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मौत के लिए जिम्‍मेदार 10 बड़ी बीमारियों में एक है टीबी

-वर्ल्‍ड टीबी डे पर केजीएमयू के पल्‍मोनरी एवं क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग में जागरूकता कार्यक्रम

-एक गाँव एवं 25 टी0बी0 ग्रसित मरीजों को गोद लेने का निर्णय लिया विभाग ने

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। क्षय रोग यानी टीबी आज भी सम्पूर्ण विश्व में मृत्यु के लिए जिम्मेदार 10 प्रमुख बीमारियों में से एक है। 2019 तक के आंकड़ों के अनुसार देश में लगभग 1 करोड़ से ज्यादा लोग टी0बी0 से ग्रसित हैं जिनमें से लगभग 14 लाख लोगों ने अपनी जान गंवाई है। ड्रग रजिस्टेन्ट टी0बी0 (एमडीआर) से ग्रसित होने वाले रोगियों की संख्या देश में लगभग 1.35 लाख हैं।

यह जानकारी विश्‍व टीबी दिवस के मौके पर केजीएमयू के पल्मोनरी एवं क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के विभागाध्‍यक्ष डॉ वेद प्रकाश ने मंगलवार को विभाग में आयोजित एक कार्यक्रम में देते हुए बताया कि विश्व के 8 देश लगभग 2 तिहाई टी0बी0 रोगियों के लिए जिम्मेदार हैं जिसमें भारत सबसे ऊपर है। विश्व में टी0बी0 इंसिडेंस 2 प्रतिशत दर से घट रहा है। जबकि 2025 तक टी0बी0 मुक्त भारत का सपना साकार करने के लिए इस दर को 4-5 प्रतिशत ले जाने की आवश्यकता है।

उन्‍होंने कहा कि इस वर्ष विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन का थीम दि क्‍लॉक इज टिकिंग है,  इसका मतलब है कि समय हमारे हाथ से निकलता जा रहा है और अब सिर्फ कागजी कार्यवाही का समय नहीं है बल्कि हम सबको साथ मिलकर जमीनी कार्यवाही करके विश्व से टी0बी0 खत्म करने की जरूरत है।

जहां एक तरफ डब्ल्यू0एच0ओ0 ने 2030 तक टी0बी0 का अंत करने की कार्य योजना तैयार की है वही भारत सरकार द्वारा 2025 तक टी0बी0 मुक्त भारत का संकल्प लिया गया है। उन्‍होंने कहा कि टी0बी0 के बैक्टीरिया श्वास द्वारा शरीर में प्रवेश करते हैं और रोगी के खांसने, बात करने, छींकने, थूकने से दूसरे लोगों में इसका संक्रमण हो जाता है। इसलिए लोगों को सलाह दी जाती है कि मरीज के मुंह पर कपड़ा या मास्क रख जाय और होने वाले संक्रमण से बचा जाये।

फेफडे़ की टी0बी0 के लक्षणः-

01.  दो हफ्ते से ज्यादा तक खांसी का आना।

02.  बलगम आना।

03.  बलगम के साथ रक्त आना।

04.  सीने में दर्द।

05.  बुखार आना।

06.  भूख एवं वजन तेजी से कम होना।

डॉ वेद ने बताया कि क्षय रोग केवल फेफड़ों को ही नहीं, शरीर के किसी भी अंग और किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है। क्षय रोग की वजह से महिलाओं में बांझपन की समस्या आ रही है। जननांग अंगों के क्षय रोग का शुरुआती अवस्‍था में पकड़ना मुश्किल होता है।

महिलाओं में लक्षणः-

    समय से माहवारी का न होना।

    जननांग से रक्त मिश्रित स्राव होना।

    सम्भोग के समय दर्द होना इत्यादि।

    पुरुषों में लक्षणः-

    स्खनल न होना।

    स्पर्म की संख्या में कमी।

    पिट्यूटरी – ग्लैंड की समस्यायें।

    महिलाओं में क्षय रोग से ग्रसित होने वाले जननांगः-

    फैलोपियन ट्यूब 95 से 100 प्रतिशत तक।

    यूटेराइन इन्डोमैट्रिक 50 से 60 प्रतिशत तक।

    ओवरी 20 से 30 प्रतिशत तक।

    सर्विक्स 5 से 15 प्रतिशत तक।

    मायोमैट्रियिम 2.5 प्रतिशत तक।

    वेजाइना 1 प्रतिशत तक।

    पुरुषों में क्षय रोग से ग्रसित होने वाले जननांगः-

    एपिडिमों-आरकाइटिस।

    मूत्रनलिका का बंद होना।

    स्पर्म की संख्या का कम होना।

    स्खलन न होना।

90 प्रतिशत जननांगों का क्षय रोग 15 से 40 साल की महिलाओं में पाया जा रहा हैं 60 से 80 प्रतिशत बांझपन का कारण क्षय रोग होता है। विगत वर्षों में जननांगों का क्षय रोग 10 प्रतिशत से बढ़कर 30 प्रतिशत हो गया है। बच्चों में होने वाला क्षय रोग उनके विकास को भी प्रभावित करता है।

