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एसजीपीजीआई ने फि‍र रचा इतिहास, एड्रेनल ग्रंथि के ट्यूमर को एक छेद से निकाला

-डॉ ज्ञान चंद्र ने पोस्टीरियर रेट्रोपेरिटोनियोस्कॉपिक विधि से की रोबोटिक सर्जरी

-कुशिंग सिंड्रोम से ग्रस्‍त आठ वर्षीय बच्‍चा हो गया था शरीर से बेडौल

-चेहरे पर सूजन, गर्दन में कूबड़ के साथ ही पेट हो गया था मोटा

-दो ज्‍यादा दवाओं से भी कंट्रोल नहीं हो रहा था बच्‍चे का ब्‍लड प्रेशर

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में पहली एवं संपूर्ण भारत के किसी भी सरकारी संस्थान में होने वाली पहली ऐसी सर्जरी की गई, जिसमें किसी बच्चे की एड्रेनल ग्रंथि के ट्यूमर को पोस्टीरियर रेट्रोपेरिटोनियोस्कॉपिक विधि से रोबोट द्वारा निकाला गया है।

लखनऊ  निवासी 8 वर्षीय  विशाल  (परिवर्तित नाम) के दाहिनी एड्रिनल  ग्रंथि में ट्यूमर  हो गया था, जो लगातार बढ़ रहा था  और जांच करने पर पता चला उससे कोर्टिसोल नामक हार्मोन अधिक मात्रा में स्रावित हो रहा था जिसे कुशिंग सिंड्रोम कहते है, जिसके कारण बच्चे का ब्लड प्रेशर बहुत बढ़ गया था  और उसके लिए उसको ब्लड प्रेशर की दो से ज्यादा दवाइयां लेनी पड़  रही थीं, इसके बावजूद बीच-बीच में उसका ब्लड प्रेशर बढ़ जाता था।  इसके अलावा इस हॉर्मोन की अधिकता से  उसका चेहरा सूज गया था, गर्दन में कूबड़ निकल आया था, पेट मोटा हो गया था तथा चेहरे पर बाल व मुंहासे निकल आये थे जिससे आठ साल का बच्चा 13-14 वर्ष का लगने लगा था। सी टी स्कैन कराने पर पता चला कि बच्चे की दाहिने एड्रेनल ग्रंथि, जो गुर्दे के ऊपर होती है, में ट्यूमर  है। इसी क्रम में की गई जांचों से ज्ञात हुआ कि सारी तकलीफ ट्यूमर से निकलने वाले कोर्टिसोल नामक हॉर्मोन की वजह से है।

डॉ ज्ञान चंद

इन सब परिस्थितियों को देखते हुए बच्चे को डॉ ज्ञान चंद, एंडोक्राइन सर्जन के पास एसजीपीजीआई, लखनऊ  रेफर कर दिया गया।  डॉ ज्ञान चंद ने मरीज को भर्ती करके एंडोक्राइनोलोजिस्ट की मदद से पहले बच्चे  का ब्लड प्रेशर नियंत्रित किया। फिर अन्य जांचें करा कर उसका उपचार  तय किया।  जांचों से पता चला कि  ट्यूमर बहुत ही जटिल है और आसपास के अंगों से चिपका हुआ है।

डॉ ज्ञान चंद ने परिजनों को बताया कि यदि पोस्टीरियर रेट्रो पेरिटोनियो स्कॉपिक रोबोटिक अड्रेनलेक्टोमी विधि द्वारा इसका ऑपरेशन किया जाये तो कम तकलीफ से टूयूमर को निकाला  जा सकता है।  इस विधि  से ऑपरेशन करने पर  मरीज को कम दर्द होता है,  तेजी से ठीक हो जाता है, ट्यूमर भी पूरा निकल जाता है और  पारम्परिक रोबोटिक एड्रेनल सर्जरी से खर्चा भी कम आता है।

परिजनों की सहमति के बाद बीते शुक्रवार को डॉ  ज्ञान चंद ने ढाई घंटे चले  ऑपरेशन द्वारा  विशाल के पेट से  रोबोटिक विधि द्वारा सफलता पूर्वक एड्रेनल टयूमर को पीठ की तरफ छोटे से  छेद द्वारा  निकल दिया।  ऑपरेशन में डॉ ज्ञान चंद के साथ उनकी टीम में डॉ अभिषेक कृष्णा, डॉ दिव्‍या व डॉ रीनेल शामिल रहे। इसके साथ ही एनेस्थीसिया में डॉ अमित रस्तोगी, डॉ संजय धिराज और उनकी टीम ने सहयोग किया।

इस ऑपरेशन व बीमारी के बारे में जानकारी देते हुए डॉ ज्ञान चन्द ने बताया कि रोबोटिक पोस्टीरियर रेट्रो पेरिटोनियो स्कॉपिक अड्रेनलेक्टोमी  विधि द्वारा  एड्रेनल  ट्यूमर की सर्जरी में  बिना पेट में गए, पीठ की तरफ से बाहार से ही  रोबोटिक सर्जरी द्वारा छोटे से छेद  से एड्रेनल ट्यूमर  को निकाला जाता है। पूरी प्रक्रिया बेहद जटिल है किन्तु मरीज़ को भविष्य में आने वाली कठिनाइयों से राहत देने वाली है क्योंकि कुशिंग सिंड्रोम में अमूमन मरीज़ को शल्य चिकित्सा के बाद इन्फेक्शन होने का तथा हर्निया बनने का खतरा अधिक रहता है, जिससे मरीज़ को लम्बे समय तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ जाता है या उसे बार-बार ऑपरेशन कराने की आवश्यकता पड़ जाती है। जबकि  रोबोटिक पोस्टीरियर रेट्रो पेरिटोनियो स्कॉपिक  विधि  द्वारा ऑपरेशन करने पर ऐसा नहीं होता। डॉ ज्ञान बताते हैं कि ऐसी कठिन रोबोटिक सर्जरी करने की प्रेरणा उन्हें एसजीपीजीआई के निदेशक डॉ आरके धीमन से मिली। डॉ ज्ञान ने अपने विभागाध्यक्ष डॉ गौरव अग्रवाल के मार्गदर्शन को भी सराहा।

उत्तर प्रदेश में इस प्रकार की पहली रोबोटिक सर्जरी हुई है एवं संपूर्ण भारत में किसी भी सरकारी संस्थान में होने वाली पहली ऐसी सर्जरी है जिसमें एड्रेनल ट्यूमर  को बच्चे में पोस्टीरियर रेट्रो पेरिटोनियो स्कॉपिक  विधि  द्वारा रोबोट से निकाला गया है। संस्थान के निदेशक प्रो. आरके धीमन ने इस उपलब्धि के लिए डॉ ज्ञान चन्द और उनकी पूरी टीम को बधाई दी है।

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