एसोसिएशन ऑफ प्लास्टिक सर्जन्स ऑफ इंडिया की 53वीं कॉन्फ्रेंस में देश-विदेश से जुटे विशेषज्ञों ने अपनी नयी तकनीक को किया प्रदर्शित
लखनऊ। वजह चाहे कैंसर हो या कुछ और, अगर चेहरा विकृत हो गया है और खराब दिखता है तो व्यक्ति को अपने अंदर हीनभावना लाने की जरूरत नहीं है क्योंकि बस एक चश्मा लगाने की देर है। आप सोच रहे होंगे कि एक चश्मा कैसे यह सब करेगा तो आपको बता दें कि चश्मा अकेला नहीं होगा, इस चश्मे के साथ ही होगा आपके चेहरे के उस भाग को भी सामान्य दिखाने की प्रॉस्थिसिस, चश्मा लगाने पर यह प्रॉस्थिसिस अपनी जगह लगी दिखायी देगी। उदाहरणस्वरूप जैसे कि कैंसर की वजह से किसी का कान खराब हो गया है वहां कान है ही नहीं, ऐसे में नकली कान बनाकर उसे चश्मे के साथ फिट कर दिया जायेगा जिससे कि वह चश्मा लगायेगा तो कान की जगह नकली कान असली जैसा ही दिखेगा।
यह बात यहां एसोसिएशन ऑफ प्लास्टिक सर्जन्स ऑफ इंडिया की कॉन्फ्रेंस में देश-विदेश से जुटे विशेषज्ञों के बीच हुई चर्चा में मेदान्ता हास्पिटल, नई दिल्ली के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ राकेश खजांची ने कही। कॉन्फ्रेंस में आज वीडियो वर्कशॉप का आयोजन किया गया जिसमें 70 वीडियो दिखाये गये इन वीडियो में अलग-अलग प्रकार की जटिल सर्जरी की जानकारी दी गयी थी, यही नहीं इन वीडियो में दिखायी गयी सर्जरी करने वाले सर्जन भी वर्कशॉप में मौजूद थे जिनसे वीडियो देखने वाले प्रतिभागियों ने प्रश्न पूछकर अपनी जानकारी को और गहरा किया। इस बारे में आयोजन समिति के डॉ आदर्श कुमार ने बताया कि डॉ राकेश खजांची ने बताया कि नये मैटीरियल और स्किन कलर टोनिंग से अब पहले से ज्यादा विकसित प्रॉस्थिसिस तैयार होने लगी हैं। डॉ खजांची ने बताया कि पैर के कृत्रिम पैर के क्षेत्र में तो पहले से ही काफी विकास हो चुका है जिससे लोग दौड़ते भी हैं लेकिन कृत्रिम हाथ फाइन फंक्शन नहीं दे पाते थे। इनके लिए मायो इलेक्टि्रक प्रॉस्थिसिस में अब उन्नत तकनीकों का प्रयोग करके इलेक्ट्रोड के जरिये नकली हाथ को और अधिक क्रियाशील बनाना संभव हो सका है। इसमें कंधे आदि की मांसपेशियों से संचालित किया जाता है जिससे कैसे अंगूठा उठाना है, कैसे उंगली उठानी है, किसी भी चीज को पकड़ने के लिए कैसे दोनों को पास लाना है, यह सुनिश्चित किया जाता है। इसके लिए कृत्रिम हाथ लगाते समय व्यक्ति को प्रशिक्षण दिया जाता है कि वह किस मांसपेशी को उठायेगा तो उससे कौन सी उंगली या अंगूठा संचालित होगा।
इसी प्रकार दिल्ली की डॉ मोनीशा कपूर ने चेहरे की बनावट में कॉस्मेटिक परिवर्तन की तकनीक का विस्तार से विवरण देते हुए बताया कि यदि किसी व्यक्ति की ठोढ़ी की हड्डी अंदर धंसी हुई है, या ज्यादा बाहर निकली हुई है तो उसे किस तरह से बाहर या मुंह के अंदर से बोन ग्राप्टिंग करके सही आकार दिया जा सकता है। केजीएमयू के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो एके सिंह ने अपनी की हुई सर्जरी के बारे मे वीडियो दिखाते हुए बताया किस प्रकार पैदाइशी धंसी हुई माथे की हड्डी को सामान्य स्वरूप दिया गया।
मुंबई के डॉ जगन्नाथन ने बताया कि बचपन में ठुड्डी में चोट लगने की वजह से यदि किसी का जबड़ा जाम हो जाता है जिससे मुंह खुलना बंद (टीएमजे ऐन्काइलोसिस) हो जाता है, यही बढ़ती उम्र के साथ चेहरे पर विकृति भी आ जाती है, तो इसमें जबड़े के जोड़ में किस टेक्निक से वह सर्जरी करते हैं, इस बारे में वीडियो के माध्यम से अपनी सर्जरी को दिखाते हुए मौजूद लोगों को जानकारी दी।
इस आयोजन में करीब 700 प्लास्टिक सर्जन हिस्सा ले रहे हैं। भारत व अन्य देषों से आये हुये विशेषज्ञों चिकित्सकों ने अपने नवीन शल्यक्रिया की तकनीक को साझा किया। इस कार्यशाला का उद्घाटन वरिष्ठ प्लास्टिक सर्जन प्रो0 एसडी पाण्डेय द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।
कार्यक्रम के आयोजन सचिव डॉ आर के मिश्रा ने बताया कि इस वीडियो वर्कशॉप से सभी प्रतिनिधि लाभान्वित हुये। इटली के डॉ जियोरजियो डी सान्तिस ने जबड़े की हड्डी को बनाने की विधि के बारे में चर्चा की और सजीव प्रदर्शन के द्वारा बताया कि किस प्रकार कैंसर की वजह से विकृत हुये जबड़े को पैर की फिबुला हड्डी और कमर की आइलेस हड्डी के टुकड़ों से पुनः नव आकार प्रदान किया जाता है।
आयोजन समिति के डा0 वैभव खन्ना ने क्रेनियो फेशियल सर्जरी खण्ड के वीडियो सेशन में इस क्षेत्र में उच्च कार्य करने वाले शल्य चिकित्सकों के साथ चेहरे की बनावट में प्लास्टिक सर्जरी के योगदान पर चर्चा की।
अमृतसर से आये हुये डा0 रवि महाजन ने बताया कि किस प्रकार उन्होंने अन्य चिकित्सकों के साथ मिलकर प्लास्टिक सर्जरी द्वारा अमृतसर रेल हादसे के गम्भीर घायलों का आपातकालीन आपरेशन व इलाज कर उन्हें नवजीवन प्रदान किया। डा0 आदर्श कुमार ने कार्यक्रम के बारे में बताते हुये कहा कि आज की वीडियो कार्यशाला बहुत ही सफल रही और कान्फ्रेंस में भाग लेने वाले सभी प्रतिनिधियों ने बहुत सराहना की।