सामान्यतया टी0बी0 को ठीक किया जा सकता है इसके लिए जरूरी है कि शुद्ध एवं पौष्टिक खानपान, अच्छी दिनचर्या और समय पर पूरा इलाज लिया जाये। कई बार यह देखा जाता है कि मरीज पूरा इलाज नहीं करवाते हैं। टी0बी0 के सामान्य मरीजों का इलाज 6 से 8 महीने तक चलता है, जबकि एम0डी0आर0 टी0बी0 का इलाज 2 साल तक चलता है, किंतु मरीज कुछ दिन दवा खाने के बाद जैसे ही ठीक होने लगता है वह कुछ ही समय पश्चात दवा लेना बन्द कर देता है। हम ऐसे कई मरीजों से मिलते हैं जो यह बताते हैं कि हमें टी0बी0 हुयी थी हमने कुछ दिन दवा खायी   थी हमको तबियत ठीक लगने लगी तो हमने इलाज स्वयं ही बंद कर दिया। मेरा ऐसे मरीजों से निवेदन है कि वो पूरा इलाज कराये और अपने चिकित्सक के परामर्श के बाद ही दवा बंद करें।

विभाग ने टी0बी0 मुक्त भारत अभियान में एक गाँव एवं 25 टी0बी0 ग्रसित मरीजों को गोद लेने का निर्णय लिया है, उनको टीबी के साथ ही उनको अन्य बीमारियों के लिए भी शिक्षित करेगा। इस सम्‍बन्‍ध में ग्राम उत्तरधौना तिवारी गंज, लखनऊ के ग्राम प्रधान संदीप सिंह से वार्ता की गयी जिसमें ग्राम प्रधान द्वारा सहज स्वीकृति प्रदान की गयी है।

इस अवसर पर प्रोफेसर राजेन्द्र प्रसाद का रीसेन्‍ट एडवांसेज इन ट्रीटमेंट ऑफ ट्यूबरकुलोसिस  पर व्याख्यान हुआ। इसमे ले0 जन0 (रि0) डा0 बी0एन0बी0एम0 प्रसाद, प्रोफेसर पी0सी0सी0एम के0जी0एम0यू0, लखनऊ, डा0 पी0के0 मुखर्जी, पूर्व विभागाध्यक्ष, रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के0जी0एम0यू0, लखनऊ, प्रोफेसर आर0ए0एस0 कुश्वाहा रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के0जी0एम0यू0, लखनऊ, और डा0 एन0बी0 सिंह सीनियर श्वास रोग विशेषज्ञ सिविल हॉस्पिटल लखनऊ चेयरपर्सन्‍स थे।

डॉ वेद ने कहा कि कोविड-19 बीमारी ने पूरे विश्व को चपेट में ले रखा है, कोविड-19 एवं टी0बी0 बीमारी का संक्रमण खांसने, छींकने से फैलता है। इस कोविड काल में कोविड इंफेक्शन रोकने के लिए उपयोग में लाये जाने वाले मास्क, टी0बी0 इंफेक्शन रोकने के लिए भी बहुत उपयोगी साबित हुए हैं। सामाजिक दूरी भी कोविड बीमारी के साथ-साथ टी0बी0 बीमारी रोकने में कारगर है।

इस कार्यक्रम में के0जी0एम0यू0 के कुलपति ले0 जनरल डॉ बिपिन पुरी के अतिरिक्त डॉ राजेन्द्र प्रसाद, ले0 ज0 डॉ बी0एन0बी0एम0 प्रसाद,  डॉ वेद प्रकाश, डॉ हेमन्त कुमार, डॉ मोहम्मद आरिफ, डॉ अभिषेक कुमार गोयल, डॉ सचिन, डॉ सुलक्षणा गौतम, डॉ रंजय, डॉ फैजान, डॉ कैफी, डॉ हरेन्द्र, डॉ मोहम्मद तारिक एवं अन्‍य विभागों के सदस्‍य भी सम्मिलत हुए।