-सरकार पर कोई खर्च नहीं आयेगा, कर्मियों का मान व उत्साह बढ़ जायेगा
-राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव से की मांग
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने प्रदेश के राज्य कर्मचारियों विशेष तौर पर जान की परवाह किए बगैर कार्य करने वाले कोरोना योद्धाओं की उन सभी मांगों पर विचार कर तत्काल निर्णय किए जाने का अनुरोध किया है जिसमें सरकार को कोई वित्तीय नुकसान की संभावना नहीं है। परिषद के अध्यक्ष सुरेश रावत व महामंत्री अतुल मिश्रा ने प्रदेश के मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव से मांग की है कि पूर्व में हुए समझौतों के अनुसार सभी संवर्गों की मांगों पर तत्काल कार्रवाई करते हुए निर्णय कर शासनादेश निर्गत कराएं जिससे सरकार और कर्मचारियों में आपसी सौहार्द बना रहे।
परिषद के महामंत्री अतुल मिश्रा ने बताया कि उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव कार्मिक, अपर मुख्य सचिव वित्त के साथ कई बैठकें हो चुकी हैं, जिसमें चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग के कई संवर्गो की जायज मांगों पर तत्काल निर्णय लिए जाने का लिखित आश्वासन दिया गया था। वर्तमान समय में जबकि सभी कर्मचारी कोरोना से लड़ रहे हैं, इस संक्रमण से जनता को बचा रहे हैं तथा संक्रमित जनता को बिना डरे, बिना अपनी जान की परवाह किए उपचार प्रदान कर रहे हैं, इसलिए इन संवर्गो की सभी मांगों पर कारवाई किया किया जाना न्यायोचित है। सरकार को प्राथमिक तौर पर उन सभी मांगों पर तत्काल निर्णय कर शासनादेश निर्गत कर देने चाहिए जिनमें सरकार को सीधे कोई वित्तीय हानि नहीं पहुचती है।
उन्होंने बताया कि प्रदेश के चिकित्सालयो में नर्सेज, फार्मेसिस्ट, लैब टेक्नीशियन, ऑप्टोमेट्रिस्ट, फिजियोथेरेपिस्ट, बेसिक हेल्थ वर्कर (महिला/पुरुष) सहित विभिन्न कर्मी प्रथम पंक्ति में आकर जनता की सेवा कर रहे हैं। नर्सेज संवर्ग की मांग पर शासन स्तर पर कई बार समझौता किया गया है, आश्वासन के बावजूद शासनादेश निर्गत नहीं हो रहे हैं नर्सेज संवर्ग ने केंद्र के समान पदनाम दिए जाने की मांग की है पदनाम परिवर्तन से सरकार पर कोई वित्तीय क्षति नहीं पहुंचेगी। केंद्र में नर्सेज संवर्ग का पदनाम परिवर्तित कर दिया गया है लेकिन समझौते के बावजूद प्रदेश में नाम परिवर्तन नहीं हो सका। वहीं फार्मेसिस्ट, लैब टेक्नीशियन और ऑप्टोमेट्रिस्ट संवर्ग की वेतन विसंगति का प्रकरण वेतन समिति द्वारा संस्तुति कर रिपोर्ट सरकार को केंद्र सरकार के अनुसार करने हेतु दी गई है। फार्मेसिस्ट संवर्ग में लगभग सभी फार्मेसिस्ट पूर्व से ही ऐसे वेतनमान में पहुंच चुके हैं जहां प्राथमिक वेतनमान परिवर्तन होने से सरकार पर वित्तीय भार नहीं आएगा। यही स्थिति लैब टेक्नीशियन एवं ऑप्टोमेट्रिस्ट की भी है।
