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दो माह के अंदर केजीएमयू में दूसरा सफल लिवर प्रत्‍यारोपण

फि‍र मिला मैक्‍स हॉस्पिटल का साथ, सुबह से लेकर शाम तक चला ऑपरेशन

ट्रांसप्लांट में शामिल टीम

लखनऊ। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के इतिहास में आज 9 मई को दूसरा लिवर प्रत्यारोपण किया गया। दो माह के अंदर दूसरी बार लिवर प्रत्‍यारोपण किया गया है। पहला लिवर प्रत्‍यारोपण 14 मार्च 2019 को किया गया था। पहले प्रत्‍यारोपण की तरह दूसरा प्रत्यारोपण भी केजीएमयू लखनऊ और मैक्स हास्पिटल साकेत, नई दिल्ली के संयुक्त प्रयास से सम्पन्न हुआ। 45 वर्ष के पुरुष को उसके 35 वर्ष के रिश्‍तेदार ने अपने लिवर का हिस्‍सा एक हिस्‍सा दान दिया है। आपको बता दें कि लिवर ट्रांसप्‍लांट में जीवित व्‍यक्ति के लिवर का एक हिस्‍सा लेकर भी काम चल जाता है। यही इस केस में हुआ है। लिवर दान करने वाला व्‍यक्ति की पत्‍नी का भाई है। लिवर प्राप्‍तकर्ता और लिवर दानकर्ता की हालत स्थिर बतायी गयी है।

 

संस्‍थान द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार प्रत्‍यारोपण सुबह 5 बजे आरम्‍भ कर दिया गया था जो कि शाम तक चला, इस प्रत्‍यारोपण मे लगभग 12 से 14 घंटे का समय लग जाता है। बताया गया है कि केजीएमयू की प्रत्यारोपण टीम में सर्जिकल गैस्ट्रोइण्ट्रोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो अभिजीत चन्द्रा के नेतृत्‍व में  डा विवेक गुप्ता, डा विशाल गुप्ता, डा प्रदीप जोशी एवं निश्चेतना विभाग के डा मोहम्मद परवेज, डा अनीता मलिक, डा तन्मय तिवारी एवं डा एहसान, रेडियोलोजी विभाग की डा नीरा कोहली, डा अनित परिहार एवं डा रोहित एवं ट्रान्सफ्यूजन मेडिसिन विभाग की डा तूलिका चन्द्रा, माइक्रोबायेलॅजी विभाग की डा अमिता जैन, डा प्रशान्त, डा शीतल वर्मा एवं मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा एस एन संखवार ने इस महत्वपूर्ण कार्य मे सहयोग दिया।

 

इसके अलावा मैक्स हॉस्पिटल के डॉ सुभाष गुप्ता, लिवर प्रत्यारोपण प्रक्रिया में शामिल थे, डॉ सुभाष की टीम में डॉ राजेश डे, डा शालीन अग्रवाल एव अन्य सर्जन भी थे। यह जीवित अंग दाता से प्राप्त लिवर का प्रत्यारोपण था जिसमें, पुरूष (45 वर्ष) जो कि क्रॉनिक लिवर रोग से ग्रसित था, को उसके रिश्तेदार (पत्नी का भाई, 35 वर्ष) ने अपना लिवर दिया। लिवर प्रत्यारोपण एक जटिल शल्य चिकित्सीय प्रक्रिया है, जिसमें लगभग 12 घंटे से भी अधिक का समय लगता है, और यह भारत के कुछ चुनिन्दा संस्थानो में ही होता है। लिवर प्रत्यारोण केजीएमयू के सर्जिकल गैस्ट्रोइण्ट्रोलॉजी विभाग के लिए मील का पत्थर साबित हुआ है। यह प्रत्यारोपण केजीएमयू में भारत की अन्य संस्थानों की तुलना में बहुत की कम खर्च में किया गया।

 

बताया जाता है कि केजीएमयू में लिवर प्रत्यारोपण का खर्च लगभग 7 से 8 लाख आने का अनुमान है जो अन्य किसी भी कॉर्पोरेट अस्पतालों की तुलना में 1/10 वां भाग है। प्रत्यारोपण सर्जरी प्रातः 5 बजे शुरू हुई एवं देर शाम तक सम्पन्न हुई। लिवर दाता एवं लिवर प्राप्तकर्ता देानो का स्वास्थ्य स्थिर है।