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जड़ हो या चेतन, प्लास्टिक कर रही सभी पर प्रहार

-विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून) पर डॉ सूर्यकान्त की कलम से विशेष

डॉ सूर्य कान्त

हर साल पांच जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इस साल इस दिवस की थीम है –“Ending Plastic Pollution” अर्थात प्लास्टिक खत्म करना। इस थीम का उद्देश्य है – प्लास्टिक के दुष्प्रभाव के बारे में लोगों को जागरूक करना।
प्लास्टिक जीवन का अभिन्न अंग बन गया है लेकिन इससे होने वाला प्रदूषण एक बहुत बड़ी समस्या है। इससे न केवल पर्यावरण प्रभावित होता है बल्कि स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

प्लास्टिक के उत्पाद कम वजन, कम लागत और आसानी से एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए आज के समय में सभी जगह इस्तेमाल किये जा रहे हैं। इंडियन जर्नल ऑफ़ इम्यूनोलॉजी एंड रेस्पिरेटरी मेडिसिन में मेरे लेख “सेव द प्लेनेट” में मैंने बताया है कि “प्लास्टिक प्राकृतिक रूप से संशोधित प्राकृतिक चीजों जैसे प्राकृतिक रबर, नाइट्रोसेल्यूलोज कोलेजन, गेलाईट आदि से विकसित हुआ है। प्लास्टिक का बैग बहुत हल्का होने के बावजूद अपने से कई गुना अधिक वजन उठा सकता है इसलिए यह बहुत उपयोगी होता है। प्लास्टिक तब तक जहरीली गैस और पदार्थ रिलीज करता रहता है जब तक यह विघटित नहीं हो जाता है। इस कारण भूमि की उर्वरक क्षमता खत्म हो सकती है और यदि फसल पैदा भी होती है तो उसमें विषैले पदार्थ होते हैं जो कि मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं। साल 2040 तक जलीय पारिस्थितिक तंत्र में 23-37 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा होने का अनुमान है। साल 1950 से 2017 तक लगभग 9.2 बिलियन टन प्लास्टिक का उत्पादन किया गया है।

प्लास्टिक अपने उत्पादन से लेकर विघटन तक, अपने जीवन चक्र के हर चरण में लोगों और पर्यावरण को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। मनुष्य सांस लेने, निगलने और सीधे त्वचा के सम्पर्क के माध्यम से कई प्रकार के विषैले रसायनों और माइक्रोप्लास्टिक के सम्पर्क में आते हैं। प्लास्टिक के बड़े टुकड़ों के टूटने या प्लास्टिक के उत्पादन के दौरान माइक्रोप्लास्टिक बनते हैं जिनका आकार पांच मिमी से कम होता है।

एक अध्ययन में पाया गया है कि माइक्रोप्लास्टिक हवा, भोजन, पानी में मिले हैं। अध्ययन में समुद्री नमक, रॉक साल्ट, टेबल साल्ट, स्थानीय कच्चे नमक सहित 10 प्रकार के नमक और ऑनलाइन तथा स्थानीय बाजारों से खरीदी गयी पांच प्रकार की चीनी का जाँच पर शोध किया गया और निष्कर्ष में सामने आया कि नमक और चीनी के सभी नमूनों में अलग-अलग तरह के माइक्रोप्लास्टिक्स थे। माइक्रोप्लास्टिक्स का आकार .1 मिमी से .5 मिमी था। एक किलो नमक में माइक्रोप्लास्टिक्स के लगभग 90 टुकड़े मिले हैं व एक किलो चीनी के नमूनों में माइक्रोप्लास्टिक्स की मात्रा 11.85 से 68.25 टुकड़े पायी गयी।

“प्लास्टिक से हार्मोनल असंतुलन, कैंसर और अन्य स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं हो सकती हैं। बच्चों पर इसका गंभीर असर देखने को मिलता है। समय से पहले बच्चे का जन्म, मृत बच्चे का जन्म, जन्मजात प्रजनन अंगों में दोष, तंत्रिका सम्बन्धी कमजोरी, फेफड़ों के विकास में बाधा और बचपन में कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है।” प्लास्टिक प्रदूषण एक बड़ा पर्यावर्णीय मुद्दा है जिससे न केवल जमीन प्रदूषित हो रही है बल्कि जलीय जीवन और जलीय पारिस्थतिकी तंत्र भी प्रभावित हो रहा है।

हम अपने जीवन में कुछ आदतें सुधार कर इतनी सुंदर धरती को बचा सकते हैं | धरती हमारी माँ है और हम इसकी संतान हैं। प्लास्टिक का उपयोग बंद करें। घर से बाजार जाते समय कपड़े का झोला लेकर जाएँ। प्लास्टिक के बजाय कपड़े, पेपर से बने उत्पादों आदि का उपयोग करें। प्लास्टिक को ना कहें और विकल्पों को बढ़ावा दें।

पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने साल 2022 में पर्यावरण के लिए जीवन अर्थात Life For Environment (Life) आन्दोलन शुरू किया गया है। Life का दृष्टिकोण ऐसी जीवनशैली जीना है जो हमारे ग्रह पृथ्वी के अनुरूप हो और उसे कोई नुकसान न पहुंचाए। जो लोग ऐसा जीवन जीते हैं उन्हें ग्रह समर्थक लोग कहा जाता है। हमारा ग्रह एक है लेकिन हमारे प्रयास अनेक होने चाहिए। राज्य सरकार की ओर से एक जुलाई 2022 से सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबन्ध लगाया जा चुका है।

(लेखक डॉ सूर्य कान्त किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग, के विभागाध्यक्ष हैं तथा ऑर्गेनाइजेशन फॉर कंज़र्वेशन ऑफ़ एनवायरनमेंट एंड नेचर (ओशन) के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं)

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