Tuesday , December 3 2024

कोरोना की तीसरी लहर को रोकने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है इनकी…

-टीकाकरण के साथ बचाव के उपाय का मंत्र और सख्‍ती का तंत्र है बहुत जरूरी

-‘सेहत टाइम्‍स‘ का दृष्टिकोण

धर्मेन्‍द्र सक्‍सेना

लखनऊ। 21 जून से उत्तर प्रदेश में आंशिक कोरोना कर्फ्यू में पहले से मिली छूट के अतिरिक्त कुछ और नई छूट दी गई हैं, अब सरकार द्वारा दी गई गाइडलाइंस में जहां-जहां आने-जाने, खरीदारी करने आदि की छूट दी गई है उसमें कोविड प्रोटोकॉल का पालन अनिवार्य किया गया है। कोविड प्रोटोकॉल का पूरा पालन हो रहा है या नहीं इसे देखने के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका हमारे पुलिसकर्मियों की है। मोहल्‍ला निगरानी समितियां भी लोगों को जागरूक कर, मास्‍क न लगा होने पर टोककर, अपनी भूमिका निभा सकती है।

हालांकि संभावित तीसरी लहर को आने से रोकने के लिए सरकार के साथ ही नैतिक रूप से प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी तो है ही लेकिन नागरिक की जिम्मेदारी में सिर्फ नैतिकता के आधार पर ही खुद को और दूसरों को लापरवाही करने से बचाना शामिल है लेकिन पुलिसकर्मियों के पास ऐसी लापरवाही करने वालों के खिलाफ कानूनी अधिकार भी सुरक्षित हैं, ऐसी स्थिति में महत्‍वपूर्ण भूमिका हमारे पुलिस कर्मियों की ही है।

दरअसल इस समय सभी की चिंता तीसरी लहर को आने से रोकने के उपाय खोजने में है। इसमें कोई दो राय नहीं हैं कि टीकाकरण एक पुख्‍ता उपाय है संक्रमण को फैलने से रोकने में, इसे किया भी जा रहा है, लेकिन चूंकि जब तक यह सभी लोगों को न लग जाये तब तक के लिए जो संक्रमण का खतरा मंडरा रहा है उससे टीकाकरण के साथ ही कोविड से बचाव के प्रोटोकाल का पालन ही बचा सकता है।  देश में डेल्‍टा प्‍लस वेरियेंट के अब तक कई केस सामने आ चुके हैं। तीसरी लहर से कितना नुकसान होगा, पहले के कम होगा कि ज्‍यादा होगा, अभी इस बारे में विशेषज्ञ कुछ कहने की स्थिति में नहीं हैं, लेकिन सर्वाधिक महत्‍वपूर्ण बात यह है कि तेज लहर आए या धीमी, राज्‍यों के साथ ही उत्‍तर प्रदेश को भी बेहद सतर्क रहना होगा।

