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किडनी फेल्‍योर से ग्रस्‍त गर्भवती के मृत शिशु का जन्‍म सामान्‍य प्रसव से कराने में सफलता

-ऑब्सटेट्रिक क्रिटिकल केयर के क्षेत्र में अभूतपूर्व उपलब्धि हासिल की केजीएमयू ने 

 

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। 23 वर्षीया गर्भवती का मां बनने का सपना तब टूट गया जब उसके 34 माह के गर्भ में पल रहे शिशु की मौत हो गयी। उसकी परेशानी यहीं समाप्‍त नहीं हुई अब समस्‍या यह थी कि सफलता पूर्वक उसके मृत शिशु की डिलीवरी करवा कर महिला की जान बचाना क्‍योंकि महिला रेस्‍पाइरेटरी फेल्‍योर, किडनी फेल्‍योर जैसी कई जटिल बीमारियों से ग्रस्‍त थी। ऐसी स्थिति में अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर अपने कार्य का लोहा मनवाने वाले केजीएमयू में इस महिला की CRRT​​(निरंतर रीनल रिप्लेसमेंट थेरेपी) करते हुए सामान्‍य प्रसव करने में क्‍वीनमैरी हॉस्पिटल को सफलता हासिल हुई है। बताया जा रहा है कि यह उत्‍तर प्रदेश का पहला केस है जिसे डायलिसिस पर रहते हुए सामान्‍य प्रसव कराया गया है।

यह जानकारी देते हुए केजीएमयू के मीडिया प्रवक्‍ता डॉ सुधीर सिंह ने बताया कि बीती 19 मार्च को 34 सप्ताह की गर्भावस्था के साथ आईयूडी की समस्‍या के साथ इस महिला को भर्ती किया गया था। रोगी respiratory failure और severe metabolic acidosis में थी। इनका PH 6.9 था। रोगी kidney failure में भी थी। उन्हें IUD समस्या के चलते (बच्चे की अंतर्गर्भाशयी मृत्यु) भर्ती कराया गया था। उन्हें तुरंत वेंटिलेटर और वैसोप्रेसर सपोर्ट पर रखा गया।

डॉ सुधीर बताते हैं कि निम्न रक्तचाप के कारण वह नियमित डायलिसिस के लिए अनुपयुक्त थी, इसलिए निरंतर रीनल रिप्लेसमेंट थेरेपी शुरू की गई। उसने CRRT ​​पर रहते हुए मृत भ्रूण को जन्म दिया। धीरे-धीरे उसकी स्थिति में सुधार हुआ और उसे नियमित डायलिसिस के लिए स्थानांतरित कर दिया गया। उसके गुर्दे के कार्य और श्वसन मापदंडों में सुधार हुआ, और उसे वेंटिलेटर के साथ-साथ डायलिसिस सहायता से हटा दिया गया। एक महीने तक आईसीयू में रहने के बाद उन्हें घर से छुट्टी दे दी गई।

डॉ सुधीर सिंह ने बताया कि हमारी जानकारी के अनुसार, यह पहली बार है कि उत्तर प्रदेश राज्य में डायलिसिस पर रहते हुए भी किसी मरीज की सामान्य डिलीवरी हुई है, क्योंकि यह सुविधा और विशेषज्ञता सीमित केंद्रों में ही उपलब्ध है। यद्यपि वह कई अंगों की विफलता के बावजूद बच गई, लेकिन परिधि में काम करने वाले डॉक्टरों और पैरामेडिक्स के लिए यह सलाह दी जाती है कि बीमारी के दौरान बीमार रोगियों को उच्च केंद्रों पर जल्दी भेज दिया जाए। एक बार जब कई अंग विफल हो जाते हैं, तो बचने की संभावना कम हो जाती है।

डॉ सुधीर ने बताया कि रोगी के उपचार में प्रसूति एवं स्‍त्री रोग विभाग की चिकित्‍सकों के साथ ही मेडिसिन विभाग व क्रिटिकल केयर विभाग के चिकित्‍सकों की भी अहम भूमिका रही।

रोगी के उपचार में लगी चिकित्सक टीम-

Obs & Gynae

प्रो उमा सिंह

प्रो रेखा सचान

डॉ नम्रता

Medicine

प्रो वीरेंद्र आतम

डॉ मेघावी गौतम

Critical care

डॉ अविनाश

डॉ आर्मिन

डॉ नबील

डॉ सुलेखा

डॉ सुहैल

डॉ सौमित्र

डॉ साई सरन