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कोविड-19 योद्धाओं पर हो रहे हमलों पर राज्‍य कर्मचारी संयुक्‍त परिषद ने जतायी चिंता

-ऐसे स्‍थानों पर टीम भेजने के बजाय, लोगों को अस्‍पताल लाकर जांच करायी जाये
-कोरोना महामारी से पैदा हालातों में 20 अप्रैल से प्रस्‍तावित सभी आंदोलन स्‍थगित
file photo Moradabad

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। राज्‍य कर्मचारी संयुक्‍त परिषद ने चिकित्‍सा कर्मियों पर हो रहे हमलों पर चिंता व्‍यक्‍त करते हुए मांग की है कि प्रशासन द्वारा ऐसे स्थानों से लोगों को चिकित्सालय लाकर उनकी जांच कराई जाए, चिकित्सा कर्मियों को ऐसे क्षेत्रों में न लगाया जाये। चिकित्सा कर्मी चिकित्सालय में कार्य को तैनात हैं, वर्तमान समय में चिकित्सा कर्मियों की अनेक टीमों की जरूरत है तथा बैकअप की भी जरूरत है। परिषद ने यह भी कहा है कि कोरोना महामारी से उत्‍पन्‍न स्थितियों को देखते हुए पूर्व में घोषित 20 अप्रैल से होने वाला आंदोलन भी अभी स्‍थगित कर दिया गया है।

परिषद के महामंत्री अतुल मिश्रा ने यह जानकारी देते हुए बताया कि राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के हाईकमान की वीडियो कांफ्रेंसिंग द्वारा गुरुवार को  बैठक सम्‍पन्‍न हुई। बैठक में संगठन प्रमुख के के सचान, अध्यक्ष सुरेश रावत, वरिष्ठ उपाध्यक्ष गिरीश मिश्रा, प्रमुख उपाध्यक्ष सुनील यादव, प्रवक्ता अशोक कुमार, उपाध्यक्ष धनंजय तिवारी शामिल हुए।

बैठक में इस बात पर चिंता व्यक्त की गयी कि कि प्रदेश के अधिकांश जनपदों में चिकित्सा कर्मियों के साथ दुर्व्यवहार की शिकायतें प्राप्त हो रही हैं। जनपद पीलीभीत व सहारनपुर में पुलिसकर्मियों द्वारा ड्यूटी पर जा रहे चिकित्सा कर्मी को अपमानित किया गया, वहीं कन्नौज व मुरादाबाद जनपद में चिकित्सा कर्मियों पर पथराव की घटनाएं सामने आईं। जिसमें चिकित्सक सहित कई अन्य कर्मचारी गंभीर रूप से घायल हो गए हैं, जो नितांत चिंताजनक है।

सरकार सेवानिवृत्त और छात्रों को भी सेवायोजित करना चाह रही है, ऐसे में अपने चिकित्सा कर्मियों को सुरक्षित रखना भी सरकार की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। साथ ही चिकित्सा कर्मियों का मनोबल न टूटने पाए इस बात का भी ध्यान रखना आवश्यक है। परिषद ने प्रदेश सरकार से यह भी मांग की कि चिकित्सालय में इमरजेंसी में कार्यरत स्टाफ और क्वॉरेंटाइन मैनेजमेंट में लगे सभी कार्मिकों के साथ सर्विलेंस टीम में महत्वपूर्ण ड्यूटी कर रहे उन सभी चिकित्सा कर्मियों को, जो मरीज के संपर्क में आते हैं उन्हें पीपीई किट अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराया जाए। चिकित्सा संस्थानों में पी पी ई और आवश्यक सामानों की कमी न हो इस बात का ध्यान रखना आवश्यक है। परिषद  के कहा कि प्रदेश का हर राज्य कर्मचारी इस संकटकाल में जनता को इस रोग से बचाने के लिए पूरे मनोयोग से कार्य कर रहा है, हर कर्मचारी जनता के साथ है और सरकार के प्रत्येक निर्देशों का पालन करने को तत्पर है।

20 अप्रैल से होने वाले आंदोलन फि‍लहाल स्‍थगित

अतुल मिश्रा ने बताया कि 2 फरवरी को राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद की प्रांतीय कार्यकारिणी द्वारा पुरानी पेंशन बहाली, वेतन विसंगति दूर करने, भत्तों की समानता सहित मुख्य सचिव के साथ हुए समझौतों पर कार्यवाही की मांग को लेकर 20-21 अप्रैल को काला फीता, 22 अप्रैल को जनपदों में मोटरसाइकिल रैली तथा 23 व 24 अप्रैल कोप्रदेशव्यापी कार्यबहिष्कार का निर्णय लिया गया था।

उन्‍होंने कहा है कि हालांकि परिषद ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि शासन द्वारा मांगों पर सकारात्मक निर्णय नहीं लिए गए। लेकिन प्रदेश में इस संकट काल मे प्रदेश का हर कर्मचारी सरकार और जनता के साथ खड़ा है, अतः आंदोलन का औचित्य नही है। स्थिति सामान्य होने पर परिषद की बैठक में अगला निर्णय लिया जाएगा।