केजीएमयू के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में आयी वर्ल्ड क्लास की नम्बर वन जांच मशीन
लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में विश्व की नवीनतम सर्वश्रेष्ठ तकनीक वाली MALDI-TOF मशीन आ गयी है, इससे सामान्य जांचों से लेकर जटिल जांचों को किया जायेगा, नतीजा यह है कि अब जांच में समय नहीं लगेगा, पहले जिन जांच रिपोर्ट्स के लिए मरीज और इलाज करने वाले डॉक्टरों को दो-दो, तीन-तीन दिन इंतजार करना पड़ता था, अब मात्र कुछ घंटों में ही मिल जायेगी। इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि संक्रमण से ग्रस्त मरीज का सटीक इलाज जल्दी शुरू हो सकेगा, जिसके लिए अभी तक इंतजार करना पड़ता था।
विभागाध्यक्ष प्रो अमिता जैन ने यह जानकारी देते हुए बताया कि कुलपति प्रो एमएल0बी0 भटट् के सहयोग से जनमानस को बेहतर चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराने के क्रम में माइक्रोबायोलॉजी विभाग में MALDI-TOF मशीन स्थापित की गई है, जोकि विश्व भर में संक्रमण की पहचान करने की नवीनतम एवं सर्वश्रेष्ठ तकनीक है।
प्रो0 अमिता जैन ने अवगत कराया कि मशीन की स्थापना से एनटीएम, नोकार्डिया और गंभीर फंगल संक्रमणों से होने वाले गंभीर रोग जैसे कि तपेदिक, ऑस्टियोमाइलाइटिस का सही और त्वरित उपचार शुरू करने में चिकित्सकों की मदद करेगा। उन्होंने बताया कि वर्तमान में सूक्ष्म जीवों की पहचान बैक्टीरिया और कवक प्रजातियों की सांस्कृतिक और जैव रासायनिक विशेषताओं पर आधारित थी, जिन्हे आमतौर पर पर्याप्त विकास के लिए कई दिनों से हफ्तों तक की आवश्यकता होती है और अक्सर सटीक परिणाम प्राप्त करना मुश्किल होता था। उन्होंने बताया कि यह मशीन जो कि एक स्वचालित द्रव्यमान स्पेक्ट्रोमेटी माइक्रोबियल पहचान प्रणाली है, जो मैट्रिक्स असिस्टेड लेजर डेसोरेशन इऑनाइजेशन टाइम-ऑफ-फ्लाइट MALDI-TOF तकनीक का उपयोग करती है तथा यह आम और दुलर्भ संक्रमणों की पहचान और उनके उपचार में काफी उपयोगी साबित होगी।
केजीएमयू मीडिया सेल की सह-संकाय प्रभारी डॉ शीतल वर्मा ने बताया कि चिकित्सा विश्वविद्यालय के अतिरिक्त यह मशीन भारत के कुछ ही केंद्रों में है तथा यह संक्रमण के प्रकोप को रोकने एवं उनसे बचाव करने में काफी सहायक सिद्ध होगी। इसके साथ ही यह उन मरीजों के लिए भी काफी मददगार साबित होगी जो प्रतिदिन ओपीडी में विभिन्न संक्रामक रोगों जैसे निमोनिया, घाव संक्रमण, संक्रमण के कारण अज्ञात बुखार, मेनिनजाइटिस, मूत्र मार्ग में संक्रमण, यौन संचारित संक्रमण, दस्त, त्वचा संक्रमण और अन्य संक्रमणों के ग्रस्त होकर आते हैं। उन्होंने बताया कि इसके साथ ही इनडोर रोगियों में संक्रमण से बचाव के लिए भी इसका उपयोग किया जाएगा। उन्होंने बताया कि यह प्रक्रिया काफी तेज और सस्ती भी है, जिन परीक्षणों में पहले एक या दो दिन लगते थे अब वह कुछ ही घंटों में किए जा सकेंगे। उन्होंने बैक्टीरियल आइसोलेट्स के लिए इस तकनीक को क्रांतिकारी बताते हुए कहा कि इसके परीक्षण शुरू कर दिए गए हैं।