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वैज्ञानिक बोले, नवरचना-नवपरिवर्तन की बेमिसाल क्षमता है भारत की ग्रामीण आबादी में

आम आदमी के नये कार्य लैब तक और लैब के कार्य आम आदमी तक पहुंचने ही चाहिये

 

लखनऊ। आम आदमी द्वारा किये जा रहे नये कार्य लैब तक और लैब में किये जा रहे कार्य आम आदमी तक पहुंचने जरूरी है। भारत की ग्रामीण आबादी में नवरचना नवपरिवर्तन की जो क्षमता है वह बेमिसाल है।

 

यह विचार भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्‍थान (आईआईटीआर) के निदेशक डॉ आलोक धावन ने गुरुवार कों आईआईटीआर में आयोजित राष्ट्रीय सामाजिक संगठन व संस्था मिलन तथा नेशनल सोशल ऑर्गनाइज़ेशन्स & इन्स्टीट्यूशन्स मीट (एनएसओआईएम) के अंतर्गत उन्मुखीकरण कार्यशाला में कही। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एनपी राजीव, उपाध्यक्ष, नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन, अहमदाबाद तथा कार्यशाला में आए सभी सामाजिक संगठनों, प्रतिभागियों एवं कार्यकर्ताओं का स्वागत किया। प्रोफेसर आलोक धावन ने राष्ट्रीय सामाजिक संगठन तथा संस्था मिलन की उन्मुखीकरण कार्यशाला पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह एक ऐसी धारा है जिसके माध्यम से हम वैज्ञानिक विचार, वैज्ञानिक उपलब्धियों एवं  उनके लाभ आम जनता तक पहुँचाने का कार्य कर रहे हैं। संपूर्ण भारतवर्ष को इस धारा से जोड़ा जा रहा है। भारत की ग्रामीण आबादी में नवरचना नवपरिवर्तन की जो क्षमता है वह बेमिसाल है। प्रत्येक समस्या को वह शीघ्रता से हल कर लेते हैं। जो लैब में हो रहा है वह आम आदमी तक और जो आम आदमी कर रहा है वह लैब तक पहुँचना चाहिए।

 

उन्‍होंने कहा कि सीएसआईआर की प्रयोगशालाओं में छात्रों को निरंतर भ्रमण कराया जाता है जिससे उनमें इनोवेशन सोंच विकसित हो। निदेशक ने उन्मुख कार्यशाला में भाग ले रहे प्रतिभागियों को आईआईटीआर की प्रयोगशालाओं के भ्रमण करने हेतु आमंत्रित भी किया।

 

मुख्य अतिथि एन.पी. राजीव ने अपने संबोधन में कहा कि विज्ञान कैसे आम आदमी के जीवन को सरल बना सकता है, कैसे समाज में परिवर्तन ला सकता है। कृषि का संधारणीय विकास, जल संसाधनों का प्रबंधन, महिला सशक्तिकरण में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का कैसे उपयोग किया जा सकता है, कैसे आम आदमी तक वैज्ञानिक लाभ पहुंचाया जा सकता है। किसानों के पास अधिक धन नहीं है, कैसे कृषि उपज बढ़ाई जा सकती है तथा कृषि उत्पादों का दीर्घ अवधीय संरक्षण करना जैसे मुद्दों का कुशलता से प्रबंधन करना है। सभी सरकारी योजनाओं का लाभ आम आदमी तक पहुँचाना है, राष्ट्रीय सामाजिक संगठन तथा संस्था मिलन का यह कार्यक्रम इस दिशा में एक बड़ा कदम है। उन्‍होंने कहा कि आओ साथ मिलकर विचार करें, साथ मिलकर कार्य करें और साथ मिलकर इसका लाभ भारत के आम आदमी तक पहुंचाएं।

 

डॉ. मृदुल शुक्ला, वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी, एनबीआरआई, लखनऊ एवं सलाहकार, विभा वाणी, उत्तर प्रदेश ने कहा कि इस उन्मुख कार्यशाला में सीएसआईआर की प्रयोगशालाओं सहित  सैकड़ों सामाजिक संगठन भाग ले रहे हैं । इसमें सामाजिक संगठनों का  प्रस्तुतीकरण के आधार पर भारतीय अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (आईआईएसएफ़-2018) में भाग लेने हेतु चयन भी किया जाएगा।

 

इस कार्यक्रम में आईआईटीआर के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डॉ. वी.पी. शर्मा तथा डॉ. आर. डी. त्रिपाठी, एमेरिटस वैज्ञानिक, एनबीआरआई के साथ ही शालिनी पाण्डेय, दीपेश कुमार भार्गव, रमा तिवारी, अनुराधा गुप्ता, अतुल द्विवेदी, राधे श्याम पाण्डेय, अनिल कुमार, पी कुशवाहा, वीपी सिंह, राजकमल श्रीवास्तव एवं बिनीत गुप्ता आदि समन्वयक के रूप मेँ उपस्थित रहे।