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आयुष से उपचार की वैज्ञानिक प्रामाणिकता के लिए डेटा बेस रिकॉर्ड रखने की सलाह दी प्रधानमंत्री ने

-आयुष रिसर्च पोर्टल पर फीड करें अपनी रिसर्च और उसके परिणाम

-पीएम ने आयुर्वेद, होम्‍योपैथी व यूनानी राष्ट्रीय आयुष संस्थानों का किया उद्घाटन

सेहत टाइम्‍स

नयी दिल्‍ली/लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने कहा है कि आधुनिक विज्ञान में आधार प्रमाण को माना जाता है, इसलिए हमें डेटा बेस प्रमाण रखना अनिवार्य है। उपचार के लिए किये गये शोध को आधुनिक वैज्ञानिक पैरामीटर पर हर क्‍लेम को वैरीफाई करके दिखाना है। एवीडेंस बेस्‍ड डेटा के लिए हमने आयुष रिसर्च पोर्टल भी बनाया है। इस पर अभी 40 हजार रिसर्च का डेटा मौजूद है। कोरोना काल के दौरान भी हमारे यहां आयुष से जुड़ी 150 स्‍पेसिफि‍क रिसर्च हुई हैं। उस अनुभव को आगे बढ़ाते हुए हम नेशनल आयुष रिसर्च कंसोर्डियम बनाने की दिशा में भी आगे बढ़ रहे हैं।  

प्रधानमंत्री ने यह उद्गार बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने और पारंपरिक चिकित्सा में अनुसंधान को बढ़ावा देने के उद्देश्य से रविवार को यहां स्थित नेशनल इंस्‍टीट्यूट ऑफ होम्‍योपैथी में तीन राष्ट्रीय आयुष संस्थानों अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए), गोवा, राष्ट्रीय यूनानी चिकित्सा संस्थान (एनआईयूएम), गाजियाबाद और राष्ट्रीय होम्योपैथी संस्थान (NIH), दिल्ली का उद्घाटन करने के अवसर पर अपने सम्‍बोधन में व्‍यक्‍त किये। इन संस्‍थानों का उद्घाटन प्रधान मंत्री ने आयुष मंत्रालय द्वारा आयोजित 9वीं विश्व आयुर्वेद कांग्रेस (डब्ल्यूएसी) के अवसर पर किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज जिन तीन संस्‍थानों का लोकार्पण किया गया है ये तीनों संस्‍थान आयुष हेल्‍थ केयर सिस्‍टम को नयी गति देंगे।

उन्‍होंने कहा कि आने वाली सदियों में आयुर्वेद के प्रति वैश्विक सहमति, सहृदयता और स्‍वीकार्यता आने में इतना समय इसलिए लगा क्‍योंकि आधुनिक विज्ञान में आधार प्रमाण को माना जाता है। हमारे पास आयुर्वेद का प्रभाव भी था, परिणाम भी था लेकिन प्रमाण के मामले में हम पीछे छूट रहे थे। इसलिए आज हमें डेटा बेस प्रमाण रखना अनिवार्य है। इस‍के लिए हमें लम्‍बे समय निरंतर काम करना होगा हमारा जो मेडिकल डेटा है, जो शोध है हमें उन सबको एकसाथ लाकर आधुनिक वैज्ञानिक पैरामीटर पर हर क्‍लेम को वैरीफाई करके दिखाना है। भारत में बीते वर्षों इस पर काम हुआ है।

प्रधानमंत्री ने अपने सम्‍बोधन में विश्‍व आयुर्वेद कांग्रेस के आयोजन की सफलता के लिए अपनी शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह आयोजन ऐसे समय हो रहा है जब भारत की आजादी के अमृत काल की यात्रा शुरू है,  अपने ज्ञान-विज्ञान और सांस्‍कृतिक अनुभव से विश्‍व के कल्‍याण का संकल्‍प अमृतकाल का एक बड़ा लक्ष्‍य है और आयुर्वेद इसके लिए मजबूत और प्रभावी माध्‍यम है। उन्‍होंने कहा कि भारत इस वर्ष जी20 समूह की अध्‍यक्षता और मेजबानी भी कर रहा है। हमने जी20 समिट की भी थीम रखी है वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर। उन्‍होंने कहा कि ऐसे ही विषय पर आप सब वर्ल्‍ड आयुर्वेद कांग्रेस में चर्चा करेंगे, पूरे विश्‍व के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए विमर्श करेंगे। उन्‍होंने कहा कि मुझे खुशी है कि दुनिया के 30 से ज्‍यादा देशों ने आयुर्वेद को ट्रै‍डिशनल मेडिसिन के रूप में मान्‍यता दे रखी है। हमें मिलकर इसे और ज्‍यादा से ज्‍यादा देशों तक पहुंचाना है, आयुर्वेद को मान्‍यता दिलवानी है।