राज्य स्तरीय स्वास्थ्य परामर्श समिति ने भी सरकार को जो रिपोर्ट सौंपी है उसमें कहा गया है कि मास्‍क और शारीरिक दूरी के नियम का सख्ती से पालन नहीं कराया गया तो तीसरी लहर बेहद खतरनाक साबित हो सकती है। वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी कोरोना महामारी की तीसरी लहर से पहले सरकारों को जमीनी स्तर पर प्रयासों में तेजी लाने की सलाह दी है विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत सहित दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र के देशों से कहा है कि स्वास्थ्य और सामाजिक उपायों को बढ़ाने के लिए कार्यों में तेजी लाना आवश्यक है साथ ही भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सख्‍ती भी आवश्यक है। भारत में टीकाकरण में भी तेजी लाना जरूरी है ताकि महामारी के एक और उछाल को रोका जा सके। इसीलिए सरकार गंभीरता के साथ प्रत्येक जिले की सुरक्षा के लिए चक्रव्यूह बना रही है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने भी साफ कहा है कि कोरोना संक्रमण की संभावित तीसरी लहर और संचारी रोगों पर नियंत्रण के लिए सभी जिलों में पूरी सक्रियता से प्रयास शुरू कर दिए जाएं। रिपोर्ट में विशेषज्ञों ने यह भी सुझाव दिया है कि बाजारों में भीड़ हुई तो तीसरी लहर जल्‍द आएगी और बहुत नुकसान करेगी, इसीलिए मुख्यमंत्री ने कोविड प्रोटोकॉल का पालन सख्ती से कराने के लिए कहा है। तीसरी लहर को आने से रोकने में प्रत्‍येक नागरिक के साथ ही हमारी पुलिस की भूमिका सर्वाधिक महत्‍वपूर्ण है, और यह भूमिका उन्‍हें हर हाल में निभानी ही होगी, आवश्यक यह भी है कि पुलिस अपने दायित्‍व का निर्वहन ठीक से कर सके इसमें उच्‍चाधिकारियों को उन्‍हें सहयोग देना होगा।

पिछले दिनों आयी दूसरी लहर में जो हाय-तौबा मची थी, देखते ही देखते काल के गाल में समाते लोग, अस्‍पतालों में बेड फुल, श्‍मशानों में शव के अंतिम संस्‍कार की लाइनें, रूह कांप उठती है उस नजारे को याद करके। ऐसी स्थिति दोबारा न आये, यह सभी चाहते हैं, लेकिन सिर्फ चाहने से नहीं, इसके लिए प्रयास करना भी जरूरी है। अक्‍सर देखा गया है कि मास्‍क न लगाने वालों में वे भी शामिल होते हैं जो अपने आपको वीआईपी कहते हैं, या उन्हें यह लगता है कि मुझे तो कुछ भी नहीं होगा ऐसे लोगों को यह सोचना चाहिये कि कोरोना का वायरस वीआईपी और आम इंसान में भेद नहीं करता है, वह अपना वार सभी पर बराबर करता है, अगर उसके वार से बचने के लिए आपके पास ढाल है तो उसका वार बेकार, वरना आ गये चपेट में।

‘सेहत टाइम्‍स’ का मानना है कि जब केसेज बढ़ते हैं, और लॉकडाउन, बंदी जैसी स्थिति होती है तो नौकरी, बिजनेस या कोई भी व्‍यवसाय हो वह तो सभी का प्रभावित होता है, साथ ही मंडराता है जान पर खतरा। ऐसे में क्‍यों न जिम्‍मेदार नागरिक की तरह खुद सतर्क रहें और दूसरों को सतर्क रहने के लिए प्रेरित करें। इसके साथ ही मुख्‍यमंत्री के निर्देशों के अनुसार पुलिस अपनी भूमिका का निर्वहन करे और कोरोना प्रोटोकाल का पालन न करने वालों के साथ सख्‍ती बरते, जिस प्रकार यातायात नियमों का पालन न करने पर वीडियो बनाते हुए चालान किया जाता है, उसी प्रकार वाहन चालकों या उस पर बैठे हुए लोगों के मास्‍क न लगाने पर वाहन को रोकें, चालान काटें और उनसे जुर्माना वसूलें, साथ में एक मास्‍क भी दें। यदि मास्‍क न लगाने वाला व्‍यक्ति पैदल जा रहा है तो उसे रोकें और उस पर जुर्माना लगायें, मास्‍क दें, यदि वह जुर्माना भरने की स्थिति में नहीं है तो उस पर दूसरी कानूनी कार्यवाही करें। ध्यान रहे गलत आदतों को सुधारने के लिए घर के बच्‍चे पर भी सख्‍ती करनी ही पड़ती है, कहने का अर्थ है कि कानूनी और मानवीय दायरे में ही लापरवाही करने वालों को ऐसा सबक सिखायें, जिससे आइंदा वह बिना मास्‍क नजर न आये…