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इन आठ बातों का रखें ध्‍यान, तो बच सकते हैं गुर्दा रोगों से

-विश्‍व गुर्दा दिवस पर फोर्टिस अस्‍पताल के डॉ संजीव गुलाटी ने किया जागरूक
डॉ संजीव गुलाटी

नई दिल्ली/लखनऊ। विश्व गुर्दा दिवस (12 मार्च) पर नेफ्रोलॉजी और किडनी ट्रांसप्लांट फोर्टिस फ्लाइट लेफ्टिनेंट धन अस्पताल के डायरेक्टर डॉ संजीव गुलाटी ने कहा है कि‍ दुनिया भर में गुर्दा रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है, इस बढ़ते हुए बोझ के बारे में लोगों को जागरूक करना और क्रॉनिक किडनी डिजीज से बचाव और निदान के आसान उपायों बताने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस वर्ष सभी के लिए सभी जगह गुर्दा स्‍वास्‍थ्‍य- बचाव से निदान और देखभाल के समान अवसर तक सभी की पहुंच नामक थीम तैयार की है। डॉ गुलाटी ने बताया भारत में खासतौर से उत्तर प्रदेश जैसी घनी आबादी वाले राज्यों में अंतिम स्टेज किडनी डिजीज के वास्तविक बोझ का सही-सही आकलन अभी नहीं हुआ है और न ही रीनल रीप्लेसमेंट थेरेपी तथा राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय पंजीकरण के तहत यह जानकारी उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि यूरोपीय देशों में जिस प्रकार से सरकारी आर्थिक सहायता उपलब्ध है उस तरह की व्यवस्था भारत में नहीं है और ऐसी स्थिति में डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट का पूरा बोझ मरीज के द्वारा किया जाता है, जो कई बार उन्‍हें कर्ज के बोझ से दबाता है।

डॉ गुलाटी ने बताया 8 महत्वपूर्ण नियमों का पालन कर गुर्दा रोगों से बचा जा सकता है उन्होंने बताया इनमें पहला चुस्त और सक्रिय रहें दूसरा सेहतमंद खुराक लें, तीसरा अपने ब्लड शुगर की जांच करें और उसे नियंत्रित रखें, चौथा अपने ब्लड प्रेशर की जांच करें और नियंत्रित रखें, पांचवां समुचित मात्रा में तरल पदार्थ लें, छठा धूम्रपान न करें सातवां बिना डॉक्टरी सलाह के दर्द की दवा का नियमित सेवन न करें तथा आठवां अपने गुर्दों की कार्यप्रणाली यानी किडनी फंक्शन की नियमित जांच कराएं।

उन्होंने कहा अगर आप क्रॉनिक किडनी डिजीज के रोगी हैं तो समुचित टेस्ट और कुछ अन्य आसान उपायों की मदद से एंड स्टेज किडनी डिजीज की अवस्था को आगे बढ़ा सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वैकल्पिक उपचार पद्धतियों से बचना चाहिए क्योंकि उनके कारगर होने के बारे में फिलहाल ज्यादा प्रमाण उपलब्ध नहीं है जबकि इसके विपरीत इनकी वजह से किडनी फेल होने की प्रक्रिया तेज हो सकती है।