उन्‍होंने कहा कि आयुर्वेद ऐसा दर्शन है जिसका उद्देश्‍य सर्वे भवन्‍तु सुखिन:, सर्वे संत निरामया यानी सबका सुख सबका स्‍वास्‍थ्‍य। उन्‍होंने कहा कि आयुर्वेद इलाज से आगे बढ़कर वेलनेस की बात करता है। विश्‍व भी अब इस प्राचीन दर्शन की ओर लौट रहा है, मुझे इस बात की खुशी है कि भारत में यह कार्य बहुत पहले से शुरू हो चुका है, इसके लिए उन्‍होंने कहा कि वह जब गुजरात के मुख्‍यमंत्री थे, तभी उन्‍होंने आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए कई प्रयास शुरू किये थे, इसका परिणाम है कि आज जामनगर में विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन की ओर से विश्‍व का पहला और इकलौता ग्‍लोबल सेंटर ऑफ ट्रेडिशनल मेडिसिन खोला गया है। उन्‍होंने कहा कि इसी तरह विश्‍व योग दिवस को पूरी दुनिया सेलीब्रेट करती है।

भारत में यहां एम्‍स जैसे संस्‍थानों में योग और आयुर्वेद से जुड़ी रिसर्च हो रही हैं, रिसर्च प्रतिष्ठित जर्नल में पब्लिश हो रही हैं, अमेरिकन जर्नल ऑफ कार्डियोलॉजी और न्‍यूरोलॉजी जैसे सम्‍मानित जर्नल्‍स में कई रिसर्च पेपर्स प्रकाशित हुए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि आयुर्वेद सिर्फ इलाज ही नहीं जीवन जीने का तरीका सिखाता है। उन्‍होंने कहा कि हम मशीन का खयाल रखते हैं लेकिन शरीर का नहीं, आयुर्वेद हमें सिखाता है कि हार्डवेयर सॉफ्टवेयर की तरह ही शरीर और मन भी स्‍वस्‍थ रहना चाहिये, उनमें समन्‍वय रहना चाहिये। उन्‍होंने कहा कि आज आयुष इंडस्‍ट्री में हर किसी के लिए स्‍कोप है, इसमें 40000 एमएसएमई कार्य कर रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि आयुष इंडस्‍ट्री जो आठ साल पहले करीब 20 हजार करोड़ थी वह आज डेढ़ लाख करोड़ के आसपास पहुंच रही है, उन्‍होंने कहा कि वैश्विक स्‍तर पर इसकी इंडस्‍ट्री 10 लाख करोड़ की है तथा आने वाले समय में ग्‍लोबल मार्केट में इसका विस्‍तार होना ही है, हम धीरे-धीरे आयुष को समग्रता से आगे बढ़ा सकते हैं, इस पर विचार करना चाहिये।

आज जिन तीन संस्‍थानों का उद्घाटन किया गया है उसके बारे में आयुष मंत्रालय के अनुसार, ये उपग्रह संस्थान अनुसंधान, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को और मजबूत करेंगे और बड़े समुदाय के लिए सस्ती आयुष सेवाओं की सुविधा प्रदान करेंगे। ये संस्थान देश के प्रत्येक नागरिक और प्रत्येक क्षेत्र को सस्ती स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने में मदद करेंगे।

आयुष मंत्रालय ने कहा कि आयुर्वेद, होम्योपैथी और यूनानी में तीन नए राष्ट्रीय आयुष संस्थानों की स्थापना 400 छात्रों के लिए 400 अतिरिक्त सीटों का निर्माण करेगी।

अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए), गोवा

अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए), गोवा दिल्‍ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान का सैटेलाइट इंस्‍टीट्यूट है, यह चिकित्सा की आयुर्वेद प्रणाली के माध्यम से शिक्षा, अनुसंधान और रोगी देखभाल सेवाओं के पहलुओं में यूजी, पीजी और डॉक्टरेट के बाद की धाराओं के लिए उच्चतम गुणवत्ता वाली सुविधाएं प्रदान करने के लिए काम करेगा। बयान में कहा गया है कि यह चिकित्सा मूल्य यात्रा (एमवीटी) को बढ़ावा देने वाले आयुर्वेद के एक वेलनेस हब के रूप में विकसित होगा और शैक्षणिक और अनुसंधान उद्देश्यों के लिए अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय सहयोग के लिए एक मॉडल केंद्र के रूप में कार्य करेगा।

राष्ट्रीय होम्योपैथी संस्थान (एनआईएच), दिल्ली

बयान के अनुसार, राष्ट्रीय होम्योपैथी संस्थान (एनआईएच), दिल्ली कोलकाता स्थित नेशनल इंस्‍टीट्यूट ऑफ होम्‍योपैथी का सैटेलाइट संस्‍थान उत्तरी भारत में होम्योपैथिक चिकित्सा प्रणाली विकसित करने और स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं प्रदान करने के लिए स्थापित होने वाला अपनी तरह का पहला संस्थान है। यह आधुनिक दवाओं के साथ आयुष स्वास्थ्य सेवाओं को मुख्यधारा में लाने और एकीकृत करने में काम करेगा और अनुसंधान एवं विकास और नवाचार को प्रोत्साहित करेगा और प्रतिष्ठित राष्ट्रीय संस्थानों को विकसित करेगा।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ यूनानी मेडिसिन (एनआईयूएम), गाजियाबाद

इसी प्रकार नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ यूनानी मेडिसिन (एनआईयूएम), गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश मौजूदा नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ यूनानी मेडिसिन, बैंगलोर का एक उपग्रह केंद्र होगा। यह उत्तरी भारत में इस तरह का पहला संस्थान होगा और एमवीटी के तहत दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और भारत के अन्य राज्यों के साथ-साथ विदेशी नागरिकों के रोगियों को सेवाएं प्रदान करेगा।

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