सरकार शासन द्वारा पूर्व में इस पर सहमति व्यक्त की गई थी एक समान अवधि के डिप्लोमा होल्डर्स का वेतन एक समान रखा जाएगा, वेतन समिति भी इस पर राजी थी, लेकिन अभी तक शासन द्वारा निर्णय कर शासनादेश निर्गत नहीं किया गया।वहीं चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत इलेक्ट्रीशियन कम जनरेटर ऑपरेटर के प्रत्येक जिला व बड़े अस्पतालों में 1 पद हैं जहां 24 घंटे उन्हें कार्य करना होता है। कार्मिकों को एकल पद होने के कारण छुट्टियां नहीं मिल पातीं, इसलिए शासन से अनुरोध किया गया था उक्त पदों को बढ़ाते हुए भर्तियां की जाएं व वेतन समिति के अनुसार उच्चीकृत किया जाए।
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विभिन्न संभागों में पदोन्नति के पद रिक्त पड़े हुए हैं, फार्मेसिस्ट संवर्ग में विशेष कार्य अधिकारी और संयुक्त निदेशक फार्मेसी के पद कई वर्षों से प्रोन्नत कर नहीं भरे गए वहीं अन्य संवर्गो में भी प्रोन्नतियां नहीं हो पा रहीं जिससे कर्मचारी अपने मूल पद से सेवानिवृत्त हो जा रहे हैं। विभिन्न संवर्गों के पदों के मानक निर्धारित न होने से नए चिकित्सालय बनने पर आवश्यक पद सृजित नहीं हो पाते जिससे चिकित्सालयों के संचालन में बहुत समस्याएं आती हैं। बेसिक हेल्थ वर्कर्स एसोसिएशन की मांग कई बार वार्ताओं और समझौतों के बावजूद लंबित बनी हुई है एक ही पद पर कर्मचारियों के वेतन में भिन्नता है वही मूल पद एवं पदोन्नत के पदों का वेतन एक समान हो गया है जो नितांत उचित प्रतीत नहीं होता। एक्स-रे टेक्निशियन का पदनाम भारत सरकार द्वारा परिवर्तित कर दिया गया है । वार्ता के बावजूद उत्तर प्रदेश में अभी तक परिवर्तन नहीं हो सका। नॉन मेडिकल असिस्टेंट के वेतन विसंगति को केंद्र सरकार की भाति दूर किया गया था लेकिन केंद्रीय समानता के सिद्धांत को नहीं अपनाया गया जिससे कर्मचारियों का बहुत नुकसान हुआ है।
परिषद के उपाध्यक्ष सुनील यादव का कहना है कि इन मांगों को पूरा करने से सरकार पर कोई वित्तीय भार नहीं आएगा, बल्कि कोरोना योद्धाओं का मान बढ़ेगा, उत्साह बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि पदों का सृजन मानक निर्धारण आदि ऐसी समस्याएं हैं, जिससे सभी संवर्ग प्रभावित हो रहे हैं साथ ही जनता भी प्रभावित होती है क्योंकि मानव संसाधन की कमी से जन सेवा में बाधा पड़ती है। उन्होंने कहा कि पदनाम परिवर्तन, मानक संशोधन, नियमावली प्रख्यापन, वेतन विसंगति सहित अनेक मामले लंबित हैं। उन्होंने कहा कि सौ से अधिक सांसद, विधायक, मंत्री आदि जनप्रतिनिधियों ने फार्मेसिस्ट का पदनाम बदलकर फार्मेसी अधिकारी करने की संस्तुति मुख्यमंत्री को भेजी है।
उन्होंने कहा कि नर्सेज और लैब टेक्नीशियन का पदनाम भी भारत सरकार ने बदल दिया है। उन्होंने बताया कि कर्नाटक, हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र में फार्मेसिस्ट का पदनाम फार्मेसी अधिकारी, चीफ फार्मेसिस्ट को बदलकर चीफ फार्मेसी अधिकारी किया जा चुका है, इस क्रम में उत्तर प्रदेश के फार्मेसिस्ट संवर्ग के पदनाम परिवर्तन की मांग की गई है। प्रदेश के सैकड़ों जनप्रतिनिधियों ने भी पदनाम परिवर्तन के लिए अपनी संस्तुति भेजी है, उक्त सभी संवर्गों के पदनाम परिवर्तन से सरकार को कोई वित्तीय भार नहीं आना है, बल्कि यह कोरोना योद्धाओं के लिए एक उपहार साबित होगा।