों का पालन करने एवं हेलमेट व सीट बेल्ट का इस्तेमाल किए जाने की अपील की।
इस अवसर पर चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 एमएलबी भट्ट ने संगोष्ठी में देश भर से प्रतिभाग करने आए चिकित्सकों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि लोगों के अंदर इस बात की जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है कि यातायात नियमों का पालन करने एवं सीट बेल्ट व हेलमेट लगाने से उनके स्वयं के जीवन की रक्षा होती है।
डॉ विनोद जैन बने यूपी-आईएसटीएसी के फाउंडर प्रेसीडेंट
कार्यक्रम के दौरान डीन, पैरामेडिकल साइंसेस डॉ विनोद जैन को यूपी- आईएसटीएसी का फाउण्डर प्रेसिडेंट बनाया गया जोकि अपने तरीके की राज्य की पहली एसोसिएशन है। आपको बता दें कि 28 अगस्त से 30 अगस्त तक केजीएमयू में आयोजित इस संगोष्ठी एवं कार्यशाला में ट्रॉमा से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की जाएगी तथा सड़क सुरक्षा से जुड़े कई अहम पेपर पढ़े जाएंगे। इस संगोष्ठी में देशभर से करीब 300 चिकित्सकों एवं 100 पैरामेडिकल कर्मियों को प्रशिक्षण एवं वेंटिलेशन की जानकारी दी जाएगी। इस अवसर पर इंडियन सोसाइटी ऑफ ट्रॉमा एंड एक्यूट केयर के अध्यक्ष प्रो एमसी मिश्रा ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में केजीएमयू के पूर्व कुलपति प्रो रविकांत, अधिष्ठाता, छात्र कल्याण, प्रो जीपी सिंह समेत कई चिकित्सक एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहीं।